ADVERTISEMENTREMOVE AD

लता ने रफी के साथ गाना बंद कर दिया था, उस विवाद का सदा शुक्रगुजार रहेगा हर सिंगर

रफी, आशा भोंसले और शाबाना आजमी....इस इंटरव्यू में लता ने हर विवाद का खुद दिया था जवाब

Published
न्यूज
3 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar). 29 दिन तक कोरोना और फिर निमोनिया से लड़ीं. लेकिन 6 फरवरी की सुबह 8.20 बजे जिंदगी की जंग हार गईं. उन्होंने एक इंटरव्यू में खुद को लेकर हुई कुछ कंट्रोवर्सी का जिक्र किया था. बताया था कि शबाना आजमी, आशा भोंसले या फिर रफी साहब को लेकर क्या विवाद हुआ?

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लता जी से सवाल किया गया कि क्या 1970 के दशक में मंगेशकर मोनोपोली विवाद को बढ़ाने की कोशिश की गई? तब उन्होंने कहा था कि मैं आसानी से हर्ट नहीं होती. मेरे पास विवेक है कि जिस इंडस्ट्री में दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनती हैं, वहां ये संभव नहीं है कि सभी गाने मुझे दिए जाए. नए प्लेबैक सिंगर ऑडिशन देंगे और मेरे कंधे पर बंदूक रखकर चला दी जाएगी. कम्पोजर दावा करेंगे. अगर हमने आप को गाना दिया तो लता दीदी नाराज हो जाएंगी. गुस्सा? निर्रथक. फिर एक पत्रकार (राजू भारतन) ने उस विवाद को हवा दी. उसने सुना था कि कोई मुझ पर एक किताब लिख रहा था. वह खुद ये करना चाहता था.

0

आशा भोंसले को लेकर विवाद पर लता जी ने कहा था-

देखिए कुछ लोग ऐसे होते हैं की वो आग लगाने की कोशिश करते रहते हैं. वे कहते हैं कि लता ने आशा से फला गाना छीन लिया. सच तो यह है कि मैं कैबरे गानों को ना कहती थी, जो तब आशा के पास जाते थे.

'मैंने संसद में एक शब्द नहीं बोला. चुप ही रही..'

राजनीति को लेकर लता मंगेशकर ने कहा था, कभी नहीं. राजनीति में दूर-दूर तक कोई दिलचस्पी नहीं रही. मैं 1999 से छह साल तक राज्यसभा सांसद रही, लेकिन मैंने संसद में एक शब्द भी नहीं बोला. मैं चुप रही. राजनीति और संगीत एक दूसरे से उतने ही दूर हैं, जितने आसमान से धरती. संगीत दिल से निकलता है. राजनीति के लिए आपको पूरी तरह से एक अलग मानसिकता की जरूरत होती है.

मुझे अक्सर चुनाव प्रचार में शामिल होने के लिए कहा गया है, लेकिन मैंने मना कर दिया. मैंने राज्यसभा सदस्य बनना स्वीकार किया. लगातार समझाने के बाद भी मैं मना नहीं कर पाई.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

'शबाना आजमी ने मेरी कड़ी आलोचना की, लेकिन...'

शबाना आजमी ने सदन में शामिल न होने और चुप रहने के लिए मेरी कड़ी आलोचना की. मैंने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनका अपना नजरिया था. मेरा अपना. लेकिन अब जब भी शबाना और मैं मिलते हैं, हम एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे से व्यवहार करते हैं. केंद्रीय मंत्री एनकेपी साल्वे भी मुझसे कहते रहते थे कि जरूरत पड़ने पर संगीत के विषय पर कुछ भी बोलूं. अब इसका क्या मतलब होगा? पानी की कमी और गांव तक पहुंचने की जरूरत पर बहुत सारे मुद्दों पर बहस हो रही थी. मैं बस चुपचाप सुनूंगी.

रॉयल्टी को लेकर रफी से विवाद पर क्यों बोलीं लता?

लता जी से सवाल पूछा गया कि पुराने फैक्ट्स के मुताबिक, 1973 में म्यूजिक कंपनियों से रॉयल्टी लेने के मामले में मोहम्मद रफी और आपके बीच विवाद हुआ था. तब उन्होंने कहा-

उसकी वजह से सिंगर को आज भी रॉयल्टी मिलती रहती है. मैंने प्लेबैक सिंगर के लिए रॉयल्टी पर बातचीत शुरू की. इस मुद्दे पर मेरे साथ मुकेश, तलत महमूद और मुबारक बेगम थे. मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर और कुछ अन्य कलाकार नहीं थे. रफी साहब ने कहा, मैं लता के साथ फिर कभी नहीं गाऊंगा.

लता जी ने कहा, मैंने जवाब में कहा, मैं भी उनके साथ नहीं गाऊंगी. यह तीन साल तक चला. जब तक शंकर-जयकिशन ने पैचअप नहीं कराया. रफी साहब और मैंने, पलकों की छांव में (1977) के लिए एक साथ गाना गाया. अब हमें अपने विवाद पर हंसी आती है. सब ठीक था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×