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कहां खो गए हैं 500 रुपये के नए नोट, जिम्मेदार कौन, RBI या सरकार? 

इकोनॉमी में जरूरी 1660 करोड़ 500 रुपये के नोटों की जरुरत है जिनके बदले अभी तक छपे हैं केवल एक करोड़ नोट.

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कालेधन पर हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद हर कोई ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर 500 रुपये का नया नोट है कहां? हम लोगों ने इसे टीवी या वॉट्सएप पर देखा है लेकिन बहुत से लोगों ने अभी तक रियल लाइफ में इसे छुआ भी नहीं है. दरअसल इसके पीछे का कारण नोट प्रिंटिंग में हुई अनियमितताएं हैं.

  • कुल मिलाकर पहले 500 रुपये के 1660 करोड़ नोट चलन में थे
  • लेकिन अभी तक 500 रुपये के केवल एक करोड़ नोट ही छापे गए हैं
  • भारतीय करेंसी की टोटल कीमत का आधे से ज्यादा हिस्सा 500 रुपये के नोटों में था
  • 500 रुपये के नोट छापने वाली कॉरपोरेशन में सीएमडी तक नहीं है
  • कॉरपोरेशन और आरबीआई के बीच जारी है लड़ाई
  • ऐसी करेंसी प्रेस जिनमें 500 के नए नोटों की छपाई के लिए आधुनिक मशीनें हैं उन्हें नोट छपाई का काम नहीं दिया गया है
  • पूर्व आरबीआई गवर्नर ने भी कहा कि 500 के नए नोट की छपाई में हुईं हैं अनियमितताएं

500 के नोट की छपाई में हुई देरी की पड़ताल के पहले हमें इस नोट की अहमियत समझनी होगी. 8 नवंबर को नोटबंदी से पहले 500 रुपये के 1660 करोड़ नोट चलन में थे, जिनकी कीमत 8.3 लाख करोड़ थी. यह कीमत कुल करेंसी (16.28 करोड़) की आधे से ज्यादा थी.

लेकिन 500 रुपये के नए नोट की प्रिंटिंग डिमॉनेटाइजेशन की घोषणा से एक हफ्ते पहले ही शुरू हुई थी. पिछले तीन हफ्तों में केवल एक करोड़ नोट ही प्रिंट हो पाए हैं. स्थिति को सामान्य होने के लिए अभी भी 1659 करोड़ नोटों की जरुरत है.

दूसरे शब्दों में अभी तक आरबीआई केवल 0.06 फीसदी 500 रुपये के नए नोटों की छपाई कर पाया है. यह कहना काफी मुश्किल है कि 500 रुपये के नए नोटों की पूरी छपाई कब तक हो पाएगी.

आखिर इस देरी का कारण क्या?

इकोनॉमी में जरूरी 1660 करोड़ 500 रुपये के नोटों की जरुरत है जिनके बदले अभी तक छपे हैं केवल एक करोड़ नोट.
करेंसी नोट प्रेस में पिछले तीन हफ्तों से बिना छुट्टी के काम जारी है (फोटो: आशीष दीक्षित/द क्विंट)

इस बात का जवाब लेने के लिए हम नासिक में स्थित करेंसी नोट प्रेस (सीएनपी) पहुंचे, जहां 500 के नए नोटों की छपाई का काम जारी है. सीएनपी के अलावा मध्यप्रदेश के देवास में स्थित करेंसी प्रेस में भी इन नोटों की छपाई जारी है. दोनों प्रेसों का स्वामित्व एसपीएमसीआईएल नाम के कार्पोरेशन के पास है. यह कार्पोरेशन वित्त मंत्रालय के अधीन काम करता है.

आरबीआई 2000 के नए नोटों को प्रिंट करने वाले खुद की दो प्रेसों को चलाता है. इन नोटों की प्रिंटिंग का काम डिमॉनेटाइजेशन की घोषणा के दो महीने पहले से जारी है. इन प्रेसों में आधुनिक मशीनें हैं जो तेजी के साथ नोट प्रिंट करती हैं.

आधुनिक मशीनों को लगाने और 2000 के नोटों की प्रिंटिंग का आदेश पहले से मिलने की वजह से इन नोटों ने डिमॉनेटाइजेशन की घोषणा को 48 घंटे के भीतर 2000 रुपये के नोट बैंकों को सप्लाई कर दिए.

लेकिन 500 के नए नोट के मामले में, आरबीआई और वित्त मंत्रालय ने इसी तरह का प्रबंध क्यों नहीं किया? 500 के नोटों की प्रिंटिंग सात महीने बाद शुरू क्यों की गई? क्यों ऐसी दो प्रेसों को नोट छापने का काम दिया गया जिनकी मशीनरी काफी पुरानी है? किसने ये फैसला लिया?

आरबीआई और करेंसी प्रेस में जारी गतिरोध

हालांकि 500 रुपये के नोटों पर काम करने वाली करेंसी नोट प्रेस( नासिक) के कर्मचारियों को प्रेस से बात करने की मनाही है. लेकिन कुछ लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बोलने पर सहमति जताई. उन्होंने साफ तौर पर नोटों में देरी की जिम्मेदारी आरबीआई पर डाली.

हमनें नोटों पर डिजाइन, पेपर और अनुमति मिलने के बाद काम शुरू किया. आरबीआई अॉफिसरों के पास नोट प्रिंटिंग में अनुभव की कमी है. उन्हें वास्तविकता मालूम नहीं है. आरबीआई ने खुद के दो प्रेस बनाए हैं जिनमें वह 2000 के नोटों की छपाई कर रहा है.

लेकिन वहां प्रिटिंग की क्वालिटी घटिया है. वो नोटों को सूखने के लिए भी पर्याप्त समय नहीं देते हैं. हम 1925 से प्रिटिंग के धंधे में हैं लेकिन अब आरबीआई खुद प्रिटिंग से लेकर डिजाइनिंग तक सब करना चाहता है. उसे केवल रेगुलेटर के बतौर काम करना चाहिए.

एसपीएमसीआईएल छपाई में कुशलता के लिए नहीं जाने जाती है. ये प्रेस बेहद सुस्त है. लेकिन सबसे अहम कि एसपीएमसीआईएल में सीईओ नहीं है. आखिर उनके पास ऐसे अहम समय में कैसे कोई लीडर नहीं है? कौन वहां तेजी से फैसले लेगा?
केसी चक्रवर्ती, पूर्व आरबीआई डिप्टी गवर्नर

एमएस राणा को एसपीएमसीआईएल के सीएमडी पद से जुलाई 2016 में हटा दिया गया था. वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रवीण गर्ग को नई नियुक्ति न होने तक इसका प्रभार दे दिया गया था.

चक्रवर्ती से जब पूछा गया कि नियुक्ति में देरी के लिए कौन जिम्मेदार है तो उन्होंने नाम लेने से इंकार कर दिया. लेकिन उन्होंने इसका दोष वित्त मंत्री पर डाला.

हम नहीं जानते कौन उत्तरदायी है. यह जांच का विषय है. जो लोग नियुक्ति के लिए उत्तरदायी हैं उनसे ये सवाल किए जाने चाहिए. उन्हें पूरे कार्यक्रम को अच्छे तरीके से प्लान करना था.
केसी चक्रवर्ती, पूर्व आरबीआई डिप्टी गवर्नर

क्विंट ने ये सवाल वित्त मंत्रालय के सामने रखा, जिन्होंने इसे टालने की कोशिश की.

भर्ती की प्रक्रिया जारी है. जिन अधिकारियों को प्रभार दिया गया है वो स्थिति को संभालने में सक्षम हैं. नोटबंदी की घोषणा एकदम से हुई है. कुछ क्षेत्रों में समस्याएं हो सकती हैं लेकिन हमने स्थिति को संभाल लिया है.
डी एस मलिक, प्रवक्ता, वित्त मंत्रालय

क्या RBI इस पर कुछ बोलेगा?

इकोनॉमी में जरूरी 1660 करोड़ 500 रुपये के नोटों की जरुरत है जिनके बदले अभी तक छपे हैं केवल एक करोड़ नोट.
उर्जित पटेल और अरुण जेटली (फोटो: रॉयटर्स)

तो कहा जा सकता है कि रेगुलेटर और 500 रुपये के नोटों के प्रिंटर कार्पोरेशन के बीच तालमेल नहीं है. प्रिटिंग के लिए उत्तरदायी कार्पोरेशन में फुल टाइम सीईओ ही नहीं है.

अगर आरबीआई की तरफ से कुछ जवाब आता है तो इन सवालों के जवाब मिल सकते हैं. लेकिन क्विंट द्वारा भेजी गई प्रश्नावली का आरबीआई ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है.

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