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‘लाल किताब’ ने पूरे नहीं किए ख्वाब,ये हैं बजट के बड़े लूजर और विनर

बजट 2019 के लंबे चौड़े भाषण को कम और आसान शब्दों में समझिए

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मेरे लिए बजट की सबसे बड़ी हेडलाइन यही है - लाल किताब ने नहीं चमकाई टैक्स पेयर की किस्मत. बजट से अपने कंधों पर देश का बोझ उठाने वाले नौकरीपेशा शहरी को कुछ नहीं मिला. स्थिति यथावत बनी रहती तो चलो वो बर्दाश्त कर लेता, लेकिन टैक्स की आह पेट्रोल-डीजल तक जाते-जाते चीख में बदल गई. निर्मला सीतारमण ने पेट्रोल-डीजल के जरिए जो जख्म दिए हैं, उसका दर्द लंबे वक्त तक महसूस होगा. खाने-पीने की हर चीज महंगी होगी.

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यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है
हवा की ओट भी लेकर चिराग जलता है

सूटकेस की जगह लाल कपड़े में लिपटे बजट, (जिसने अब बही-खाता कहना है) को पढ़ते हुए वित्त मंत्री ने जब ये शेर फेंका तो सबसे पहले टैक्सपेयर ने ही लपका लेकिन अफसोस उनके लिए निर्मला जी कोई रास्ता नहीं निकाल पाईं.

बजट से पहले एक्सपर्ट से लेकर आम आदमी तक यही कह रहा था कि प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई सरकार अपने वोटर को धन्यवाद कहेगी, टैक्स में कुछ छूट देगी. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. अंतरिम बजट में जो ऐलान था, वहीं फुलस्टॉप लग गया.

5 लाख तक की आय वालों पर कोई टैक्स नहीं.... मगर इस राहत के साथ आफत ये है कि आमदनी 5 लाख से एक रूपए ज्यादा हुई तो छूट की मिठाई खल्लास.

आम आदमी को कुछ मिला नहीं और खास आदमी सोच रहा है कि हाय मैं खास क्यों हुआ. सरकार ने 2 करोड़ से ज्यादा आय पर सरचार्ज लगा दिया है. 2-5 करोड़ की आय पर 3% सेस और 5 करोड़ से ज्यादा की आय पर 7% सेस का सितम ढाया है. अमीरों से बैर का एक नमूना ये भी है कि साल भर में बैंक से एक करोड़ से ज्यादा कैश निकाला तो 2 फीसदी TDS लगेगा. वैसे जिनकी जेब में कुछ मोटी गड्डियां नहीं आ रहीं उनके लिए खबर है कि 1,2,5,10,20 के नए सिक्के आ रहे हैं.

मिला कुछ नहीं, खर्चा दो रुपैया

बजट से आम आदमी को सबसे बड़ा झटका ये लगा है कि पेट्रोल-डीजल दो रुपए प्रति लीटर महंगे हो गए हैं. तेल खरीदने वालों के साथ तो खेल हुआ ही, लेकिन डीजल का डंक सबको सताएगा. डीजल महंगा होने पर माल ढुलाई महंगी होगीा, और खाने-पीने की हर चीज महंगी हो जाएगी. यानी बजट के बंडल में महंगाई की छड़ी छिप कर आई है.

सोना-चांदी पर और ड्यूटी लाद दी गई है. अब ये 10 से बढ़ाकर 12.5% कर दी गई है. सिगरेट नहीं छोड़ी है, तो यही सही समय है. जेब भी बचेगी और सेहत भी. क्योंकि तंबाकु उत्पाद महंगे कर दिए गए हैं. थोड़ी राहत इलेक्ट्रिक वाहन लेने पर है. इलेक्ट्रिक वाहन के लिए कर्ज पर 1.5 लाख तक ब्याज पर छूट मिलेगी.

अब अपना घर हो जाए

बहुत आहत हो गए हैं तो राहत की बात भी सुन लीजिए. 45 लाख तक का मकान लेने पर 3.5 लाख तक के होमलोन ब्याज पर आयकर नहीं लगेगा.  एक अच्छी  बात ये भी हुई है कि होमलोन देने वाली वित्तीय कंपनियों पर अब RBI का कंट्रोल रहेगा. यानी ठगी की संभावना कम होगी. आने वाले जमाने में PSU की जमीनों पर बने सस्ते घरों के रूप में आपके आशियाने का ख्वाब पूरा हो सकता है.

कारोबारियों को क्या मिला?

कारोबारियों के लिए बजट में कुछ अच्छी बातें हैं. इस जगत के लिए सबसे बड़ी हेडलाइन ये है कि कॉरपोरेट टैक्स में बंपर राहत दी गई है. अब 250 करोड़ की जगह 400 करोड़ के टर्नओवर तक की कंपनियों पर 25% टैक्स लगेगा. इस टर्नओवर में देश की 99 फीसदी कंपनियां आ जाती हैं.

कारोबार शुरू करना है तो एंजल टैक्स से छुटकारा दे दिया गया है. इनके लिए दूरदर्शन पर प्रोग्राम भी दिखाए जाएंगे. कहा गया है - छोटे कारोबारियों को आसानी से कर्ज दिलाने की कोशिश की जाएगी. इन्हें लोन पर ब्याज में 2% छूट देने के लिए 350 करोड़ का फंड भी रखा गया है. कराहते छोटे कारोबारी के दुख इन उपायों से दूर होंगे या नहीं, ये वक्त ही बताएगा.

  • महिलाओं को उनके जनधन खातों में पांच हजार रूपए का ओवरड्रॉफ्ट यानी एक तरह का कर्ज दिया गया है.
  • युवाओं के लिए नई शिक्षा नीति लाने की बात कही गई है. टॉप संस्थानों के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया गया है.
  • रोजगार के लायक बनाने के लिए 1 करोड़ छात्रों के  लिए स्किल योजना का ऐलान किया गया है.
  • खेलो भारत योजना का विस्तार होगा.

गांव-गरीब पर फोकस

बजट का बड़ा जोर गांवों पर है. 2022 तक 1.95 करोड़ घर और हर घऱ में बिजली, शौचालय और गैस कनेक्शन देने की योनजा है.  ग्रामीण इलाकों में 1.25 लाख किलोमीटर सड़क बनाने का इरादा है. पुराना वायदा फिर दोहराया गया है - 2022 तक किसानों की आय दोगुनी.

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कैसे पूरा होगा 5 लाख करोड़ वाला ख्वाब?

2020 में वित्तीय घाटे का लक्ष्य 3.3 रखा गया है. विदेशी निवेश बढ़ाने पर जोर है. बीमा में सौ फीसदी और मीडिया एऩिमेशन में निवेश बढ़ाने की  योजना है.  विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों के लिए KYC को आसान किया जाएगा. DEBT SECURITY में FII, FDI को मंजूरी दी गई है.

अरमान हैं कि इस साल के अंत तक 3 लाख करोड़ और 6 साल में 5 लाख करोड़ की इकनॉमी खड़ी हो जाए. लेकिन इस  बजट में जो उपाय किए गए हैं वो इन बड़े इरादों के लिहाज से छोटे नजर आते हैं.

पैसा कहां से आएगा?

सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या है पैसे की. ऐसे में विनिवेश के क्षेत्र में बड़े ऐलानों की उम्मीद थी लेकिन बजट में गोलमोल बातें की गई हैं.

  • 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ के विनिवेश का लक्ष्य
  • सरकारी कंपनियों के विनिवेश को प्राथमिकता दी जाएगी
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बैंकों की बड़ी बीमारी के लिए बड़ी दवा

सरकारी बैंकों खराब होते लोन के फेर में फंसे हैं. 70 हजार करोड़ की पूंजि देने का ऐलान हुआ है...लेकिन इतने से इनका दर्द कम होगा, कह नहीं सकते. सरकारी बैंकों को आंशिक क्रेडिट गारंटी भी दी जाएगी. 10 फीसदी की.

एविएशन, पावर और इंफ्रा के लिए ऐलान

बजट में देश को एविएशन हब बनाने की मंशा जाहिर की गई है. एक देश, एक ग्रिड की बात है. यानी सभी राज्यों को एक नेशनल ग्रिड से  बिजली देने की योजना है. एक गैस ग्रिड बनाने का भी प्लान है. पावर सेक्टर के दर्द की दवा के लिए टैरिफ पैकेज का एलान किया गया है. इंफ्रा पर  पांच साल में 100 लाख करोड़ निवेश सरकार करना चाहती है. यानी हर साल 20 लाख करोड़. एक बड़ा ऐलान ये हुआ है कि दिल्ली मेरठ के  बीच मेट्रो चलाई जाएगी. रेलवे में निजी निवेश लाने की योजना है.

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