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रेंटल पॉलिसी क्या है? कैसे मिलेगा रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट

कई लोगों का मानना है कि भारत में रेंटल हाउसिंह पॉलिसी अब वक्त की जरूरत है

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यूनियन बजट 2020 आने में कुछ ही वक्त बचा है और अलग-अलग सेक्टर की उम्मीदों पर बात होने लगी है. कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर भी इंडस्ट्री की तरफ से कई मांगें उठ रही हैं. इन्हीं मागों में से एक है रेंटल हाउसिंह पॉलिसी आसान भाषा में कहें तो किराए पर घर देने की सरकारी नीति. कई लोगों का मानना है कि भारत में रेंटल हाउसिंह पॉलिसी अब वक्त की जरूरत है. खबरें हैं कि सरकार भी इस पर काफी दिनों से काम कर रह रही है.

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आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने 2015 में नेशनल अरबन  रेंटल हाउसिंग पॉलिसी का ड्राफ्ट जारी किया गया था. 

क्या है रेंटल पॉलिसी?

भारत में एक विस्तृत रेंटल हाउसिंग मार्केट बनाने के लिए रेंटल पॉलिसी की सख्त जरूरत है. ये पॉलिसी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी को किराए पर देने के लिए नियम कायदे तय करेगी. इससे जुड़ी सारी कानूनी, सांस्थानिक सहायता देगी. विवाद होने पर मामलों का निपटारा इसी नीति के तहत किया जाएगा. इससे रियल एस्टेट सेक्टर में बनी बनाई प्रॉपर्टी को किराए पर दिए जाने का आसान और सरल रास्ता खुलेगा.

क्या हैं रियल एस्टेट सेक्टर की दिक्कतें

देश में लाखों ऐसे लोग हैं जो एक साथ मकान का किराया भी दे रहे हैं और EMI भी चुका रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें सालों से पजेशन नहीं मिला है. और पजेशन इसलिए नहीं मिल रहा क्योंकि पूरा रियलिटी सेक्टर मंदी की चपेट में है. कई चीजें जैसे RERA, नोटबंदी, GST की वजह से इस सेक्टर में काफी स्लोडाउन हो गया था. लोग अपनी चीजों को टाल रहे थे क्योंकि GST 12% थी. अगले 5-6 महीने में जैसे ही बाजार में नकदी आएगी, इस सेक्टर भी सुधार हो जाएगा.

बाजार में सुस्ती को लेकर हीरानंदानी का कहना है कि ऐसा दो वजहों से ऐसा हो रहा है.

  1. लिक्विडिटी की कमी
  2. बाजार के हालात
बाजार में गिरावट है. प्रीमियम सेगमेंट पर इस गिरावट का असर ज्यादा देखने को मिलता है. अफोर्डेबल सेगमेंट कम भाव में है और सरकार ने उन्हें काफी राहत दी है. सरकार ने GST, क्रेडिट अवेलबिलिटी और कंसेशन में राहत दी है, लिहाजा अफोर्डेबल सेगमेंट की स्पीड ज्यादा है.

होम बायर्स की इस बजट से क्या हैं उम्मीदें?

ट्रैक 2 रियल्टी के सीईओ रवि सिन्हा बताते हैं कि इस बजट में हमें फैंस सीटिंग बायर को देखने की जरूरत हैं. जब हम एसपाइरिंग बायर की बात करते हैं. तो जिस मुद्दे पर कहीं बात नहीं हो रही है वो है कि रोजगार पैदा करने के लिए सरकार क्या कदम उठाती है.

डेवलपर्स की क्या हैं दिक्कतें?

रियल एस्टेट इंडस्ट्री में डेवलपर्स की अपनी दिक्कतें हैं. रेरा और जीएसटी आने के बाद से कारोबार करना कठिन हो गया है. बिल्डर्स को कर्ज लेने में काफी दिक्कतें आ रही हैं. रियल एस्टेट में कामकाज करने वालों की मांग है उनके इस सेक्टर को इंडस्ट्री का दर्जा दिया जाए.

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