5G स्पेट्रम की नीलामी मंगलवार, 26 जुलाई यानी आज होनी है. सरकार को इससे एक लाख करोड़ या इससे ज्यादा की कमाई की अपेक्षा है. इस नीलामी में बिकने वाले कुल स्पेक्ट्रम की कीमत 4.3 ट्रिलियन होगी और इसकी वेलिडिटी 20 साल की होगी. इस रेस में बिड करने वाली कंपनियां रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडाफोन आईडिया और अडानी समूह शामिल है.
कुछ समय पहले ही अडानी समूह (Adani Group) ने एक बयान में बताया कि उनकी कंपनी भी 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी में भाग लेने के लिए आवेदन किया है. अडानी ग्रुप एयर पोर्ट्स, बंदरगाहों के लिए प्राइवेट नेटवर्क के लिए स्पेक्ट्रम का उपयोग करने की तैयारी में है.
भारत एक अरब से अधिक ग्राहकों के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वायरलेस का मार्केट है. रिलायंस जियो ने बिड के लिए 14 हजार करोड़ रुपये जमा किए हैं जो अडानी के मुकाबले में 140 गुना, वोडाफोन आईडिया की तुलना में 6.3 गुना और एयरटेल की तुलना में 2.5 गुना ज्यादा है.
5G को लेकर सरकार का लक्ष्य है कि यह 4G की तुलना में लगभग 10 गुना तेज डेटा स्पीड दे सकता है जो सेल्फ-ड्राइविंग कारों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती टेक्नोलॉजी के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.
26 जुलाई, 2022 को शुरू होने वाली 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान कम से कम 4.3 लाख करोड़ रुपयों के कुल 72,097.85 मेगाहर्ट्ज (MHz) स्पेक्ट्रम को नीलामी के लिए पेश किया जाएगा.
नीलामी कई कैटेगरी में होगी जैसे Low (600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज), Midium (3300 मेगाहर्ट्ज) और High (26 गीगाहर्ट्ज)
मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक कंपनी स्पेक्ट्रम खरीदती है उसको 6 महीने से 1 साल के अंदर सर्विस शुरू करनी ही होगी, यह सरकार का मेनडेट होता है. कई टेलीकॉम ऑपरेटर अपनी तैयारी पूरी कर चुके हैं, ऐसे में वह स्पेक्ट्रम खरीदने के 3 से 6 महीने के अंदर सर्विस शुरू कर सकते है. ऐसे में इस साल के आखिर तक 5G सर्विस मिलने की पूरी संभावना है.
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