वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) एक फरवरी को वित्त वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट (Budget 2022) पेश करेंगी. कोरोना महामारी और पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) को देखते हुए ये बजट काफी अहम है. बजट को लेकर हर वर्ग की अपनी कुछ उम्मीदें भी हैं. टैक्स देने वाली जनता कुछ राहत की उम्मीद लगाए बैठी है तो वहीं किसान मदद की उम्मीद कर रहे है.
शिक्षा
सबसे पहले बात करते हैं शिक्षा की, क्योंकि पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया. दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संजय सिंह बघेल इस बात पर अफसोस जताते हैं कि आज शिक्षा पर खर्च आम बजट का 3% भी नहीं रह गया है. पिछले बजट में शिक्षा पर खर्च को 6% घटा दिया गया. संजय कुमार सिंह बताते हैं कि अर्जुन सिंह के HRD मंत्री रहते शिक्षा पर अधिकतम 12% का बजट रहा था. उन्हें उम्मीद है कि कम से कम सरकार शिक्षा बजट को 6% के स्तर पर लाएगी.
कृषि
खेती-किसानी की बात करें तो आने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए उम्मीद है सरकार किसानों को खुश रखने की कोशिश करेगी. किसान नेता बृजेश भाटी कहते हैं कि किसान सम्मान निधि ऊंट के मुंह में जीरा है. सरकार को चाहिए कि उपज की सही कीमत दिलाने की व्यवस्था करे. ऐसा तभी हो सकता है जब अधिक से अधिक फसलों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया जाए. भाटी कहते हैं कि स्टोरेज क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.
बैंकों का निजीकरण और विनिवेश नीति
बीते दिनों संसद में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बात को स्वीकार किया था कि दो बैंकों के निजीकरण को अंजाम नहीं दिया जा सका है. सरकार इस दिशा में और आगे बढ़ सकती है. भारतीय बैंक एसोसिएशन ने मांग की है कि 3 साल की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट को टैक्स फ्री किया जाना चाहिए. सेक्टर बिजनेस कॉरेस्पॉडेंट की सेवाओं पर GST, TDS में राहत की उम्मीद करता है. इसी तरह KYC नियमों में थोड़े बदलाव की जरूरत है.
छोटे व्यापारी
लघु उद्यमी केके कठेरिया इस बात पर जोर देते हैं कि आम बजट में खास तौर से लघु उद्योगों के लिए घोषणाएं होनी चाहिए. उन्हें दीर्घकालिक सस्ते ऋण उपलब्ध कराए जाएं. कठेरिया कहते हैं कि कोविड काल में बीते वर्ष केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड़ की जो घोषणा की थी वो बेअसर इसलिए रही क्योंकि MSME वर्ग में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वे आसानी से उपलब्ध कराया जाने वाला लोन भी ले सकें. वे ब्याज लौटाने की स्थिति में नहीं थे. इस पर वित्तमंत्री को ध्यान देना होगा.
नौकरीपेशा
दिल्ली सरकार में प्रथम श्रेणी के अधिकारी क्षितिज कुमार मिश्रा कहते हैं कि महंगाई लगातार बढ़ी है और टैक्स की मार भी. वेतनभोगी कर्मचारी इसका शिकार हुआ है. उनके पॉकेट ढीले हुए हैं. ऐसे में टैक्स की सीमा को ढाई लाख से बढ़ाकर पांच लाख किया जाना चाहिए. आमदनी में कमी की पूर्ति के लिए ज्यादा लोगों को टैक्स के दायरे में लाया जाए.
महिलाओं को बजट 2022 से क्या चाहिए?
ऑनलाइन डिजिटल न्यूज प्लेटफार्म 'शी दा पीपल' के अनुसार बजट 2022 में महिला शिक्षा, रोजगार और उनके नेतृत्व वाले कारोबार को बढ़ावा देने वाले उपाय हों. इसके साथ ही महिलाओं की उम्मीद है कि जेंडर बजटिंग में बढ़ोत्तरी, महिला सुरक्षा और Menstrual Hygiene अवेयरनेस के लिए बजट में बढ़ोत्तरी होगी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)