भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने सीएनबीसी टीवी-18 चैनल को दिए विशेष इंटरव्यू में कहा है कि बैंकिंग रेगुलेटर सिस्टम की संस्थागत पहचान पूरी तरह से डैमेज हो गई है. उन्होंने कहा कि आरबीआई एक सेंट्रल बैंकिंग सिस्टम है, इस नाते इनका जोर सिर्फ मॉनेटरी पाॅलिसी या मौद्रिक नीति पर ही है.
रेड्डी ने सवाल उठाते हुए कहा कि मॉनेटरी पाॅलिसी एक अलग राह पर है ऐसे में रेगुलेशन और करेंसी संबंधित कामों के लिए कौन जवाबदेह होगा?
उन्होंने कहा- भारतीय रिजर्व बैंक को महज एक रेगुलेटर के तौर पर नहीं देख सकते. सेंट्रल बैंक के रोल को खतरा है, जोकि एक राष्ट्रीय समस्या है.
नोटबंदी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि “दर्द हुआ है. सवाल बना हुआ है कि हम कैसे अधिक से अधिक फायदा उठा पाएं. यह समस्या से निपटने की शुरुआत है.”
उन्होंने दलील देते हुए कहा कि कालेधन को हर रूप में टारगेट करना होगा. दुनिया में सबसे कम टैक्स वाले देशों में भारत है. कैश को खत्म करके हम कालेधन से नहीं निपट सकते. यह एक बहुत बड़ी समस्या है.
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