वर्तमान वित्त वर्ष में रेवेन्यू कलेक्शन की धीमी रफ्तार की वजह से राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) दिसंबर 2019 में ही पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य के 132.4 प्रतिशत पर पहुंच गया है. ये जानकारी महालेखा नियंत्रक की तरफ से जारी आंकड़ों में दी गई है.
महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में रेवेन्यू घाटा यानी खर्च और प्राप्तियों का अंतर 9,31,725 करोड़ रुपये रहा.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में रेवेन्यू घाटा 7,03,760 करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.3 प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य तय किया था. वित्त वर्ष 2018-19 के पहले नौ महीने में रेवेन्यू घाटा बजट अनुमान का 112.4 प्रतिशत रहा था.
दिसंबर तक मात्र 58.4 प्रतिशत रेवेन्यू हुए प्राप्त
महालेखा नियंत्रक के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक सरकार को 11.46 लाख करोड़ रुपये के रेवेन्यू प्राप्त हुए हैं जो बजट अनुमान का मात्र 58.4 प्रतिशत है. पिछले वित्त वर्ष इस समय में यह बजट अनुमान का 62.8 प्रतिशत रहा था.
वर्तमान वित्त वर्ष में कुल खर्च 21.09 लाख करोड़ रुपये
आंकड़ों के अनुसार, रिपोर्टिंग अवधि के दौरान वर्तमान वित्त वर्ष में कुल खर्च 21.09 लाख करोड़ रुपये यानी बजट अनुमान का 75.7 प्रतिशत रहा. पिछले वित्त वर्ष में इसी समय में यह बजट अनुमान का 75 प्रतिशत रहा था.
चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में कुल खर्च में कैपिटल खर्च बजट अनुमान का 75.6 प्रतिशत रहा. पिछले वित्त वर्ष के इसी समय में यह बजट अनुमान का 70.6 प्रतिशत रहा था.
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