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क्या बजट 2019 गुमशुदा प्राइवेट इन्वेस्टर को ढूंढ पाएगा?

प्राइवेट इन्वेस्टर जब तक आकर पैसा नहीं लगाएंगे तब तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी बनने का सपना पूरा नहीं किया जा सकता 

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

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देश के सामने अगले पांच साल इकनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर करने का लक्ष्य है. 5 जुलाई को इसका सबसे बड़ा सिग्नल मिलेगा जब निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी.ये लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता है जब गुमशुदा इन्वेस्टर की तलाश कर ली जाएगी.

प्राइवेट इन्वेस्टर्स जब तक आकर पैसा नहीं लगाएंगे तब तक 5 ट्रिलियन डॉलर की इकनॉमी का सपना पूरा नहीं हो पाएगा. क्योंकि लक्ष्य पाने के लिए कम से कम 10% की ग्रोथ चाहिए. अभी देश की GDP (2018-19) 6.8% है. पिछले क्वॉर्टर में ये 5.8% थी. इकनॉमी की रफ्तार धीमी हो गई है.

  • पैसेंजर व्हीकल की बिक्री में गिरावट
  • 2 व्हीलर  की बिक्री में गिरावट
  • कंज्यूमर ड्यूरेबल की बिक्री में गिरावट
  • ट्रैक्टर की बिक्री में भी गिरावट
  • हवाई यात्रियों की तादाद में गिरावट

इससे साफ है कि इकनॉमिक स्लोडाउन है. क्रेडिट मार्केट ध्वस्त हो गया है. सरकार को क्रेडिट क्राइसिस और GDP के स्लोडाउन से निपटने के लिए प्राइवेट इन्वेस्टमेंट के लिए माहौल बनाना पड़ेगा.

टैक्स टारगेट से 6 % कम है. सरकार के पास फिलहाल पैसा नहीं है.

बजट में क्या हो सकता है?

सरकार पर्सनल इनकम टैक्स में राहत दे सकती है. उद्योग धंधा लगाने वालों को इंसेटिव मिल सकता है. खेती में निवेश करने वालों को राहत मिल सकती है. सरकार का जोर लोक कल्याण और ऐसी कई स्कीम पर होगा.

पैसे लाने के लिए क्या होगा सरकार का कदम?

  • क्या सरकार विनिवेश का फैसला करेगी?
  • क्या रेलवे के कमर्शियल यूज को लेकर सरकार बड़ा फैसला लेगी?
  • मैन्यूफैक्चरिंग के लिए क्या कदम उठाएगी सरकार?

सरकार ने कहा है कि पचास हजार नए स्टार्ट-अप खड़े किए जाएंगे. इसके लिए अनुसंधान पर भी ध्यान दिया जा सकता है.

वैसे पीएम मोदी हमेशा सरप्राइज देने के लिए जाने जाते हैं. इसलिए ऐसा भी हो सकता है कि लैंड, लेबर, निजीकरण, विनिवेश पर चौका-छक्का लगाकर सरप्राइज दें. या छोटी शुरुआत करें. इससे लोग अपने काम धंधे में लगेंगे. फिलहाल, कारोबार की हालत खराब है. इसके बगैर गरीबी, बेरोजगारी या गैर-बराबरी दूर नहीं किया जा सकता है. वैसे बजट के दिन सरकार अपने मूल पॉलिटिकल एजेंडे को हेडलाइन लेना चाहती है. बड़े और कड़े फैसले शायद धीमे से आ सकते हैं. ऐसे फैसले बजट के पहले या बाद भी आ सकते हैं.

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