म्यूचुअल फंड में लंबे वक्त का लगातार पैसा लगाने से करोड़पति बनने के भी चांस हैं. लेकिन अंधाधुंध नहीं. इसके भी नियम हैं और निवेश से पहले 5 बातें बहुत अहम हैं जिनकी अनदेखी बहुत भारी पड़ सकती है.
म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट के शोर पर मत जाइए. अखबारों में, वेबसाइट्स पर, सोशल मीडिया से लेकर मॉल के लगे चमचमाते निऑन बोर्डों में- हर तरफ म्यूचुअल फंड में पैसा लगा कर मोटा मुनाफा कमाने की दावत के लालच से भी दूर ही रहिए. इसमें बड़ा खतरा है.
अभी तो ऐसा लग रहा है कि म्यूचुअलर फंड में निवेश मानो अलादीन का चिराग है कि रगड़ा और खजाना तैयार. ऐसा बताया जाता है कि हर महीने एसआईपी में थोड़ा पैसा लगाइए और कोई जिन्न आपके पास नोटों की बोरियां लेकर हाजिर हो जाएगा.
लेकिन जब म्यूचुअल फंड में बड़ी हसरतों से पैसा लगाने वालों नए इनवेस्टर्स को निगेटिव रिटर्न मिलने लगता है तो वे घबरा जाते हैं. घबराने की जरूरत नहीं है. अगर आप पहली बार म्यूचुअल फंड में पैसा लगा रहे हैं तो इन 5 बातों का ध्यान रखें.
ये टिप्स आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे
1. रिटर्न के पिछले परफॉर्मेंस का चक्कर गलत
नए निवेशक अक्सर यह गलती करते हैं. वे रिटर्न का पिछला परफॉर्मेंस देखते हैं. मसलन-अगर किसी फंड ने 2017 में 40 फीसदी रिटर्न दिया है तो 2018 में उसी में पैसा लगा दिया. अब जब शेयर बाजार क्रैश हुआ तो सारा मुनाफा नीचे आ गया. ऐसी गलती न करें. आपको म्यूचुअल फंड की स्कीम और इसके जोखिमों के बारे में जानना होगा.
ये फंड आपका पैसा कहां लगा रहे हैं. किस सेक्टर में लगा रहे हैं. उनकी परफॉर्मेंस आजकल कैसी चल रही है. वगैरह-वगैरह. इन सेक्टरों से जुड़े जोखिम क्या हैं. साथ ही यह भी देखिए आप कितना जोखिम उठा सकते हैं.
इसलिए सबसे जरूरी यह जानना है कि म्यूचुअल फंड में आपके निवेश का लक्ष्य क्या है. यह शॉर्ट टर्म है लॉन्ग टर्म. यह देखिए कि आपको एक समयावधि में कितना औसत रिटर्न मिल सकता है. इसके बाद ही फंड में निवेश करें. सिर्फ हवा-हवाई रिटर्न के दावों के फेर में मत पड़िए.
2. अर्जुन की तरह मछली की आंख पर नजर रखें
म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले यह ध्यान रखें कि आपका लक्ष्य लॉन्ग टर्म है या शॉर्ट टर्म. क्या आप बच्चों के हायर एजुकेशन के लिए फंड बनाना चाहते हैं या तीन साल बाद के फॉरन टूर के लिए पैसा जुटाना चाहते हैं.
बड़े लक्ष्य के लिए म्यूचुअल फंड की कोई इक्विटी स्कीम और फौरी लक्ष्य के लिए डेट फंड ठीक रहते है. कुछ म्यूचुअल फंड विशेषज्ञों ने इस लेखक को बताया, ‘‘लॉन्ग टर्म के लिए कुछ निवेशक 50 फीसदी रिटर्न की उम्मीद लेकर आते हैं. फिर जब मार्केट क्रैश होने की वजह से रिटर्न घटने लगता है या निगेटिव हो जाता है तो हाथ वापस खींच लेते हैं. ऐसी गलती न करें. अपने निवेश लक्ष्य पर फोकस करें, और जब तक इसे हासिल न करें निवेश करते रहें.’’
बाजार गिरने से रिटर्न में लगे डेंट से घबराएं नहीं. लेकिन अनाप-शनाप रिटर्न हासिल करने का ख्वाब भी न संजोएं रखें.
3. उतार-चढ़ाव में धैर्य बनाए रखें
जब बाजार मंदा होता है तो ग्राहकों को फायदा होता है. चीजें सस्ती मिलती हैं. इस गोल्डन रूल को याद रखें. बाजार के उतार-चढ़ाव जिसे मार्केट के टर्मिनोलॉजी में हम वोलेटिलिटी कहते हैं, उससे घबराकर बहुत सारे रिटेल इनवेस्टर्स या छोटे इनवेस्टर्स म्यूचुअल फंड में अपना निवेश घटा देते हैं या बंद कर देते हैं.
लेकिन याद रखिए, अगर आप सही स्ट्रेटजी के साथ निवेश करते हैं तो मार्केट का क्रैश होना भी आपको फायदा पहुंचा सकते है. पूछिए क्यों?
इसलिए कि जब शेयर मार्केट क्रैश होता है तो शेयरों में निवेश करने वाले आपके फंड की यूनिटें सस्ती हो जाती हैं. आपको पहले की तुलना में उसी निवेश में ज्यादा यूनिटें मिलती हैं.अगली बार जब मार्केट उठता है तो इन यूनिटें की कीमतें बढ़ जाती हैं.
ये उसी तरह है जैसे आपने सस्ते में कोई कीमत खरीदी और तेजी आने पर उसकी कीमत बढ़ गई. लॉन्ग टर्म एसआईपी इनवेस्टर्स के लिए यह चीज रामबाण की तरह है. इसे गांठ बांध लीजिए.
4. अपना पोर्टफोलियो
संतुलित रखें
निवेश की दुनिया में एक पुरानी कहावत है- सारे अंडे एक ही टोकरी में न रखें. यानी एक ही जगह सारे दांव न लगाएं. 2016 में जब शेयर मार्केट चढ़ रहा था तो कई म्यूचुअल फंड निवेशकों ने सारा निवेश उन फंडों में कर दिया था जो इक्विटी फंड थे. यानी पूरा फंड एलॉटमेंट वे शेयरों में करते थे.
कई निवेशकों ने ऐसे म्यूचुअल फंड चुने जो मिड और स्मॉल कैप कंपनियों में पैसा लगाते था. आप जानते हैं कि जब मार्केट गिरता है तो सबसे ज्यादा चोट मिड और स्मॉल कंपनियों के शेयरों पर पड़ती है. जाहिर है इसमें निवेश करने वाले फंड और उनके निवेशकों को सबसे ज्यादा घाटा होता है.
इसलिए सारा इनवेस्टमेंट सिर्फ इक्विटी फंड में न लगाएं. डेट फंड को भी चुनें. कहने का मतलब यह है कि ऐसा फंड चुनें जो इक्विटी और डेट का सही मिक्स हो. फिर अपने जोखिम के हिसाब से इनवेस्ट करें. जैसे भोजन में स्वाद का सही संतुलन जरूरी है. वैसे ही म्यूचुअल फंड में निवेश का बैलेंस भी जरूरी है.
5. फैलाइए जरूर लेकिन बिखेरने से बचिए
निवेश की दुनिया के ज्ञानी पंडित कहते हैं कि इनवेस्टमेंट में डाइवर्सिफाई स्ट्रेटजी बड़े काम की चीज होती है. यह बात सही है. लेकिन यह भी याद रखिए कि डाइवर्सिफाई करें ओवर डाइवर्सिफाई न करें.
जिस तरह डिनर पार्टी में कुछ लोग अपनी प्लेट में इतनी चीजें ले लेते हैं कि खाना मुश्किल हो जाता है. सारा कुछ गड्डमड्ड हो जाता है. उसी तरह कुछ नए निवेशक एक साथ कई म्यूचुअल फंड स्कीमों में निवेश शुरू कर देते हैं. इनमें से कई फंड एक जैसे होते हैं. उनके लक्ष्य एक होते हैं. उनके पोर्टफोलियो एक होते हैं. इस तरह उनकी ओवरलैपिंग इनवेस्टर्स के निवेश को चोट पहुंचाने लगती है.
विशेषज्ञ कहते हैं कि अपने निवेश लक्ष्य और जोखिम को देखते हुए दो से पांच स्कीमों में निवेश करें. ओवर डाइवर्सिफाइंग से बचें. वरना लोग 20-20 स्कीमों में निवेश करके बैठे रहते हैं और अच्छा रिटर्न न मिलने का रोना रोते रहते हैं.
अब सौ बात की एक बात. महान गायक मन्ना डे का एक गाना है- हे भाई जरा देख के चलो. आगे भी पीछे भी. ऊपर भी नीचे भी. दाएं भी बाएं भी. म्यूचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करते वक्त इस गाने की फिलॉसफी को जेहन में जरूर रखें.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)