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कोविड इमरजेंसी के नाम पर EPF से पैसा निकालना पड़ सकता है महंगा

युवाओं को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि ये पैसा निकालना कितनी समझदारी की बात है.

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जैसे-जैसे दिन गुजर रहे हैं, वैसे ही इस कठिन समय में लोगों पर आर्थिक दबाव भी लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में इम्प्लॉयी प्रोविडंट फंड ऑर्गेनाइजेशन (EPFO) आपको अपनी बचत से पैसे निकालने की इजाजत देता है. मकसद है कि आप कोविड महामारी के दौर में आर्थिक संकट से निपट सकें. निवेशक भी तेजी से अपने पैसे निकाल रहे हैं. अप्रैल 2020 से जुलाई 2020 के आखिर तक के डेटा के मुताबिक, तकरीबन 30 हजार करोड़ रुपए निकाले गए हैं. यह एक बड़ी रकम है. इससे कई लोगों को कुछ समय तक परेशानियों को हल करने में तो मदद मिल सकती है. लेकिन नौकरीपेशा लोगों, खासकर युवाओं को इस बारे में सोचने की जरूरत है कि ये पैसा निकालना कितनी समझदारी की बात है. ऐसा मैं क्यों कह रहा हूं, जरा से समझ लीजिए...

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कोविड इमरजेंसी में मैं EPF से कितनी रकम निकाल सकता हूं?

आमतौर पर EPF फंड को रिटायरमेंट तक या नौकरी बदलने तक छुआ भी नहीं जा सकता. लेकिन कुछ परिस्थितियों में इस पैसे का एक हिस्सा निकाला जा सकता है. जैसे- मेडिकल इमरजेंसी, घर खरीदना या बनाना और उच्च शिक्षा के लिए. अब इसमें कोविड इमरजेंसी को भी शामिल किया गया है. लिमिट है तीन महीने की बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते या जमा राशि का 75% से कम.

ये तो अच्छी सुविधा है, इसका तो सबको फायदा उठाना चाहिए, नहीं?


ऐसी बहुत सी सुविधाएं दी जाती है, लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि इसे इस्तेमाल भी किया जाए. यूं मान कर चलिए कि ये आखिरी विकल्प है. ये जमा पैसा खास उद्देश्य के लिए है. यह राशि रिटायरमेंट के लिए होती है और इसे अभी इस्तेमाल करना उसके उद्देश्य से भटका सकता है. रिटायरमेंट के लिए आपने जो योजना बनाई थी, वह नाकाम हो सकती है.

रिटायरमेंट प्लान फेल हो जाएगा! कैसे?

जब एक लंबी अवधि के निवेश से राशि निकाली जाती है तो कम्पाउंडिंग की शक्ति खो जाती है और आपकाे मिलने वाला बड़ा लाभ खत्म हो जाता है. इसका मतलब होगा कि फंड में बाकी बचा पैसा काफी धीमी गति से बढ़ेगा. फंड में पहले जैसी स्थिति पाने के लिए और कई साल लग सकते हैं. इसका मतलब यह हो सकता है कि पहले की तुलना में रिटायरमेंट के लिए बेहद कम पैसा उपलब्ध होगा.

एक उदाहरण देकर समझाइए प्लीज

अब मान लीजिए कि एक व्यक्ति के EPF अकाउंट में 4 लाख रुपए हैं. इसमें से 1.5 लाख रुपए निकाले गए हैं. अगर ऐसा होता है और EPF में सालाना योगदान 50 हजार रुपए के करीब है तो रिकवर करने में आपको और तीन साल लग जाएंगे. यह अंतर पूरे जीवनभर कायम रहेगा. अगर 7% की कमाई को अगले 20 सालों तक इसी योगदान के साथ माना जाए तो भी फंड में 5.8 लाख रुपए की या रिटायरमेंट के आखिर में कुल जमा राशि में 16% की कमी होगी. वास्तव में यह अंतर बहुत बड़ा होगा, क्योंकि वेतन में बढ़ोतरी के साथ EPF में योगदान बढ़ जाएगा, जो अंतर को और बड़ा कर देगा. आपकी निकाली गई राशि जितनी बड़ी होगी, भविष्य की कमाई में नुकसान भी उतना ही अधिक होगा.

अभी EPF से पैसा निकाल हूं और 'अच्छे दिन' आएं तो और जमा कर दूं?

EPF से पैसे निकालने के बाद आप कुछ नहीं कर सकते. यहां ऐसा प्रावधान नहीं है कि निकाले गए पैसे को वापस डालकर फंड की भरपाई की जा सके. जैसे लोन में होता है कि आप पैसा वापस करते हैं. यानी आपको हर संभव कोशिश करनी चाहिए EPF से पैसा निकालने से बचें. कोई और रास्ता हो तो उसे ढूंढें.

तो मेरे लिए कौन से रास्ते हो सकते हैं?

ऐसे बहुत सारे क्षेत्र हैं, जहां कम समय के लिए कुछ फंड मिल सकता है. आप अपने इमरजेंसी फंड या फिक्स डिपॉजिट से भी पैसा ले सकते हैं या अन्य निवेश को बेचने पर भी विचार कर सकते हैं, जो लंबी अवधि के लिए नहीं हैं. यह पैसा संकट के समय मदद कर सकता है और ज्यादा जरूरी बात ये है कि पैसा वापस आता है तो इसे फिर से निवेश में लगाया जा सकता है और घटी हुई राशि को दोबारा बढ़ाया जा सकता है, लेकिन EPF में ऐसा संभव नहीं होता.

हे भगवान, मैंने तो EPF से कुछ पैसा निकाल भी लिया है, अब क्या करूं?

चूंकि निकाली गए पैसे को EPF में वापस नहीं डाला जा सकता, इसलिए आपको खाते में बाकी बचे पैसे बचाने की कोशिश करना चाहिए. साथ ही आपके रिटायरमेंट लक्ष्यों के लिए आपको लंबी अवधि के अन्य रिटायरमेंट प्लान में निवेश करना चाहिए. आप नेशनल पेंशन सिस्टम और कुछ म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. इससे रिटायरमेंट प्लान में सुधार करने में मदद मिलेगी और स्थितियां वापस पटरी पर आ जाएंगी.

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