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नोटबंदी के बाद गोल्ड मार्केट का हाल!

अग्रणी कंसल्टेंट जीएफएमएस का तो मानना है कि नोटबंदी के असर से भारत में गोल्ड डिमांड सालाना 300 टन तक घट सकता है.

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दुनिया में सोने के सबसे बड़े खरीदार देशों में शामिल भारत में सोने की मांग घट रही है. पहली बार में सुनने में ये खबर सच नहीं लग सकती, लेकिन सच यही है, जो वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की स्टडी से निकलकर सामने आया है. दरअसल, गोल्ड की डिमांड में गिरावट की सबसे बड़ी वजह बनी है नवंबर और दिसंबर के महीने में चली नोटबंदी. वैसे तो नोटबंदी ने देश में कई सेक्टरों की ग्रोथ पर निगेटिव असर डाला, लेकिन ज्वेलरी की मांग को इसकी जोरदार चोट झेलनी पड़ी. इतनी तगड़ी चोट कि इससे उबरने में देश के ज्वेलरी उद्योग को 6 महीने तक का समय लग सकता है.

वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के मुताबिक, भारत में सोने की मांग साल 2016 में सात साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. काउंसिल ने पूरे साल में गोल्ड की खपत का पूर्वानुमान 650 से 750 टन तक सीमित कर दिया है, जबकि साल 2015 में देश में 858 टन सोने की खपत हुई थी.

यानी 2016 में खपत में 24 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. (देखें ग्राफिक्स) यही नहीं, अंदाजा ये भी है कि ये गिरावट 2017 में भी जारी रह सकती है क्योंकि लोग सोने में निवेश करने से कतरा रहे हैं. दुनिया की अग्रणी कंसल्टेंट जीएफएमएस का तो मानना है कि नोटबंदी के असर से भारत में गोल्ड डिमांड सालाना 300 टन तक घट सकता है.

अग्रणी कंसल्टेंट जीएफएमएस का तो मानना है कि नोटबंदी के असर से भारत में गोल्ड डिमांड सालाना 300 टन तक घट सकता है.
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पिछले सात सालों में देश में सोने की औसत खपत 875 टन रही है, जिसका 85-90 फीसदी इंपोर्ट किया जाता है. लेकिन नोटबंदी के पहले भी सितंबर के महीने तक सोने का मासिक इंपोर्ट पिछले सालों के मुकाबले करीब आधा ही हो रहा था. अक्टूबर और नवंबर के महीने में गोल्ड इंपोर्ट में त्योहारी खरीद और शादियों के सीजन की वजह से सुधार दिखा, लेकिन नोटबंदी के ऐलान के बाद मांग में तेज गिरावट आ चुकी है.

नवंबर के महीने में गोल्ड इंपोर्ट ने 100 टन का आंकड़ा छू लिया और ऐसा माना जा रहा है कि लोगों ने अपने पुराने नोटों का इस्तेमाल करने के लिए पिछली तारीखों में खूब सोना खरीदा.

लेकिन इस महीने की बात छोड़ दें तो दिसंबर में गोल्ड इंपोर्ट में पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 71 परसेंट की गिरावट आई और देश में सिर्फ 31 टन गोल्ड आया. (देखें ग्राफिक्स) ऐसे में जीएफएमएस ने कैलेंडर ईयर 2016 में गोल्ड इंपोर्ट का आंकड़ा 492 टन का दिया है.

अग्रणी कंसल्टेंट जीएफएमएस का तो मानना है कि नोटबंदी के असर से भारत में गोल्ड डिमांड सालाना 300 टन तक घट सकता है.
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जीएफएमएस के मुताबिक भारत में गोल्ड डिमांड का करीब एक तिहाई खेती पर आश्रित परिवारों से आता है और इसकी ज्यादातर खरीद कैश में होती है. नोटबंदी के बाद देश भर में कैश की किल्लत की वजह से ग्रामीण इलाकों में सोने की खरीद करीब-करीब ठप्प पड़ गई. साथ ही, इस दौरान कैश ट्रांजेक्शंस पर कई तरह की पाबंदियों के चलते जरूरतमंद लोगों ने भी ज्वेलरी की खरीद को टाल दिया.

विशेषज्ञों का मानना है कि शादी-विवाह में जरूरत के लिए लोग गहने खरीदेंगे तो जरूर, लेकिन निवेशक इससे दूर ही रहेंगे. गौरतलब है कि देश में सोने की जितनी खपत होती है, उसका 65 परसेंट शादी-विवाह की जरूरतों के लिए इस्तेमाल होता है. ज्वेलर्स के लिए उम्मीदें इसी डिमांड पर टिकी हैं.

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