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बजट से पहले सरकार के लिए बुरी खबर,इकनॉमी खराब होने के 4 संकेत मिले

मार्केट में अब भी डिमांड नहीं है. कंस्ट्रक्शन सुस्त है. सरकार को मिलने वाले टैक्स में भी गिरावट है

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हाल ही में आए कुछ नए आकंड़ों से ये बात एक बार फिर पुख्ता हो रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चौपट हालत में है. 5 जुलाई को दोबारा जीतकर आई मोदी सरकार का पहला बजट पेश किया जाना है. इसके पहले इकनॉमी के कुछ मोर्चों पर बुरी खबरें हैं. मैन्यूफैक्चरिंग की हालत खराब है. मार्केट में अब भी डिमांड नहीं है. कंस्ट्रक्शन सुस्त है. सरकार को मिलने वाले टैक्स में भी गिरावट है.

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लगातार 8वें महीने ऑटो बिक्री में गिरावट

ऑटो कंपनियों ने अपनी बिक्री के जो ताजा आंकड़े जारी किए हैं, उनमें फिर गिरावट देखने को मिली है. जून में लगातार आठवें महीने ऑटो कंपनियों के बिक्री के कमजोर आंकड़े हैं. ऑटो कंपनियों के भारी आकर्षक ऑफर्स के बाद भी ऑटो सेक्टर में डिमांड गिर गई है. अगर पिछले साथ के इसी महीने के साथ कंपनियों की बिक्री की तुलना करेंगे तो सेल्स में करीब 20 परसेंट की गिरावट है.

मैन्यूफैक्चिरिंग सेक्टर पर भी मार

मई के मुकाबले जून में परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में भी खासी गिरावट देखने को मिली है. PMI देश में मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में प्रोडक्शन का पैमाना है. मई में PMI 52.7 था जो जून में गिरकर 52.1 हो गया है.

ये इंडेक्स देश की 400 कंपनियों में किए गए सर्वे पर आधारित होता है और ये देश में मैन्यूफैक्चरिंग की सेहत दर्शाता है.

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जीएसटी कलेक्शन 1 लाख करोड़ रुपये के नीचे आया

जून में जीएसटी कलेक्शन का जो ताजा डाटा है उसके मुताबिक जीएसटी कलेक्शन एक लाख करोड़ रुपये के नीचे आ गया है. ये इस फाइनेंशियल ईयर का सबसे कम जीएसटी कलेक्शन है. वित्त मंत्रालय के मुताबिक जून में सरकार 99,939 करोड़ जीएसटी की ही उगाही कर पाई है, जबकि अप्रैल में ये आंकड़ा 1,13,865 करोड़ था.

अगर सरकार को अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करना है तो जीएसटी कलेक्शन का आंकड़ा 1 लाख करोड़ के पार होना चाहिए.
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खरीफ बुआई में 12.5% की गिरावट

कृषि के क्षेत्र में भी हालात खराब ही है. खरीफ फसलों की बुआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक पिछले साले की तुलना में इस साल करीब 12.5% की गिरावट आई है. अगर औसत बुआई से तुलना करें तो हालत और भी खराब है. औसत बुआई से इस साल अब तक 14.2% कम बुआई हुई है. बुआई में इस गिरावट की वजह मानसून में देरी है.

बुआई में देरी से फर्टिलाइजर, बीज, ट्रैक्टर इन सब की मांग में भी गिरावट देखने को मिली है. ग्रामीण क्षेत्रों में कम डिमांड ही इकनॉमी की सुस्ती की वजह बनी हुई है.

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पहले से ही चौपट है इकनॉमी की हालत

साल 2018-19 की चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर महज 5.8 फीसदी रही है, जो कि 5 सालों में सबसे कम है. NSSO के 2017-18 जॉब सर्वे के मुताबिक, बेरोजगारी दर 45 साल का सबसे ऊंचा स्तर छू चुकी है.

अब जब कुछ दिन बाद 5 जुलाई को बजट पेश होगा तो सरकार को डिमांड बढ़ाने के लिए बूस्ट देना होगा, तभी इकनॉमी के रुकी हुई गाड़ी को धक्का लगेगा. सरकार को ऐसे क्षेत्रों में निवेश करना होगा जिससे मांग बढ़े. मांग बढ़ने से प्रोडक्शन होगा और रुकी हुई गाड़ी दौड़ पड़ेगी.

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