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जनधन: 6 साल बाद 8 Cr खाते ठनठन, आधे से ज्यादा के पास दूसरा खाता भी

जन धन योजना में कितने लोगों के खाते खुले, इनमें कितने पैसे जमा हुए, कितने लोगों के खाते एक्टिव हैं?

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प्रधानमंत्री जन धन योजना 28 अगस्त 2014 को लॉन्च हुई थी. इस योजना का लक्ष्य था आम और गरीब लोगों तक फाइनेंशियल सर्विसेज पहुंचाना. इसके अलावा इसमें फाइनेंशियल लिटरेसी, कर्ज की सुविधा, इंश्योरेंस और पेंशन भी शामिल किए गए थे. ऐसे में योजना शुरू होने के 6 साल पूरे होने पर ये जानना जरूरी है कि कितने लोगों के खाते खुले, इनमें कितने पैसे जमा हुए, कितने लोगों के खाते एक्टिव हैं?

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स्कीम का शुरुआती लक्ष्य 7.5 करोड़ बैंक अकाउंट खोलने का था. लेकिन शुरुआती कुछ ही महीनों में ये लक्ष्य पूरा कर लिया गया. योजना शुरू होने के शुरुआती दो साल में ही करीब 26 करोड़ लोगों के जन धन खाते खुले. लेकिन बाद में ये शिकायतें आईं कि इन अकाउंट्स के खोले जाने के बाद से काफी सारे अकाउंट्स में कम ही एक्टिविटी देखने को मिली है.

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अगस्त 2018 में इस स्कीम को चार साल पूरे हो गए और तब तक 32 करोड़ से ज्यादा अकाउंट खोले जा चुके थे लेकिन इस योजना को इसके बाद 4 साल के लिए और बढ़ा दिया गया. लक्ष्य रखा गया कि हर वयस्क नागरिक के पास जन धन खाते की पहुंच हो. सरकार ने इस साल इस योजना के तहत और कई सारे फाइनेंशियल बेनीफिट शामिल किए. सरकार ने हाउसहोल्ड ओवरड्राफ्ट की लिमिट को 5000 से बढ़ाकर 10000 कर दिया और 2000 से ज्यादा के ओवरड्राफ्ट पर लगने वाली शर्तों को हटा लिया गया.

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अब तक 40 करोड़ से ज्यादा जन धन खाते

अब 19 अगस्त 2020 तक कुल 40.35 करोड़ जनधन खाते खुल चुके हैं. इसमें से करीब 22 करोड़ खाते महिलाओं के खुले हैं. जून 2020 तक के डाटा के मुताबिक ज्यादातर लोगों (79.4%) के जन धन खाते पब्लिक सेक्टर बैंक में ही खुले हैं, 17.4% लोगों के खाते रीजनल रूरल बैंकों में खुले हैं. वहीं सिर्फ 3.2% खाते ही प्राइवेट बैंकों में खोले गए हैं.

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19% अकाउंट में कोई एक्टिविटी नहीं

जन धन योजना के तहत जो अकाउंट खोले गए उनमें से ज्यादातर ऐसे लोग थे जो पहली बार बैंकिंग सर्विसेज तक पहुंचे थे. इसलिए इन अकाउंट में अगर कोई एक्टिविटी नहीं होती है तो इनके इनएक्टिव होने का होने का डर था. देश की वित्त मंत्री ने लोकसभा में जानकारी दी कि जनवरी 2020 तक 37.8 करोड़ अकाउंट्स के 18.7% अकाउंट डोरमेंट थे. ऐसे इनएक्टिव अकाउंट सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात में पाए गए हैं.

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जन धन योजना में वो भी शामिल जिनके पास पहले से ही अकाउंट

UK स्थित डेवलवमेंट इंस्टीट्यूट मैन्युएला क्रिस्टिन गुंटेर की रिसर्च में जन धन योजना लागू होने के पहले और बाद में सर्वे किया गया और फर्क का पता लगाने की कोशिश की गई. इस रिसर्च में निकलकर आया कि जिन लोगों ने जनधन खाता खुलवाया है उनमें से 51% लोगों के पास जनधन के अलावा भी एक और अकाउंट खुला हुआ है. ये बात साफ गवाही देती है कि जो हम 40 करोड़ लाभार्थियों का आंकड़ा देख रहे हैं ये सारे लोग पहली बार फाइनेंशियल सिस्टम से जुड़ने वाले लोग नहीं है.

लोगों के कर्ज लेने का रेश्यो भी गिरा

जन धन योजना के साथ एक और अहम पहलू लोन का जुड़ा है. इस योजना के तहत 10,000 रुपये का ओवर ड्राफ्ट लिया जा सकता है. इंडिया स्पेंड ने RBI की रिपोर्ट का विश्लेषण किया है जिसके मुताबिक भारत का क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो भी पिछले सालों में गिरा ही है. 100 रुपय के जमा पर लोग कितना कर्ज ले रहे हैं क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो यही दिखता है, मतलब जितना ज्यादा ये रेट होगा लोगों को उतना ज्यादा कर्ज मिल रहा है. ग्रामीण बैंकों में ये क्रेडिट डिपॉजिट रेश्यो 1998 में 46.2% था जो कि 2014 में बढ़कर 68.1% हो गया. लेकिन 2017 में ये गिरकर 62.8% पर आ गया. इसके बाद 2018 में ये बढ़ोतरी के साथ 65.2% पर आया.

जन धन योजना का लक्ष्य था हर नागरिक तक फाइनेंशियल सर्विसेज पहुंचाने के लिए उसके नाम से बैंक में बेसिक सेविंग या डिपॉजिट अकाउंट खोलना, रेमीटेंस की सुविधा देना, कर्ज देना, इंश्योरेंस, अर्फोर्डेबल तरीके से पेंशन देना. इस योजना के तहत किसी भी प्राइवेट या पब्लिक बैंक की ब्रांच में या फिर बैंक मित्र के जरिए बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट अकाउंट खोला जा सकता है.

कोरोना संकट में राहत राशि 40% लोगों तक नहीं पहुंची


कोरोना संकट के बाद देश की वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सभी महिला जनधन खातों में 500 रुपये सहायता के रूप में जमा करने का ऐलान किया था. करीब 20 करोड़ महिलाओं के खातों में करीब 10,300 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए. इंडस एक्शन ने 11 राज्यों के 5,242 परिवारों पर सर्वे किया है. इस सर्वे के मुताबिक सिर्फ 59% महिलाएं ऐसी हैं जिनको बेनीफिट मिलने के बारे में जानकारी मिली है. वहीं 34% महिलाओं का कहना है कि उनको ट्रांसफर नहीं मिला, वहीं 7% महिलाएं ऐसी हैं जिनको नहीं पता कि उनको बेनीफिट मिला या नहीं मिला.

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