ADVERTISEMENTREMOVE AD

नोटबंदी: ईंधन की खपत में गिरावट, मुश्किल में अर्थव्यवस्था !

नोटबंदी के 3 महीने पूरे हो चुके हैं. इन तीन महीनों में देश को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

नोटबंदी के 3 महीने पूरे हो चुके हैं. इन तीन महीनों में देश को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, हालांकि केंद्र सरकार का बार-बार कहना था कि कुछ महीनों में हालात सामान्य हो जाएंगे, लेकिन अब जो आंकड़े लगातार सामने आ रहे हैं वो अर्थव्यवस्था के भारी नुकसान की तरफ इशारा कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD


नोटबंदी के 3 महीने पूरे हो चुके हैं. इन तीन महीनों में देश को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा
फोटो- iStock
0

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद देश में कच्चे तेल की मांग में भारी गिरावट देखने को मिली है. हालात ये है कि कच्चे तेल की मांग घटकर साल 2003 के बराबर पहुंच गई है.

ईंधन की खपत में 4.5 फीसदी की गिरावट

ईंधन की खपत में पिछले साल के मुकाबले 4.5 फीसदी का नुकसान देखने को मिला है. एक साल पहले तक ईंधन की खपत 16.2 मिलियन टन थी. जो इस साल जनवरी के महीने में गिरकर 15.5 मिलियन टन पर आ गई.

डीजल की खपत में सितंबर के बाद से अब तक की सबसे बड़ी गिरावट रिकॉर्ड की गई, 7.8 फीसदी गिरावट के बाद डीजल की खपत देश में 5.8 मिलियन टन हो गई है. ईंधन की मांग में इस तरह की गिरावट अर्थव्यवस्था में भारी नुकसान की तरफ इशारा कर रहे हैं.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मुश्किल में है अर्थव्यवस्था !

पिछले साल 8 नवंबर को हुए नोटबंदी के फैसले का असर कम होते नजर नहीं आ रहा, हाल ही में जारी हुए अर्थव्यवस्था के सर्वे में जीडीपी में गिरावट की आशंका जताई गई है, पिछले साल के 7.9 फीसदी के मुकाबले इस साल जीडीपी 6.5 फीसदी ही रहने का अनुमान है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD


नोटबंदी के 3 महीने पूरे हो चुके हैं. इन तीन महीनों में देश को कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा
फोटो- द क्विंट
ADVERTISEMENTREMOVE AD

सिर्फ इतना ही नहीं दिग्गज टेक कंपनी एपल के आइफोन के आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं. इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आईफोन नोटबंदी का शिकार हुआ है. हालात ये है कि कंपनी को भारत में अपने सेल्स टारगेट्स को पूरा करने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रही है.

कैश की किल्लत ने लगाई बिक्री पर रोक

कैश की भारी किल्लत इसकी सबसे खास वजह है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स और खुदरा दुकानों से जो आईफोन खरीदे जाते हैं उसमें से 80 फीसदी कैश से ही खरीदे जाते हैं, जिस पर नोटबंदी के बाद के महीनों में लगाम सी लग गई है. नोटबंदी के बाद जहां दूसरे स्मार्टफोन्स की बिक्री में 30-35 फीसदी गिरावट दर्ज हुई वहीं आईफोन की ग्रोथ रेट 50 फीसदी तक कम हो गई है.

खरीदारी में भारी गिरावट को देखने के बाद कंपनी ने अक्टूबर 2016 से नवंबर 2017 के फिस्कल ईयर के लिए भारत में अपना रेवेन्यू टारगेट 3 बिलियन डॉलर से घटाकर 2 बिलियन डॉलर कर दिया है. अर्थव्यवस्था की जो हालत है उसे देखकर फिलहाल तो हालात सुधरने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×