सरकार इस बार के बजट में अपनी फ्लैगशिप योजना उज्ज्वला योजना का विस्तार कर सकती है. सरकार इस योजना के अंत तक हर गरीब परिवार तक मुफ्त एलपीजी गैस सिलेंडर और कनेक्शन पहुंचाने की कोशिश करेगी. सरकारी सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार के बजट में मोदी 2.0 सरकार के 100 दिन पूरे होने के भीतर आठ करोड़ एलपीजी कनेक्शन देने का ऐलान कर सकती हैं.
अभी तक 7.19 करोड़ कनेक्शन बांटे जा चुके हैं. आने वाले महीनों में और एक से दो करोड़ परिवारों को यह कनेक्शन मिल सकता है. इससे देश के हर परिवार तक गैस कनेक्शन की पहुंच हो जाएगी. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों को हर कनेक्शन के लिए 1600 रुपये मदद दी गई है. गैस कनेक्शन परिवार की महिला सदस्य के नाम पर होता है.सूत्रों के मुताबिक 100 फीसदी बीपीएल परिवारों तक गैस कनेक्शन के लिए बजट में दो से तीन हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त इंतजाम किया जा सकता है.
- पीएम उज्ज्वला योजना के तहत शुरू में पांच करोड़ गैस कनेक्शन बांटे गए
- 2018-19 के बजट में इसके लिए 4800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान
- आठ करोड़ गरीब परिवारों तक रसोई गैस पहुंचाने का लक्ष्य
- उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस सिलेंडर की रीफिलिंग औसत तीन
- पांच किलो का छोटा गैस सिलेंडर भी दे सकती है सरकार
- छोटे गैस सिलेंडर से रीफिलिंग सस्ती हो जाएगी
2018-19 में अतिरिक्त 4800 करोड़ रुपये का प्रावधान
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना मई 2016 में लांच हुई थी. इसके तहत पांच करोड़ गरीब महिलाओं को रसोई गैस देने का लक्ष्य था. उस दौरान 8 हजार करोड़ के प्रावधान से योजना शुरू की गई थी. इस योजना की सफलता को देखते हुए 2018-19 के बजट में इसके लिए 4800 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान किया गया और आठ करोड़ गरीब परिवारों तक रसोई गैस पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया.
सरकार इस योजना के तहत पांच किलो के छोटे सिलेंडर भी देने की योजना बना रही है ताकि इसे रीफिलिंग बढ़ सके. इसके तहत डीबीटी के तहत अलग सब्सिडी स्कीम तैयार की जा रही है. उज्ज्वला योजना के तहत रसोई गैस सिलेंडर की रीफिलिंग औसत तीन है जबकि राष्ट्रीय सात का है.
पेट्रोलियम मंत्रालय की स्टडी में कहा गया है कि 14.2 किलो का गैस सिलेंडर भरवाना गरीब परिवारों के लिए महंगा पड़ रहा इसलिए पांच किलो के गैस सिलेंडर देने की योजना बनाई जा रही है. इसे भरवाना सस्ता पड़ेगा.
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