ADVERTISEMENTREMOVE AD

सोने की कीमतों में गिरावट, क्या खरीदने का सही समय है? 

मार्च में 160 टन सोने का आयात किया गया.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

अर्थव्यवस्था में सुधार और वैक्सीन की संभावनाओं से येलो मेटल यानी गोल्ड की चमक बीते महीनों में फीकी पड़ने लगी थी. अगस्त 2020 में 56,000 के भाव को छूने के बाद अब थोड़े उछाल के बाद भी सोना 45,000 के करीब ही ट्रेड कर रहा है. ऐसे में मार्च के गोल्ड इम्पोर्ट में बड़ी तेजी दिखी है. आइए समझते हैं आयात में बढ़ोतरी की वजह और उसके असर को-

ADVERTISEMENTREMOVE AD

कई गुणा बढ़ा गोल्ड इम्पोर्ट

जारी डाटा के मुताबिक मार्च, 2021 में गोल्ड इम्पोर्ट वैल्यू के अनुसार कुल करीब 8.4 बिलियन डॉलर का रहा. यह बीते वर्ष के मार्च महीने की तुलना में 584% की उछाल है. इम्पोर्ट के मंथली (monthly) डाटा को देखने पर पता चलता है कि अक्टूबर के बाद हर महीने गोल्ड इम्पोर्ट लगातार बढ़ा है.

रॉयटर्स के सरकारी सूत्र आधारित खबर के मुताबिक वॉल्यूम के नजरिए से मार्च में 160 टन सोने का आयात किया गया. यह बीते वर्ष मार्च की तुलना में करीब 471% अधिक है. जानकारों के मुताबिक सामान्य महीनों में गोल्ड इम्पोर्ट करीब 70-90 टन के करीब होता है. रॉयटर्स की खबर के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की आखिरी तिमाही में कुल आयात ईयर ऑन ईयर 2 गुणा से भी ज्यादा बढ़ते हुए 124 टन से 321 टन पर पहुंच गया.

वित्त वर्ष 2020-21 के कुल 34.5 बिलियन डॉलर के इम्पोर्ट में से 27.7 बिलियन डॉलर का इम्पोर्ट केवल आखिरी 6 महीनों में किया गया.
0

क्या है इस बढ़ी मांग की वजह?

अगस्त, 2020 में गोल्ड कीमतों के 56,000 प्रति 10 ग्राम के पहुंच जाने के बाद अब इसका भाव 45,000 के करीब आ गया है. कीमतों में भारी कटौती का फायदा ज्वेलर्स और निवेशक उठाना चाहते हैं. अक्षय तृतीया के करीब होने के कारण ज्वेलर्स द्वारा स्टॉक करने के लिए इसकी मांग में तेजी हो सकती है. काफी लोगों ने बढ़ी कीमतों के कारण खरीद को रोका हुआ था.

सरकार द्वारा बजट में सोने और चांदी पर इंपोर्ट ड्यूटी को 12.5% से घटाकर 7.5% किया गया था और अतिरिक्त 2.5% का सेस लगाया गया. हालांकि इससे ज्यादा कीमतों में बदलाव नहीं दिखा है, फिर भी इंडस्ट्री के जानकार मानते हैं कि इससे गोल्ड और सिल्वर बाजार में फॉर्मल इकॉनमी को बढ़ावा मिला है और इम्पोर्ट में बढ़ोतरी इसका परिणाम हो सकता है.

यह भी समझना अहम होगा कि इम्पोर्ट किए गए गोल्ड का कितना हिस्सा वापस एक्सपोर्ट किए जाने के लिए था.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर

ज्यादा गोल्ड इम्पोर्ट का असर आयात बिल पर भी पड़ता है. आयात बढ़ने पर ट्रेड डेफिसिट बढ़ेगा जिससे फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पर असर पड़ता है. अगर गोल्ड इम्पोर्ट आने वाले दिनों में भी ज्यादा रहा तो रूपये पर दबाब दिख सकता है.

इस गोल्ड की मांग में तेजी की तुलना 2011-13 की स्थिति से भी की जा रही है. अधिक महंगाई और कम इंटरेस्ट दरों के कारण लोगों के लिए वास्तविक इंटरेस्ट दर नेगेटिव हो गया था. ऐसे में निवेशकों ने सोने जैसे एसेट में निवेश बढ़ा दिया था. अगर ऐसा फिर होता है तो हाउसहोल्ड सेविंग को बढ़ाने के लिए इंटरेस्ट दर बढ़ाने पर विचार करना होगा जिससे अर्थव्यस्था की रफ्तार पर असर पड़ सकता है. सरकार के बाजार से पैसे उठाने की योजना को ध्यान में रखे तो इंटरेस्ट दर बढ़ने की स्थिति और भी मुश्किल हो सकती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

गोल्ड कीमतों को लेकर ये हैं अनुमान

वर्तमान में गोल्ड की अपेक्षाकृत कम कीमत की कई वजह है. बॉन्ड यील्ड के बढ़ने से लोगों के पास निवेश के नए लुभावने विकल्प खुले हैं. स्टोर ऑफ वैल्यू के तौर पर बिटकॉइन एवं अन्य क्रिप्टोकरेंसी की चर्चा ने भी गोल्ड कीमतों पर असर डाला है.

कोरोना से उबरते इकॉनमी में सोने की कीमतें तेज रिकवरी की उम्मीद से कम हुई थी. हालांकि अब आने वाले दिनों में सामान्य हालातों में उम्मीद की जा रही है कि गोल्ड का भाव फिर से चढ़ेगा. ज्यादातर ब्रोकरेज हाउस की तरफ से येलो मेटल के लिए इस वित्त वर्ष में पॉजिटिव अनुमान है. पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने के नजरिए से निवेश का 10%-15% के करीब गोल्ड में रखना अच्छा माना जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

बीते हफ्ते अंतरराष्ट्रीय बाजार में गोल्ड कीमतों में थोड़ी तेजी देखने को मिली थी. MCX पर भी सोना अपने हाल के 44,100 के न्यूनतम स्तर से चढ़कर 45,400 के पार पहुंच चुका है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×