अमूमन हर बजट में टीवी, फ्रिज और एयर कंडीशनर जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की कीमतें बढ़ जाती हैं. कीमतें बढ़ाने का तर्क यह दिया जाता है कि ये लग्जरी गुड्स हैं. लेकिन टीवी, फ्रिज और एयर कंडीशनर निर्माताओं का कहना है कि ये अब लग्जरी की नहीं जरूरत की चीज हो गई हैं. लिहाजा 2019 के बजट में इन पर टैक्स घटाया जाना चाहिए.
परचेजिंग पावर बढ़ी है, टैक्स छूट मिले तो मांग बढ़ेगी
कुछ कंपनियों का मानना है कि देश में लोगों की परचेजिंग पावर बढ़ी है. लिहाजा कंज्यूमर अप्लायंस की मांग बढ़ाने का भी अच्छा मौका है. अगर बजट में इस इंडस्ट्री को कुछ सहूलियत मिले तो यह मांग और बढ़ाई जा सकती है. अगर इंडस्ट्री को टैक्स में राहत मिलती है तो फायदा कंज्यूमर तक भी पहुंच सकता है.
टीवी बनाने वाली कंपनियां इम्पोर्टेड टीवी पैनल पर बेसिक कस्टम ड्यूटी हटाने पर मांग कर रही हैं. वहीं बड़ी स्क्रीन वाले टीवी सेट पर जीएसटी की दर 18 फीसदी से घटा कर 12 फीसदी करने को कहा जा रहा है. जीएसटी रेट घटने से बड़ी स्क्रीन वाले टीवी की बिक्री बढ़ेगी. इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा. इससे कंज्यूमर को भी फायदा मिलेगा और सरकार को भी.
‘कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर हाई जीएसटी रेट कम हो’
कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लायंसज मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन ने सरकार से दरख्वास्त की है एयर कंडीशनर पर जीएसटी रेट 28 फीसदी से घटा कर 18 फीसदी कर दिया जाए. साथ ही सरकार से कंपोनेंट इको सिस्टम विकसित करने की मांग की है ताकि भारत में उनकी मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल सके. कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडस्ट्री की कई मांगें हैं. मसलन
- बड़ी स्क्रीन वाले टीवी सेट पर जीएसटी रेट 18 फीसदी से 12 फीसदी हो
- 4 स्टार या इससे ऊपर के एयर कंडीशनर और फ्रिज 12 फीसदी जीएसटी स्लैब में लाए जाएं
- कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडस्ट्री का कहना है कि टीवी, फ्रिज अब विलासिता की चीज नहीं
- इंडस्ट्री का कहना है कि सरकार इनके कंजम्प्शन को बढ़ावा दे
इंडस्ट्री का कहना है कि अब भी कई कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर टैक्स की दरें काफी अधिक है. मसलन 32 इंच से ज्यादा की स्क्रीन वाले टीवी पर 28 फीसदी जीएसटी लगता है, जबकि 32 इंच या कम स्क्रीन साइज वाले टीवी पर जीएसटी 18 फीसदी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)