केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला पूर्ण बजट पेश किया. बजट पेश करते हुए सीतारमण ने कहा कि डेटा अब नया ‘तेल’ है.
बता दें कि कुछ दिनों पहले आईटी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने NIC टेक कॉन्क्लेव 2020 में कहा था कि भारत को डेटा रिफाइनरी प्रोसेस के लिए एक बड़ा सेंटर बनना चाहिए. इससे पहले भी एक इवेंट में वो कह चुके हैं कि भारत के पास डेटा रिफाइनरी सेंटर बनने की क्षमता है. भारत को डिजिटल इंडिया का सपना दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डेटा की अहमियत बता चुके हैं.
तो क्या है डेटा रिफाइनरी?
आसान भाषा में कहें तो जैसे कच्चे तेल को रिफाइन कर इस्तेमाल में लाने के लायक बनाया जाता है, वैसा ही कुछ है डेटा रिफाइनरी. इंटरनेट के इस युग में दुनियाभर में लोग हर सेकेंड डेटा जेनरेट कर रहे हैं. सभी के पास स्मार्टफोन है. लगभग सभी ऐप्स इंटरनेट से चलते हैं. फिर चाहे इंस्टैंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp हो या म्यूजिक ऐप्स, या सोशल मीडिया या बैंकिंग, शॉपिंग ऐप्स. आप और हम चौबीस घंटे इंटरनेट से कनेक्टेड रहते हैं
एसएमएस से लेकर गूगल पर किया गया एक सर्च तक, सब डेटा है. ऐसे में हम हर सेकेंड डेटा जेनरेट कर रहे हैं.
ये तो हुई डेटा की बात. अब बात करते हैं डेटा रिफाइनरी की, जिसकी बात निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश के वक्त कर रही थी. रिफाइनिंग एक प्रक्रिया है, जिसमें किसी चीज में सुधार किया जाता है, उसे साफ किया जाता है और उसे इस्तेमाल के लायक बनाया जाता है. और यही काम डेटा के साथ भी किया जाएगा. अगर इसे ऐसे समझे कि जैसे वाहन डेटाबेस में लोगों का रजिस्ट्रेशन और इंजन नंबर जैसी जानकारियां होती हैं. वहीं, सारथी डेटाबेस में ड्राइविंग लाइसेंस का रिकॉर्ड होता है.
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