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टैक्स बेस में विस्तार का प्रस्ताव- सरकार ने ट्वीट किया डिलीट

करदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए टैक्स बेस में किया जा रहा विस्तार

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केंद्र सरकार ने टैक्स सिस्टम को सुधारने और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए एक नया प्लेटफॉर्म लॉन्च किया. साथ ही टैक्स चुकाने वाले लोगों की संख्या को बढ़ाने के लिए MyGov.in पर ट्वीट किया था. जिसमें बताया गया था कि टैक्स बेस के विस्तार की तैयारी हो रही है. लेकिन इस ट्वीट को ठीक एक दिन बाद डिलीट कर दिया गया. हालांकि इसे वापस लेने के लिए अब तक कोई ऐलान नहीं किया गया है.

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करदाताओं की संख्या बढ़ाने के लिए टैक्स बेस में किया जा रहा विस्तार

टीडीएस और टीसीएस में बदलाव

सरकार की तरफ से सिर्फ टैक्स बेस के विस्तार को लेकर किया गया ट्वीट डिलीट हुआ है. उसके अलावा नए लेन-देन पर टैक्स की कटौती को लेकर किए गए ट्वीट अब तक बेवसाइट के ट्विटर हैंडल पर हैं. जिनमें टीडीएस और टीसीएस का जिक्र है. जिसमें 1 करोड़ से अधिक की नकद निकासी पर टीडीएस (गैर फाइलरों के लिए 20 लाख), एनआरएस के तहत 7.5 लाख से अधिक विदेश प्रेषण/विदेशी टूर पैकेज पर टीसीएस, ई-कॉमर्स आपूर्तिकर्ताओं पर टीडीएस और 50 लाख से अधिक सामन की खरीद पर टीसीएस जैसे बिंदुओं का जिक्र किया गया था.

साथ ही 10 लाख रुपये से ऊपर की कार पर टीसीएस लगाने और नॉन करंट अकाउंट में 10 लाख से ज्यादा कैश डिपोजिट पर भी टीसीएस लगाने की बात कही गई थी.

इनकम टैक्स के दायरे में कई नई चीजें

ऐसे लेनदेन जिनकी जानकारी लोगों को अपने आयकर रिटर्न के जरिए आयकर विभाग को फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन स्टेटमेंट (SFT) के तहत देनी होती है. उसमें कई और ट्रांजेक्शन को शामिल करने का फैसला लिया गया है. जिसमें 20 हजार रुपये से ज्यादा होटल पेमेंट, 50 हजार रुपये से ज्यादा इंश्योरेंस प्रीमियम, 20 हजार रुपये से ज्यादा हेल्थ इंश्योरेंस, 1 लाख रुपये से ज्यादा कीमत की ज्वैलरी, बैंक लॉकर, एयर ट्रैवल, विदेश यात्रा आदि को भी फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन स्टेटमेंट (SFT) की लिस्ट में शामिल करने का प्रस्ताव है. यानी ये सभी चीजें इनकम टैक्स स्कैनर के अंदर आएंगीं.

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पीएम मोदी ने किया था जिक्र

टैक्स सिस्टम में इस बदलाव को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि जिस शहर में हम रहते हैं उसी शहर का टैक्स डिपार्टमेंट हमारी टैक्स से जुड़ी सभी बातों को हैंडल करता है. स्क्रूटनी, नोटिस, सर्वे या जब्ती इसमें आयकर विभाग के अधिकारी की अहम भूमिका रहती है. जिसे अब खत्म कर दिया गया है. अब स्क्रूटनी के मामलों को देश के किसी भी क्षेत्र में किसी भी अधिकारी के पास आवंटित किया जाएगा. जैसे अगर मुंबई में आपके आईटीआर से जुड़ा कोई मामला है तो वो कहीं भी जा सकता है और वहां से भी जो आदेश निकलेगा उसका रिव्यू अलग राज्य की टीम करेगी. इस जांच टीम में कौन होगा ये कंप्यूटर रैंडमली तय करेगा. इस सिस्टम से करदाता और इनकम टैक्स दफ्तर को जान पहचान बनाने का मौका जीरो हो गया है. सभी अपने दायित्व के हिसाब से काम करेंगे.

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