दुनिया की हर छोटी बड़ी घटना से प्रभावित होने वाले शेयर बाजार पर अब तक कोरोना का बड़ा असर नहीं दिखा है. बाजार एक दिन 3% से ज्यादा टूटता है, लेकिन फिर संभलकर पहले के स्तरों के करीब पहुंच जाता है. ऐसी बड़ी वॉलिटेलिटी के बीच एक निवेशक के लिए बाजार की चाल को समझना और सही निर्णय लेना आसान नहीं है. आइए ऐसे में समझते हैं बाजार को और आगे हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए-
हर दिन कोरोना मामलों का नया रिकॉर्ड
भारत में कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दिया है. कोविड मामले पहली लहर के सर्वोच्च स्तरों से दो गुने से भी ज्यादा का आंकड़ा छू चुके हैं. 15 अप्रैल को जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में बीते 24 घंटों में 2 लाख से ज्यादा कोरोना मामले पाए गए जो विश्व में किसी भी देश के लिए इस समय सर्वाधिक है. इससे निपटने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों ने विभिन्न तरह के नियंत्रण के उपायों पर काम करना शुरू किया है. अनेकों राज्यों में नाइट कर्फ्यू को लागू किया गया है. महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे बड़े आर्थिक गतिविधियों के केंद्र में वीकेंड कर्फ्यू जैसे कड़े प्रतिबंधों से आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव निश्चित है.
शेयर बाजार पर नहीं दिखा है बड़ा असर:
रविवार 11 अप्रैल को भारत में कोरोना मामले पहली बार 1 लाख 50 हजार से ज्यादा रिपोर्ट हुए थे. तब से लगातार कोविड मामले इस स्तर से ऊपर रहे हैं. 12 अप्रैल को कोरोना के इस भय से बाजार में बड़ी बिकवाली देखी गई थी. सेंसेक्स सोमवार को 1700 प्वाइंट जबकि निफ्टी 500 प्वाइंट से ज्यादा कमजोर हुआ था. लेकिन फिर अगले ही दिन सेंसेक्स 660 प्वाइंट की उछाल के साथ बंद हुआ. बीते दिन भी सेंसेक्स हरे निशान में बंद होते हुए करीब 250 प्वाइंट चढ़ा. ऐसे में नेट आधार पर बाजार पर कोविड मामलों का बड़ा असर नहीं दिखा है. शुक्रवार 9 अप्रैल और गुरुवार 15 अप्रैल के बीच मार्केट एक बड़ी गिरावट के बावजूद 1.6% ही कमजोर हुआ.
क्या हो सकता है इसका कारण:
भारतीय बाजार को प्रभावित करने वाले विभिन्न फैक्टरों में विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा निवेश काफी अहम है. बीते हफ्तों में FII निवेश में कमी देखने को मिली है. यह ट्रेंड कोरोना के बढ़ते मामलों के साथ भी जारी रहा लेकिन और बुरा नहीं हुआ. मोटे तौर पर विदेशी बाजारों से अच्छे संकेतों के बीच बाजार से FII द्वारा काफी पैसे नहीं निकाले गए हैं. 12 अप्रैल को बाजार में बड़ी गिरावट के दिन FII द्वारा 1746 करोड़ के शेयर बेचे गए थे. अगले दो कारोबारी दिनों में 13 अप्रैल को 730 करोड़ के शेयरों की बिक्री की गई. वहीं 15 अप्रैल को विदेशी निवेशकों द्वारा 980 करोड़ के शेयरों की खरीदारी की गई.
बीते वर्ष मार्च में कोविड के कारण हुए मार्केट क्रैश के बाद जिस तरह से मार्केट ने रिकवरी दिखाते हुए नए शिखर बनाए हैं उससे प्रभावित होकर निवेशक जल्दबाजी में कमाई से हाथ नहीं धोना चाहते. ज्यादातर निवेशक बाजार को लेकर बुलिश है इस वजह से हर बड़ी गिरावट के बाद खरीदारी देखने को मिल रही है.
बाजार के पहले के स्तरों पर रहने का एक बड़ा कारण यह भी है कि निवेशक समझते हैं इस बार टोटल लॉकडाउन जैसे बड़े प्रतिबंध नहीं लगेंगे. वीकेंड और नाइट कर्फ्यू से इन्वेस्टर्स को बिजनेस पर बहुत बड़े असर की उम्मीद नहीं है.
आगे किन बातों का रखना चाहिए ख्याल:
अगर आने वाले दिनों में भी कोरोना मामले इसी तेजी से बढ़ते रहे तो बाजार की चिंता निश्चित रूप से बढ़ेगी. वैक्सीन की संभावित कमी के कारण वैक्सीनेशन प्रक्रिया के भी तेजी से बढ़ने में अड़चने हैं. साथ ही मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि से भी संभावना है कि सरकारों द्वारा और कठोर कदम उठाए जाए. अगर इन चीजों से व्यवसाय पर बड़ा असर होता है तो मार्केट में बड़ा क्रैश संभव है.
एक देखने लायक फैक्टर यह भी है कि हाल में विदेशी बाजारों में दिशा अच्छी रही है जिससे बाजार को सहारा मिला है. अगर किसी जियोपॉलिटिकल या अन्य घटना के कारण यह स्थिति बदलती है तो बाजार पर बड़ा असर हो सकता है.
बीते दिनों में जब जब विदेशी निवेशकों द्वारा बाजार में बिक्री की गई है, तब तक घरेलू निवेशकों द्वारा इसे मौके की तरह देखकर खरीदारी की गई है. अगर FII और DII दोनों ही सेलर (seller) बनते हैं तो बाजार पर बड़ा असर निश्चित है.
टेक्निकल चार्ट भी आने वाले दिनों में बाजार के लिए अहम होंगे. अगर बड़ी गिरावट दिखी और बाजार में सपोर्ट लेवल को तोड़ा तो क्रैश बड़ा हो सकता है. अन्य कारक जैसे तिमाही नतीजों, आँकड़े, इत्यादि भी मार्केट की दिशा तय करने में अहम होंगे.
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