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बजट में ओवरऑल टैक्स स्ट्रक्चर देखने की जरूरत: नीलेश शाह 

बजट से पहले कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के एमडी नीलेश शाह से खास बातचीत

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मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट 5 जुलाई को पेश होगा. बजट से पहले क्विंट ने कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट के एमडी नीलेश शाह से बात की और समझना चाहा कि सरकार इस बजट में क्या बड़े एलान कर सकती है . नीलेश शाह का कहना है,

NBFC सेक्टर में लिक्विडिटी क्राइसिस कुछ गिनी चुनी कंपनियों में है, जहां लाइबिलिटी फ्रेंचाइजी कमजोर है. उन्होंने 3-6 महीने का कर्ज लेकर 5-10 साल के एसेट में डाल दिया है. बजट में इन कंपनियों के लिए ज्यादा नहीं किया जा सकता है.जो भी करना है, वो बजट के बाहर करना होगा. कुछ NBFC कंपनियों में जो ALM असंतुलन दिख रहा है उनके लिए अगर रीफाइनेंस विंडो बनाया जाए तो इस क्षेत्र की लिक्विडिटी की समस्या काफी हद तक कम हो सकती है.
नीलेश शाह, एमडी, कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट
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नीलेश शाह के मुताबिक, वित्त मंत्रालय को ये चीज देखनी होगी कि पिछले दो क्वार्टर से हमारी इकनॉमी में एक सॉफ्ट पैच आ रही है.

“दिसंबर 2018 में क्वार्टरली ग्रोथ 6.6% था. मार्च 2019 में 5.8% हो गया. अगर हमें 5 ट्रिलियन डॉलर इकनॉमी बनानी है तो ग्रोथ रेट को ऊपर लाना होगा.”

शाह के मुताबिक, ग्रोथ रेट ऊपर लाने के अलग-अलग तरीके हैं.

  • एक तरीका आरबीआई के पास है, जहां वो इंटरेस्ट रेट ऐसे रखे, जिससे एंटरप्रेन्योर का भी फायदा हो. बचत करने वालों का भी फायदा हो और महंगाई भी काबू में रहे.
  • दूसरा तरीका है कि वो एंटरप्रेन्योर को उतनी लिक्विडिटी दें कि उसे पूंजी मिल सके, जिससे वो निवेश कर पाए. सरकार पर दायित्व है कि वो एंटरप्रेन्योर को सपोर्ट करे.अच्छे नियम-कायदे और अच्छी पॉलिसी से उन्हें कवर दे ताकि वो अपना माल बेच सकें.

फिस्कल डेफिसिट को लेकर पूछे गए सवाल पर नीलेश शाह कहते हैं कि “पिछले 5 सालों में जो फिस्कल डिसिप्लिन का रास्ता अपनाया है, उससे हमारी माइक्रो इकनॉमी स्टेबिलिटी बनी है.आज आप जब सौ रुपये कमाते हैं और 104-105 रुपये खर्च करते हैं तो आपकी फ्यूचर जेनरेशन उसका बोझ उठाती है. ये चार-पांच रुपये भी कंजम्प्शन के ऊपर खर्च होता है और उसके सामने आप कोई एसेट खड़ा नहीं करते हैं. तो ये बोझ बढ़ता जाता है. इसलिए हमारे लिए जरूरी है कि जितनी आमदनी हो उतना ही खर्चा करें.”

ओवरऑल टैक्स स्ट्रक्चर को देखने की जरूरत'

नीलेश शाह का कहना है,

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स से भी ज्यादा हमें अपने टैक्स स्ट्रक्चर को देखना चाहिए.आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था कि जैसे एक मधुमक्खी फूल से शहद निकालती है उसी तरह से राजा को टैक्स लेना चाहिए. पूरे विश्व में हमारे जितना कॉरपोरेट से टैक्स कोई नहीं लेता. हमें केवल लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स ही नही ओवरऑल टैक्स स्ट्रक्चर को देखने की जरूरत है. ताकि हम मधुमक्खी की तरह शहद निकालें और लोग प्यार से दे दें.

'पांच ट्रिलियन इकनॉमी के सपने के लिए रोडमैप की जरूरत'

प्रधानमंत्री के पांच ट्रिलियन इकनॉमी के सपने पर नीलेश शाह कहते हैं कि इसके लिए निवेश करना जरूरी है. निवेश के लिए बचत होना जरूरी है. बचत तो हो जाती है लेकिन जब एलोकेशन करने जाते हैं तो गलत हो जाते हैं, इसके अलावा सरकार को बजट बैलेंस करने की जरूरत है.

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