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म्युचुअल फंड में इनवेस्ट करते हुए बिल्कुल न करें ये 5 गलतियां

म्युचुअल फंड्स के निवेशक भी जाने-अनजाने कुछ बड़ी भूल कर देते हैं जिसका नतीजा होता है कम रिटर्न या फिर निगेटिव रिटर्न

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पिछले कुछ सालों में इक्विटी इन्वेस्टमेंट यानी शेयर मार्केट में निवेश का ट्रेंड काफी बढ़ा है और इस ट्रेंड को तेज करने में अहम भूमिका निभाई है इक्विटी म्युचुअल फंड्स ने. छोटे निवेशकों के लिए शेयरों में सीधा निवेश करने की बजाय इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश करना बेहतर माना जाता है, क्योंकि इससे निवेशकों को शेयर बाजार से जुड़े जोखिम को कम करने में मदद मिल जाती है.

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लेकिन इक्विटी म्युचुअल फंड्स के निवेशक भी जाने-अनजाने कुछ बड़ी भूल कर देते हैं जिसका नतीजा होता है कम रिटर्न या फिर निगेटिव रिटर्न. तो कौन सी हैं वो 5 गलतियां या भूल जिनसे बचना बेहद जरूरी है, आइए जानते हैं.

1. बाजार की उछाल देखकर निवेश करना

कई बार छोटे निवेशकों को बाजार में आई जोरदार तेजी देखकर लगता है कि उन्हें उसी वक्त निवेश करना चाहिए और तेजी का फायदा उठाना चाहिए. लेकिन कई बार बाजार में जितना तेज उछाल आता है, उतनी ही तेज गिरावट भी आ सकती है. इसलिए शेयर बाजार से अच्छे रिटर्न हासिल करने के लिए जरूरी है अनुशासित और लगातार निवेश, ताकि बाजार के उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

इक्विटी म्युचुअल फंड्स में एसआईपी यानी सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान इस अनुशासन को लाता है. वहीं बाजार की तेजी के माहौल में किया गया एकमुश्त निवेश आपके जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है.

2. निवेश को पर्याप्त समय नहीं देना

ये याद रखना जरूरी है कि इक्विटी में निवेश से अच्छे रिटर्न मिलते तो हैं, लेकिन ये किसी बैंक एफडी की तरह हर साल मिलेंगे, इसकी गारंटी नहीं होती. हो सकता है कि किसी साल आपके निवेश पर ऊंचा रिटर्न मिल जाए तो किसी साल वो बैंक सेविंग्स अकाउंट से भी कम रह जाए. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि अगर कम से कम 5-7 साल तक निवेश कर सकते हों तभी शेयर बाजार का रुख करें.

शेयर बाजार के दिग्गज अक्सर एक बात कहते हैं जिसे हमें याद रखना चाहिए कि शेयर बाजार को ‘टाइम’ करने की कोशिश से कहीं बेहतर है शेयर बाजार में निवेश को ‘टाइम’ देना.

आमतौर पर लंबी अवधि में इक्विटी में आपका निवेश बेहतर रिटर्न देकर जाता है. उदाहरण के लिए अगर बेंचमार्क इंडेक्स के पिछले कुछ सालों के परफॉर्मेंस पर नजर डालें तो जहां इनमें पिछले 2 साल में 30 फीसदी तक उछाल आया है, वहीं पिछले 5 साल का रिटर्न 60 फीसदी तक है.

3. इक्विटी म्युचुअल फंड्स के डिविडेंड ऑप्शंस में निवेश

वेल्थ क्रिएशन के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड्स के ग्रोथ ऑप्शन को चुनना चाहिए, ना कि डिविडेंड ऑप्शन को. किसी भी म्युचुअल फंड स्कीम में मिलने वाला डिविडेंड फंड के एनएवी यानी नेट एसेट वैल्यू में से ही दिया जाता है, और वो आपके फंड के एनएवी को घटा देता है. इसका नतीजा होता है दोबारा निवेश के लिए आपके फंड की वैल्यू में कमी और फिर पावर ऑफ कंपाउंडिंग का पूरा फायदा उठाने से आप चूक जाते हैं. इससे लंबी अवधि के दौरान आपके फंड से मिलने वाला रिटर्न कम हो जाता है, जिससे आपके वित्तीय लक्ष्य अधूरे रह सकते हैं.

4. जरूरत से ज्यादा फंड स्कीमों में निवेश

कई बार निवेशक जब अपने म्युचुअल फंड पोर्टफोलियो की समीक्षा करते हैं और किसी फंड का परफॉर्मेंस उम्मीद से कमजोर रहता है तो फिर वो उससे मिलते-जुलते किसी और फंड में नया निवेश शुरू कर देते हैं. इसका नतीजा होता है पोर्टफोलियो में एक जैसी स्कीमों की भरमार और फिर ये पोर्टफोलियो असंतुलित हो जाता है.

निवेशकों को ये याद रखना चाहिए कि पोर्टफोलियो में अलग-अलग तरह की 4 या 5 फंड स्कीमों से ज्यादा नहीं रखें. ज्यादा स्कीमों के होने से ये हो सकता है कि आपके पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफिकेशन का फायदा ना मिल पाए.

अच्छी म्युचुअल फंड स्कीमों को चुनें और ये ध्यान रखें कि आपके पोर्टफोलियो में लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप और हाइब्रिड स्कीमों का सही संतुलन रहे. अगर आपको लग रहा है कि पोर्टफोलियो में ज्यादा फंड हो गए हैं तो किसी वित्तीय सलाहकार की मदद लें और अपने पोर्टफोलियो को अपने वित्तीय लक्ष्यों से जोड़कर संतुलित जरूर बनाएं.

5. एनएवी देखकर निवेश करना

छोटे निवेशकों को कई बार लगता है कि कम एनएवी यानी नेट एसेट वैल्यू वाली फंड स्कीमों में निवेश ज्यादा एनएवी वाली स्कीमों से अधिक फायदेमंद होता है, जबकि ऐसा सच नहीं है. म्युचुअल फंड यूनिट की एनएवी के कम-ज्यादा होने भर से आप उस फंड स्कीम के परफॉर्मेंस का सही अंदाजा नहीं लगा सकते. इसलिए एनएवी के साथ ये भी देखें कि उस स्कीम का पिछला परफॉर्मेंस कैसा रहा है, फंड मैनेजमेंट कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है और उस फंड स्कीम का बेंचमार्क इंडेक्स कौन है.

10 रुपए के एनएवी वाले एनएफओ यानी न्यू फंड ऑफर में निवेश करना हमेशा फायदेमंद होगा- इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि एनएफओ लॉन्च करने वाली फंड स्कीम को तो अभी निवेश की शुरुआत करनी है और उसके बाद ही वो अपना प्रदर्शन दिखा सकेगी. इसलिए अगर आप सही फंड स्कीम चुनने में असमंजस में हैं तो फिर किसी प्रमाणित वित्तीय सलाहकार की मदद जरूर लें.

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