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लता मंगेशकर का वो इंटरव्यू जिसमें उन्होंने सुख-दुख और ख्वाहिश पर खुलकर बात की थी

Lata Mangeshkar ने अपने संघर्षों, कामयाबियों और विवादों से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया था

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भारत
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एक आवाज लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) हमें छोड़कर चली गई. उसके बिगड़ते स्वास्थ्य के बारे में कई आशंकाओं के बाद, जब यह पता चला कि 92 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में लता मंगेशकर की मृत्यु हो गई तब ऐसा लगा जैसे हमारी सांसें भी किसी ने छीन ली हैं. अस्पताल में उन्हें निमोनिया और कोविड -19 की वजह से ऑब्जर्वेशन के लिए रखा गया था.

अस्त होते सूर्य के समान मृत्यु भी अपरिहार्य है. लता मंगेशकर, जिन्हें भारत की कोकिला, दीदी और मेलोडी क्वीन के रूप में भी जाना जाता है. चाहे खुशी का समय हो या महामारी का दौर लता दीदी निरंतर चलने वाले एकांत और चिंता के लंबे घंटों में एक भरोसेमंद साथी की तरह थीं. कम से कम तीन पीढ़ियों ने एकांत और चिंता के दौर को उनके गानों से काटा है.

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लता मंगेशकर को लीजेंड या आइकॉन कहना छोटा-मोटा तुच्छ सा एक और विश्लेषण जैसा होगा. वह इन शब्दों से कहीं ज्यादा बढ़कर थीं- वे एक विस्तारित परिवार की मुखिया थीं, वे एक योद्धा की तरह थीं जिसने रिकॉर्डिंग स्टूडियो के खिलाफ जाकर प्ले बैक सिंगर्स (पार्श्व गायकों) को उनके कॉपीराइट के उचित शेयर के बारे में बताया. जब भी म्यूजिक इंडस्ट्री के उच्च स्तर पर उनके साथ अन्याय हुआ तब वह उसके खिलाफ मोर्चा संभालने वाली अकेली योद्धा थीं. चाहे वह अपने मामूली घर यानी पेडर रोड पर प्रभु कुंज अपार्टमेंट में हों या पुरुष-प्रधान रिकॉर्डिंग स्टूडियो में हों वे नियमों को निर्धारित करने वाली व लिखने वाली एक अकेली महिला थीं.

इंदौर में उनका जन्म हुआ था. वे मराठी और कोंकणी शास्त्रीय संगीतकार व थिएटर अभिनेता पंडित दीनानाथ मंगेशकर और उनकी दूसरी पत्नी शेवंती के पांच संतानों में सबसे बड़ी थीं. शुरुआत में उन्हें हेमा नाम से बुलाया जाता था लेकिन लतिका के बाद उनका नाम लता रखा गया. लतिका उनके पिता के नाटक भव बंधन की एक किरदार थी. दिल का दौरा पड़ने से पंडित दीनानाथ की मृत्यु के बाद, एक पारिवारिक मित्र और स्टूडियो के मालिक मास्टर विनायक ने सबसे पहले 13 वर्षीय लता को फिल्म एक्टिंग और सिंगिंग में अपना करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित व मार्गदर्शित किया.

बॉम्बे जाने के बाद लता ने भिंडी बाजार घराने के उस्ताद अमन अली खान द्वारा हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रशिक्षण लिया था. गुलाम हैदर उनके मेंटॉर थे लेकिन उन्हें एक फिल्मी सॉन्ग की रिकॉर्डिंग के लिए यह कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था आपकी आवाज "बहुत पतली" है. वहीं जब दिलीप कुमार ने यह टिप्पणी की कि आपके उच्चारण में बहुत ज्यादा महाराष्ट्रियन टच है, तो उन्होंने उर्दू की जटिल बारीकियां सीखीं.

उनके संघर्ष पर विराम तब लगा जब उन्होंने गुलाम हैदर की मजबूर (1948) के लिए 'दिल तोड़ा मुझे कहीं का ना छोड़ा' और खेमचंद प्रकाश की महल (1949) के लिए 'आएगा आने वाला' गाना रिकॉर्ड किया.

जिस तेजी से उन्होंने सुपरस्टारडम अर्जित किया और अपनी कलाकत्मकता को लंबे समय तक बरकरार रखा, इसकी वजह से उन्हें लीजेंड कहा जाता है. लता मंगेशकर के बारे में व्यापक रूप से फिर से कुछ भी कहना मेरे लिए कम होगा. हालांकि एक पत्रकार के तौर पर मुझे कई बार उनका साक्षात्कार करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है.

लता जी बहुत संभलकर बोलती थी, वह काफी विनम्र होकर बात करती थीं और कभी-कभी ऐसी बातों को सामने लाती थीं, जिसके बारे में या तो बिल्कुल भी नहीं पता होता था या बहुत कम पता होता था. मैं कभी भी उनसे डूंगरपुर के दिवंगत राजसिंह से उनकी कथित सीक्रेट शादी के बारे में नहीं पूछ सका. राजसिंह के साथ उनकी क्रिकेट में काफी रुचि थी. राजसिंह उनके साथ वर्ल्ड टूर पर भी जाते थे. एक बार तो मैं वहां मौजूद था जब दोनों न्यू यॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में गए थे. मैं उनकी करीबी दोस्ती की घनिष्ठता को समझ सकता था. इससे आगे के अनुमान भद्दे या अपमानजनक होंगे.

मैंने लता जी के जितने भी इंटरव्यू किये हैं उनमें से मेरा सबसे पसंदीदा इंटरव्यू पीयरलेस माइंड्स (हार्पर कॉलिन्स) पुस्तक के लिए संपादक प्रीतिश नंदी द्वारा कमीशन किए गए साक्षात्कार को मानता हूं, जो लैंडलाइन टेलीफोन पर दो सेशन के दौरान किया गया था. तब 90 तक उनकी आवाज हमेशा की तरह रेशमी और सीधी स्पष्ट थी. एक प्रशंसक-लड़के के रूप में मैंने सोचा कि क्या मैं बातचीत के अंत में एक यादगार सेल्फी के लिए उनके अपार्टमेंट जा सकता हूं. उन्होंने जवाब दिया कि वह मुझे बताएगी, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ. ऐसे में उनके जाने पर मैं उनके साथ हुई आखिरी बातचीत के कुछ अंश याद कर रहा हूं.

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आपने पिछले सात दशक में क्या उपलब्धियां हासिल की, इस पर कभी विचार किया है? आपकी ख्वाहिशें क्या हैं? कुछ हैं या आप संतुष्ट हैं?

मैं खुद को एक चिंतनशील, चिन्तित व्यक्ति नहीं मानती हूं. बीता हुआ वक्त धुंध की तरह निकल जाता है और शुरुआत ऐसी लगती है जैसे कल ही हुई हो. किसी की उम्र या संगीत के मिजाज और प्रवृत्तियों में भारी बदलाव के कारण कोई भी गायक नहीं रुक सकता है. कई कलाकार उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने उन्हें रास्ता दिखाया, सफल बनाया और उनको तराशने का काम किया. अतीत में डूबे रहने का कोई मतलब नहीं है.

सबसे पहले मैं भगवान को, मेरे पिता को, मेरे गुरुओं को और उस राष्ट्र को, जिसने मुझे परिश्रम और श्रद्धा के साथ जो कुछ भी किया है, उसे करने का मार्ग दिखाया उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करती हूं. मैं तब तक गाना जारी रखना चाहूंगी जब तक मेरे गले से मेरी आवाज नहीं छिन जाती. गाना ही एकमात्र चीज है जिसे मैं जानती हूं.

तो हम आपको फिल्मों में या किसी रिकॉर्डिंग में उतना क्यों नहीं सुन पा रहे हैं. फिर भले ही वह शास्त्रीय, भक्ति संगीत या गजल हो?

क्या यह भी कोई पूछने वाला सवाल हुआ? संगीत अब फिल्मों में रहा ही नहीं. जहां तक बात शास्त्रीय संगीत की है तो यह पहले जैसा ही है.

मेरी पीढ़ी का फिल्मी संगीत पूरी तरह से बंद हो गया है. फिल्म निर्माता और संगीतकार मुझसे कहते हैं कि बाजार बदल गया है. युवा पूरी तरह से अलग तरह का संगीत और मनोरंजन चाहते हैं.
लता मंगेशकर
टेक्नोलॉजी की प्रगति के साथ, सिंथेसाइजर और डिजिटल इफेक्ट ने बढ़िया वाद्य यंत्रों की जगह ले ली है. स्वर अक्सर इतने तूफानी गति वाले होते हैं कि गीत को मुश्किल से समझा जा सकता है. कोई इंसान गा रहा है ये अब बाद में आता है पहले मशीनों से बनी आवाजें और आवाज को बदलना सर्वोपरि हो गया है.
ये आजकल की पीढ़ी का संगीत क्या है, यह जानने के लिए अपने कानों पर दबाव डालने के बजाय, मैंने इन्हें सुनना बंद कर दिया है. मैं ये बात कोई अभिमानपूर्ण हो कर नहीं कह रही. मैंने अपने खुद के गाने और अपने साथियों की पुरानी फिल्मों के हिट गानों को सुनना भी बंद कर दिया है. मेरा मानना है कि पुराने जमाने की धुनों, भूले-बिसरे गीत के लिए श्रोताओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जो आश्चर्य की बात नहीं है. जाहिर है, पुराने गाने खास थे और अगर मैं कहूं तो, मैं अपने गीतों को फिर से बजाने से परहेज करती हूं.
लता जी
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क्या अब आप संगीत बिल्कुल नहीं सुनतीं?

नहीं. नहीं. उस अवस्था में आने के लिए मुझे अपने कान काटने पडेंगे. लेकिन जब भी मेरा कुछ सुनने का मूड करता है तो मैं मेहदी हसन और गुलाम अली की गजलें और बड़े गुलाम अली खान और उस्ताद आमिर खान के शास्त्रीय गायन सुनती हूं.

एक्टिंग में एंट्री कैसे व क्यों हुई. यहां क्या कुछ नहीं भाया?

मेरे पिता दीनानाथ मंगेशकर एक नाट्य संगीत संगीतकार, हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक और मराठी थिएटर एक्टर थे. 1942 में जब मैं 13 साल की थी, तब उनका दिल की बीमारी की वजह से निधन हो गया था. जब मैं चार या पांच साल की थी, तब से मैं उनके नाटकों में एक्टिंग करती थी लेकिन जब मैं अनाथ हो गई तब परिवार की सबसे बड़ी बच्ची होने के कारण मुझे ही घर का गुजारा करना पड़ता था."

"हमारे करीबी पारिवारिक मित्र, फिल्म निर्माता मास्टर विनायक (बेबी नंदा के पिता), जो एक शीर्ष नायिका बन गए, उन्होंने मुझे फिल्मी भूमिकाएं दिलाने में मदद की. मैं नायक या नायिका की बहन की भूमिका निभाऊंगी. मंगला गौर (1942), सुभद्रा (1946) और मंदिर (1948) कुछ ऐसी फिल्में थीं जिनमें मैंने अभिनय किया, लेकिन मेरा दिल अभिनय में बिल्कुल भी नहीं था."

एक्टिंग व फिल्मों से नफरत की वजह?

"फिल्में में रूचि न होने का कारण कुछ और है. हैरानी की बात ये है कि मैं कैमरे के सामने काफी कॉन्फिडेंट थी. बात बस इतनी सी थी कि मुझे एक्टिंग से नफरत थी. मुझे एक गुड़िया की तरह लगा, अभी तुम हंसो, अभी तुम आंसू बहाओ. यह मेरे भीतर एक ट्यूबलाइट को बंद और चालू करने जैसा था."

"इसके अलावा मुझे मेकअप, खासकर लिपस्टिक लगाने से भी नफरत थी. चूंकि फिल्में तब ब्लैक एंड व्हाइट में होती थीं, इसलिए लिपस्टिक का भारी कोट लगाना पड़ता था. जब से मैंने एक्टिंग करना बंद कर दिया, मैंने फिर कभी लिपस्टिक का इस्तेमाल नहीं किया."
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पहला बड़ा ब्रेक?

"1948 में मजबूर फिल्म के गाने दिल मेरा तोड़ा से मुझे पहला मेजर ब्रेक मिला था. जिसे गुलाम हैदर ने कम्पोज किया था. महल (1949) फिल्म में आएगा आनेवाला, बरसात (1949) फिल्म में हवा में उड़ता जाए, जिया बेकरार है और छोड़ गए बालम सहित 9 गाने गाए. मैं भाग्यशाली रही. वे मौके ईश्वर ने भेजे थे. गुलाम हैदर साहब को मुझ पर बहुत भरोसा था. उन्होंने मुझे मजबूर फिल्म में मौका दिया. मैंने लव इज ब्लाइंड नाम की फिल्म के लिए कुछ गाने गाए थे, जो शायद कभी रिलीज नहीं हुए.

"शशिधर मुखर्जी ने मेरी आवाज को बहुत पतली कहकर खारिज कर दिया था. लगभग उसी समय नौसाद साहब ने अंदाज (1949) में उठाए जा उनके सितम और कोई मेरे दिल में के लिए मौका दिया."
महबूब खान की निर्देशित दिलीप कुमार, राज कपूर और नरगिस के साथ क्लासिक लव स्टोरी थी. अंदाज और आएगा आनेवाला गाने हिट हुए तो मुझे पहचान मिलने लगी. इससे पहले मुझे नॉन फिल्मी गानों की वजह से महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में ही जाना जाता था. आएगा आने वाला..गाने के बाद फिल्म देखने वाले दर्शकों, रेडियो श्रोताओं के साथ-साथ फिल्म निर्माताओं ने पूछना शुरू कर दिया कि ये लड़की कौन है जिसने प्लेबैक किया है? इसके बाद मुझे रेडियो स्टेशनों से उनके लिए गाने के लिए रिक्वेस्ट आने लगी थी.
लता मंगेशकर
"महल फिल्म के समय प्लेबैक सिंगर को फिल्म के क्रेडिट टाइटल में मेंशन किया गया था. फिल्म के रिकॉर्ड में सिंगर का नाम कामिनी बताया गया, जो मधुबाला के निभाए गए किरदार का नाम था. जब मुझे मराठी फिल्म गजभाउ (1943) के लिए गाया था, तब मुझे क्रेडिट भी नहीं किया गया था."

क्या आप क्रेडिट लेने के लिए झिझकती थीं?

क्या मैं आपको शर्मीली लगती हूं? बिना किसी झिझक के मैंने राज कपूर से सभी प्लेबैक सिंगर को सही क्रेडिट देने की बात कही थी. जब हम हीरो-हीरोइन के लिए गाते हैं, तो हमारे बजाय उनके कैरेक्टर के नामों का जिक्र क्यों किया जाना चाहिए? हसरत जयपुरी और शैलेंद्र के गीतों को निश्चित रूप से स्वीकार किया गया था. राज कपूर ने तुरंत सहमति दी और बरसात में नरगिस, निम्मी और खुद लिप सिंक किए गए गानों के क्रेडिट पर नाम दिया गया. पहली बार बरसात के क्रेडिट टाइटल और रिकॉर्ड में लता मंगेशकर और मुकेश माथुर के नाम प्रमुखता से थे. नौशाद ने बिना पूछे ही अंदाज (1949), जादू (1949) और दुलारी (1951) के प्लेबैक सिंगर के नाम दिखाए. मुझे लगता है कि हम इसके हकदार थे.

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आप किस संगीत घराने को खासतौर पर पसंद करती हैं?

निश्चित तौर पर उन घरानों को जिनसे मेरे गुरुओं ने मेरा परिचय कराया है. शुरुआत में मैंने अपने पिता के चरणों में शास्त्रीय गायन सीखा था. मेरे पिता जब पाँच वर्ष के थे, तभी से उन्होंने बाबा मालशेखर से शिक्षा ली थी और ग्वालियर घराने के शिष्य बन गए थे. 11 जून, 1945 को बंबई में मुझे औपचारिक रूप से भिंडी बाजार घराने के उस्ताद अमन अली खान द्वारा शिष्य के रूप में स्वीकार किया गया था. उस समय शिष्य को हाथों पर एक गांठ बांधते हैं. तब मैंने नजराने के तौर पर 1100 रुपये प्रस्तुत किये थे. मैंने वहां उस्ताद अमन अली खान द्वारा हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत अधिकतम दो वर्षों तक सीखा. उस्ताद बॉम्बे से दूर पुणे में एक शांत जगह पर जाना चाहते थे. उन्होंने कहा, "बेटा, मैं जा रहा हूं.." और उसी दिन वे दुनिया से चले गए. तब मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे रिएक्ट करूं, मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैंने फिर से एक पिता को खो दिया हो. इसके बाद दत्ता दावजेकर मेरे गुरु बने उनका सानिध्य भी मुझे कम समय के लिए ही मिला.

क्या आप नूर जहां से प्रभावित थीं? उनकी स्टाइल कॉपी करती थीं?

मेरी तुलना नूर जहां के साथ की जाती थी. हां, मैं यह स्वीकार करती हूं कि मैंने उनके गीतों उड़ जा पंछी उड़ जा और तू कौनसी बादली में मेरे चांद है आज - को सुनने के बाद उनकी शैली की नकल करने की कोशिश की थी.

"नूर जहां एक शीर्ष नायिका थीं जिन्होंने अपने गाने खुद गाए थे. जब मेरा उनसे परिचय हुआ तो मेरी उम्र लगभग 14 वर्ष रही होगी. वह एक कुर्सी पर बैठ गईं और मुझे गाने के लिए कहा. तब मैंने जयजयवंती राग में एक बंदिश गाया. उन्हें वह पसंद आया, उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे कुछ और रियाज करना चाहिए और इस पर विचार करना चाहिए कि क्या मैं एक फिल्मी गीत का प्रयास कर सकती हूं. तब मैंने कलकत्ता में निर्मित एक फिल्म से जीना है बेकार तुम्हारे गाया. वह इसे दिल से पसंद करती थीं और बड़ी मां की शूटिंग के दौरान अक्सर मुझे गाने के लिए बुलाती थीं. मैं बाद में उनसे बंबई में नहीं मिल सकीं, क्योंकि जैसा कि आप जानते हैं कि विभाजन के बाद वह लाहौर चली गईं. हमने फोन पर संपर्क बनाए रखा. जब भी उन्हें मेरा कोई फिल्मी गाना पसंद आता था, तो वह फोन करती थीं."
लता मंगेशकर
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वेस्टर्न म्यूजिक में आपको क्या पसंद है?

कुछ लोकप्रिय पश्चिमी गायकों और समूहों के प्रति मेरे अंदर एक सॉफ्ट कॉर्नर है. जैसे बीटल्स मेरी प्लेलिस्ट में सबसे ऊपर हैं, उनकी तुलना कोई नहीं कर सकता. मुझे नेट किंग कोल, द साउंड ऑफ म्यूजिक में जूली एंड्रयूज के ट्रैक और बारबरा स्ट्रीसंड का भी शौक रहा है.

माइकल जैक्सन के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

मुझे लगता है कि माइकल जैक्सन का फैन होने के लिए आपको युवा और डांस का शौक होना चाहिए. जो मैं नहीं हूं. हालांकि उनके दो गाने- दे डोंट केयर अबाउट अस अनिमोर और ब्लैक एंड व्हाइट, ऐसे हैं जिनमें न केवल आकर्षक बीट्स हैं बल्कि वे सामाजिक पूर्वाग्रहों के खिलाफ एक संदेश देते हैं.

रिकॉर्डिंग्स का डिजिटल कलेक्शन कर रही हैं?

मैंने अपने सभी विनाइल रिकॉर्ड, कैसेट और सीडी को सुरक्षित रखा है, जो संगीत कंपनियों द्वारा हमें भेजे गए हैं. अब घर में इन्हें रखने के लिए एक इंच भी जगह नहीं बची है. मेरे भतीजे और भतीजी शायद मेरे लिए संग्रह को डिजिटल कर सकते हैं, लेकिन मैं उन्हें यह सुझाव देने के लिए तैयार नहीं हूं

क्या आपके भतीजे या परिवारजन आपसे डरते हैं?

हम चार बहनों और एक भाई का परिवार है. आशा, मीना, उषा, हृदयनाथ और मैं हमेशा एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं. कभी मैं नराज हो जाऊं, उनको दांत दूं तो वो सर नहीं उठते. हम वाद-विवाद में नहीं पड़ते. वैसे भी अगर मुझे गुस्सा आता है, तो मैं एक मिनट में शांत हो जाती हूं.

किन बातों से आप अपसेट हो जाती हैं?

निश्चित तौर पर तुच्छ बातों से और जिनका कोई मतलब नहीं है.

क्या 1970 के दशक में मंगेशकर मोनोपोली विवाद को बढ़ाने की कोशिश की गई?

मैं आसानी से हर्ट नहीं होती. मेरे पास विवेक है कि जिस इंडस्ट्री में दुनिया में सबसे ज्यादा फिल्में बनती हैं, वहां ये संभव नहीं है कि सभी गाने मुझे दिए जाए. नए प्लेबैक सिंगर ऑडिशन देंगे और मेरे कंधे पर बंदूक रखकर चला दी जाएगी. कम्पोजर दावा करेंगे. अगर हमने आप को गाना दिया तो लता दीदी नाराज हो जाएंगी. गुस्सा? निर्रथक. फिर एक पत्रकार (राजू भारतन) ने उस विवाद को हवा दी. उसने सुना था कि कोई मुझ पर एक किताब लिख रहा था. वह खुद ये करना चाहता था.

आशा भोंसले को लेकर विवाद क्या है?

देखिए कुछ लोग ऐसे होते हैं की वो आग लगाने की कोशिश करते रहते हैं. वे कहते हैं कि लता ने आशा से फला गाना छीन लिया. सच तो यह है कि मैं कैबरेट गानों को ना कहती थी, जो तब आशा के पास जाते थे.

आपने क्लासिक कैबरेट सॉन्ग 'आ जाने जां' गाया था, आगे क्यों नहीं ऐसे गाने गाये?

मैंने आ जाने जां इसलिए गाया क्योंकि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने मुझे बुलाया और मुझे आश्वासन दिया कि राजेंद्र कृष्ण के गीतों में कुछ भी विचारोत्तेजक नहीं है. उन्होंने मुझे लिरिक्स जांचने को कहा, मुझे भी धुन पसंद आई, इसलिए मैंने इसे किया. लेकिन मैं पिया तू अब तो आजा (कारवां, 1971) कभी नहीं गा पाऊंगी क्योंकि यह मेरी स्टाइल का गाना नहीं था. मैं इसमें असहज होती और इसको मैं खराब कर देती.

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राजनीति को लेकर क्या कुछ कहना चाहेंगी? क्या आपकी इसमें रुचि है?

कभी नहीं. राजनीति में दूर-दूर तक कोई दिलचस्पी नहीं रही. मैं 1999 से छह साल तक राज्यसभा सांसद रही, लेकिन मैंने संसद में एक शब्द भी नहीं बोला. मैं चुप रही. राजनीति और संगीत एक दूसरे से उतने ही दूर हैं, जितने आसमान से धरती. संगीत दिल से निकलता है. राजनीति के लिए आपको पूरी तरह से एक अलग मानसिकता की जरूरत होती है.

मुझे अक्सर चुनाव प्रचार में शामिल होने के लिए कहा गया है, लेकिन मैंने मना कर दिया. मैंने राज्यसभा सदस्य बनना स्वीकार किया. लगातार समझाने के बाद भी मैं मना नहीं कर पाई.
लता मंगेशकर
"शबाना आजमी ने सदन में शामिल न होने और चुप रहने के लिए मेरी कड़ी आलोचना की. मैंने उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. उनका अपना नजरिया था. मेरा अपना. लेकिन अब जब भी शबाना और मैं मिलते हैं, हम एक-दूसरे के साथ बहुत अच्छे से व्यवहार करते हैं. केंद्रीय मंत्री एनकेपी साल्वे भी मुझसे कहते रहते थे कि जरूरत पड़ने पर संगीत के विषय पर कुछ भी बोलूं. अब इसका क्या मतलब होगा? पानी की कमी और गांव तक पहुंचने की जरूरत पर बहुत सारे मुद्दों पर बहस हो रही थी. मैं बस चुपचाप सुनूंगी."

क्या आप सदन में कार्यवाही से खुश थीं?

मैं स्ट्रेट थी. मेरे नजरिए से बहसों और चर्चाओं, विचारों और विरोधी-विचारों का सम्मान किया जाना चाहिए.

आपने ट्विटर ज्वॉइन किया है, क्या यहां आपको ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है?

मैं इसको लेकर काफी सजग रहती हूं. मैं उन विषयों पर अपनी राय व्यक्त नहीं करती जो मेरी समझ से परे हैं. मैं बस इतना करती हूं कि जन्मदिन पर अपनी शुभकामनाएं भेजती हूं, और बड़े गुलाम अली खान की तरह शख्सियतों की पुण्यतिथि पर अपनी यादें साझा करती हूं.

आपको क्या लगता है क्या आपके दुश्मन या द्वेष रखने वाले हैं?

मुझे यकीन है कि कुछ जरूर होंगे, लेकिन कोई भी खुलकर सामने नहीं आता है. शायद वे अपनी नाराजगी की वजह को सही नहीं ठहरा सकते.

आपकी सबसे नजदीकी मित्र?

मेरी भतीजी रचना शाह. वह मीना की बेटी है, लेकिन मैं उसे अपना दोस्त, अपना विश्वासपात्र मानती हूं.

आपके अंडररेटेड सॉन्ग कौन से रहे हैं?

मुझे लगता है कि अंडररेटेड या कम करके आंकने से आपका आशय यह है कि वे गाने उतने लोकप्रिय नहीं थे, जितने वे हो सकते थे. ऐसे कई हैं लेकिन उनमें से मैं माया मेमसाब (1993) के लिए हृदयनाथ की रचना एक हसीन निगाह का पर प्रकाश डालना चाहूंगी. इसके दो वर्जन ये एक कुमार सानू द्वारा गाया गया जबकि दूसरा मैंने गाया था. लेकिन (1990) के गीतों की तरह हृदयनाथ की रचनाएं आम तौर पर काफी जटिल होती हैं. जहां एक ओर यारा सीली सीली गाना हिट और लोकप्रिय रहा वहीं उसी फिल्म के दूसरे गाने सुनियो जी अर्ज म्हरियो को स्थापित करने में चुनौती थी.

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किसी भी फिल्मी गाने को आवाज देने के दौरान क्या आपके आंसू छलक पड़े हैं?

बिल्कुल नहीं, स्टूडियो में रिकॉर्डिंग के दौरान मैं हमेशा गाने की भावनात्मक सामग्री और खुद के बीच एक दूरी बनाए रखती थी. मैं हिल जाती थी लेकिन मुझे खुद को धैर्य व शांत बनाए रखना पड़ता था. हालांकि, गैर-फिल्मी एलबम के लिए भजन गाते वक्त मेरे आंसू छलक जाते थे. उस दौरान जब मैं खुद को रोने से नहीं रोक पाती थी तब एक छोटा सा ब्रेक मांगती और उसके बाद सामान्य हो जाती थी.

ऐसी कौन सी हीरोइन थीं जिनके लिए प्लेबैक सिंगिंग करना आपको विशेष पसंद था?

मुझे लगता है कि मेरी आवाज मीना कुमारी के साथ-साथ मधुबाला, नूतन और साधना के लिए फिट बैठती है. नरगिस की आवाज में काफी स्ट्रॉन्ग बेस (Bass) था, फिर भी वह पर्दे पर इतनी शानदार ढंग से पेश हुईं कि गाने जबरदस्त हिट हुए. बाद के वर्षों की बात करुं तो काजोल ने मेरे द्वारा गाए गए गानों में एक विशेष छाप छोड़ी है.

यश चोपड़ा अक्सर मुझसे कहा करते थे कि "लता, आपकी आवाज एक वंचित महिला के साथ-साथ एक रानी के चरित्र पर भी सटीक बैठती है." वह हमेशा अपनी प्रशंसा के साथ उदार थे, उन्होंने मुझे वीर-ज़ारा (2004) के फीमेल आर्टिस्ट के सभी गाने करने के लिए दिए थे.
लता मंगेशकर

कहा जाता है कि आपकी आवाज से राज कपूर इतने मुग्ध हो गए थे कि उनकी सत्यम शिवम सुंदरम लता जी से प्रेरित थी?

मुग्ध होना सही शब्द नहीं है. इस बारे में मैं आपसे बस इतना ही कह सकती हूं कि उन्होंने मुझे सत्यम शिवम सुंदरम् में लीड रोल की भूमिका निभाने के लिए कहा था.

"मैं आश्चर्यचकित थी. मैं और एक हीरोइन? मैंने इनकार कर दिया. मुझे पता चला कि ज़ीनत अमान ने जिस किरदार को निभाया था, वह हेमा मालिनी को ऑफर किया गया था, लेकिन हेमा इस किरदार को निभाने के लिए सहमत नहीं हुई थीं क्योंकि वह किरदार के लिए जो पोशाक तय की गई थी उसे पहनने को लेकर सहज नहीं थीं. ध्यान रहे कि यह महज अफवाह है."
लता मंगेशकर
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पुराने फैक्ट्स के मुताबिक, 1973 में म्यूजिक कंपनियों से रॉयल्टी लेने के मामले में मोहम्मद रफी और आपके बीच विवाद हुआ था?

उसकी वजह से सिंगर को आज भी रॉयल्टी मिलती रहती है. मैंने प्लेबैक सिंगर के लिए रॉयल्टी पर बातचीत शुरू की. इस मुद्दे पर मेरे साथ मुकेश, तलत महमूद और मुबारक बेगम थे. मोहम्मद रफी, महेंद्र कपूर और कुछ अन्य कलाकार नहीं थे. रफी साहब ने कहा, मैं लता के साथ फिर कभी नहीं गाऊंगा.

इसके जवाब में मैंने कहा, मैं भी उनके साथ नहीं गाऊंगी. यह तीन साल तक चला. जब तक शंकर-जयकिशन ने पैचअप नहीं कराया. रफी साहब और मैंने, पलकों की छांव में (1977) के लिए एक साथ गाना गाया. अब हमें अपने विवाद पर हंसी आती है. सब ठीक था.
लता मंगेशकर

आपका पसंदीदा गाना कौन सा है?

किसी भी कलाकार का कोई 'पसंदीदा पसंदीदा' यानी 'फेवरेट फेवरेट' नहीं होता है. जैसा कि मुझे साक्षात्कारों में तेजी से उत्तर देने होते हैं, ऐसे में मेरे कई पसंदीदा मुझसे छूट जाते हैं. इसलिए, जिन पसंदीदा गानों को सूचीबद्ध किया गया है, वे जनता के साथ उनके जुड़ाव पर आधारित हैं और जिनके संगीत समारोहों में 'लाइव' सुने जाने की उम्मीद है. यदि कंसर्ट के दौरान 'आयेगा आने वाला, कहीं दीप जले कहीं दिल (बीस साल बाद, 1962), नैना बरसे रिमझिम और लग जा गले (वो कौन थी, 1964) और प्यार किया तो डरना क्या' (मुगल-ए-आजम, 1960) जैसे गाने अगर मैं नहीं गाती तो लोग निराश होकर घर लौटते.

आपके पसंदीदा सिंगर कौन हैं?

कविता कृष्णमूर्ति, अलका याज्ञनिक, श्रेया घोषाल, सोनू निगम और उदित नारायण के गाने मुझे बहुत पसंद हैं. अलका मेरे संपर्क में रहती है और हाल ही में उसने मुझे बताया कि उसने फिल्म गानों में काफी कमी कर दी है, अब वैसी बात नहीं रही. मुझे नए गायकों के साथ बने रहना चाहिए. मैंने ऐसा नहीं किया और यह मेरा नुकसान है. मैंने अरिजीत सिंह के बारे में सुना है लेकिन अभी तक उनके गाने नहीं सुने हैं.

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फिल्म और टीवी सीरियल देखती हैं?

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मैंने जो आखिरी फिल्म देखी थी वह सलमान खान की दबंग (2010) थी? मुझे फिल्मों से भी खुद को अपडेट रखना चाहिए. टीवी पर ज्यादातर मैं न्यूज देखती हूं और हां सीआईडी (CID) सीरीज की तो मुझे लत जैसी लग है. मैं इसे 19 साल से जब से यह शुरु हुआ है तब से देखती आ रही हूं. CID का कास्ट और क्रू हर साल गणपति पूजा के दौरान मेरे घर आते हैं.

आप किनकी रचनाओं को आवाज देना चाहती हैं?

मैंने मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़लें अक्सर गाई हैं, लेकिन मीर तकी मीर की केवल एक ग़ज़ल - दिखाई दिये यूं (बाज़ार, 1982) खय्याम द्वारा रचित को आवाज दी है. मैं मीर और इकबाल के और अधिक रचनाओं को गाना चाहती हूं.

खुद का ख्याल रखने के लिए क्या करती हैं?

मुझे एक्सरसाइझ करना चाहिए. लेकिन मैं नहीं कर पाती. मैं अपने खान-पान का ध्यान रखती हूं और एक घंटे योग और ध्यान करती हूं.

ये बड़ी विडंबना है कि आप शहर के सबसे शोर-शराबे वाले इलाके में रहती हैं. जो पेडर रोड फ्लाईओवर के पास है. 24 x7 ट्रैफिक रहता है?

जब आशा और मैंने प्रभु कुंज की पहली मंजिल पर बगल के अपार्टमेंट खरीदे तो पेडर रोड बॉम्बे के सबसे शांत इलाकों में से एक था. अब यह बिल्कुल बदल गया है. आशा लोअर परेल में शिफ्ट हो गई है. मैंने वहां एक घर भी खरीदा लेकिन प्रभु कुंज को छोड़ने के लिए खुद को मना नहीं सकी. मैं खुद को उखाड़ नहीं सकती. मैं अपनी यादों को यहीं छोड़ कर फिर से नई शुरुआत नहीं कर सकती. इसके अलावा यहां मेरे घर में इतना सामान है चीनी मिट्टी के बरतन, फूलदान, कलाकृतियां हैं. इन्हें छोड़ना मुश्किल है.

क्या ये आपका सेंस ऑफ ह्यूमर है या विवेक कि आपने अपने छह फिल्मफेयर अवार्ड व ट्राफियों को कवर किया है. उनके चारों ओर एक साड़ी लपेटी है, क्योंकि डिजाइन एक नग्न महिला की दिखती है?

मैंने देखा कि मूर्तियां नंगी हैं. लेकिन साड़ियों से लपेटने का आइडिया मेरी बहन मीना ने दिया था. वैसे वे साड़ियों में काफी विनम्र नजर आ रही हैं.

आपने अविवाहित रहना क्यों पंसद किया? क्या आपको अकेलापन नहीं लगता?

सिर्फ मेरी मां ही मुझे शादी के लिए परेशान करती रहती थीं. फिर उन्होंने भी छोड़ दिया. मेरे लिए परिवार शादी से कहीं ज्यादा है. लेकिन अगर मैं कभी-कभी अकेला महसूस नहीं करती तो मैं इंसान नहीं होती. हम सभी ऐसा महसूस करते हैं. चाहे शादी की हो या न की हो. अकेले रहना हानिकारक हो सकता है. सौभाग्य से मैं लगातार अपने परिवार से घिरी रही हूं.

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क्या आपको कभी किसी से प्यार हुआ है?

मैंने सिर्फ अपने काम से प्रेम किया. सिर्फ अपने और अपने परिवार से प्यार किया है. इसके अलावा किसी से नहीं.

यदि आपसे कोई कहे कि आप अपनी एक इच्छा के बारे में बताइए तो वह क्या होगी?

पुर्नजन्म एक ऐसी चीज है जिस पर मैं विश्वास करती हूं, लेकिन फिर भी जब मेरी मृत्यु हो जाए और मैं इस दुनिया से चली जाऊं तो फिर से जन्म लेने की इच्छा नहीं रखती हूं. मुझे भगवान दुबारा जन्म नहीं दे तो अच्छा है. एक भरा पूरा जीवन काफी है.

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