भारत के सबसे बड़े निजी बैंक ICICI ने अपने 'आउटवर्ड्स रेमिटेंस एप्लीकेशन फॉर्म' में बदलाव किया है. बैंक ने फॉर्म में एक नया डिक्लेरेशन कॉलम जोड़ा है जिसमे खाताधारकों को अब इस बात पर सहमत होना पड़ेगा कि वो LRS (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) के माध्यम से विदेश में किसी भी तरह के क्रिप्टोकरेंसी की खरीद नहीं करेंगे.
ICICI बैंक के ग्राहकों को LRS स्कीम चालू करवाने के लिए बैंक की शर्त माननी पड़ेगी.
बैंक ने अपने फॉर्म में डिक्लेरेशन जोड़ते हुए कहा है कि "ऊपर बताए गए रेमिटेंस बिटकॉइन/ क्रिप्टोकरेंसी, वर्चुअल करेंसी (जैसे एथेरियम, रिपल, लाइटकॉइन, डैश, पीयरकॉइन, डॉजकॉइन, प्राइमकॉइन, चाइनाकॉइन, बिटकॉइन या किसी अन्य वर्चुअल करेंसी) के निवेश या खरीद के लिए नहीं है।"
मई में कई बैंकों ने क्रिप्टो एक्सचेंज (खरीदारी और बिक्री) के लिए बैंकिंग सर्विस बंद कर दी थी.
हालांकि, RBI ने 31 मई को परिपत्र जारी करते हुए ये साफ किया था किसी भी बैंक के द्वारा क्रिप्टो संबधित ट्रांजैक्शन को रोका नहीं जा सकता है.
LRS क्या है?
RBI के लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (एलआरएस) के तहत आप हर फाइनेंशियल ईयर (अप्रैल- मार्च), अपने बैंक से विदेश में रह रहे किसी भी रिश्तेदार या परिचित को 2.5 लाख डॉलर तक की राशि भेज सकते हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक के इस स्कीम के जरिये पैरेंट्स आसानी से विदेश में पढ़ रहे अपने बच्चे को पैसे भेज सकते हैं. LRS किसी भी कॉर्पोरेट, पार्टनरशिप फर्म, HUF या चैरिटेबल ट्रस्ट पर लागू नहीं होता है.
LRS और क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट
इंडस्ट्री के जानकर ने नाम न छापने की शर्त पर क्विंट को बताया कि -"ऐसे समय में जब बैंकों ने क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए होने वाली लेनदेन को अस्वीकार कर दिया, लोग LRS के माध्यम से विदेश में रह रहे परिचितों को पैसा भेजकर, क्रिप्टो में निवेश कर रहे है."
भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अनिश्चितता जारी है. इससे भी लोग LRS (लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम) का इस्तेमाल करके विदेशों में क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्ट कर रहे हैं
क्रिप्टो एक्सपर्टस इस फैसले को कैसे देखते है ?
ब्लॉकचैन एक्सपर्ट शरत चंद्र ने क्विंट से कहा कि - "इस फैक्ट को देखते हुए कि लगभग सभी भुगतान गेटवे और प्रमुख बैंकों ने क्रिप्टो एक्सचेंजों को समर्थन करने से बचते दिखे है, ऐसे में ICICI के इस फैसले के बाद अब क्रिप्टो को बेचना या खरीदना निवेशकों के लिए और मुश्किल हो जाएगा."
क्रिप्टो जानकार सौम्या चौधरी का मानना है कि- "ICICI की तरह बाकि बैंक भी RBI के फैसले के सामने झुकेंगे, कई अन्य प्रमुख बैंक भी इसी तरह का फैसले लेते दिख सकते हैं."
2018 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने सभी तरह के क्रिप्टो एसेट्स को बैन कर दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2020 में RBI के इस फैसले को रद्द कर दिया था.
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