ADVERTISEMENTREMOVE AD

2018 के इन 5 बड़े बदलावों ने पर्सनल फाइनेंस पर डाला जबरदस्त असर 

इन बदलावों का असर आने वाले सालों में भी रहेगा, इसलिए इन्हें याद रखना जरूरी है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

साल 2018 में पर्सनल फाइनेंस से जुड़े नियम-कायदों में कई बदलाव किए गए, जिनका असर हमारे-आपके निवेश पर दिखा. ये बदलाव इनकम टैक्स की देनदारी से लेकर आईटी रिटर्न फाइल करने तक और म्यूचुअल फंड में निवेश से लेकर प्रोविडेंट फंड से पैसे निकालने तक के नियमों में हुए. खास बात ये है कि इन बदलावों का असर आने वाले सालों में भी रहेगा, इसलिए इन्हें याद रखना जरूरी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इक्विटी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स का प्रावधान

2018 में डायरेक्ट टैक्स के मोर्चे पर ये एक बड़ा बदलाव था, जब सरकार ने एलान किया कि इक्विटी में निवेश से होने वाले लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी का टैक्स देना होगा. इस दायरे में इक्विटी शेयरों के अलावा इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड भी शामिल किए गए.

राहत बस इतनी रखी गई कि ये टैक्स तभी देना होगा, जब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स 1 लाख रुपए से ज्यादा होंगे.

इक्विटी में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की गणना तब होती है, जब शेयर या म्यूचुअल फंड यूनिट खरीदे जाने के बाद कम से कम एक साल रखे गए हों.

स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी

सैलरीड क्लास के लिए 2018 में 40,000 रुपए तक के स्टैंडर्ड डिडक्शन की वापसी का एलान हुआ. हालांकि इसके एवज में उनसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल खर्चों के रिइंबर्समेंट की सहूलियतें वापस ले ली गईं. पहले ट्रांसपोर्ट अलाउंस के तौर पर सालाना 19,200 रुपए और मेडिकल रिइंबर्समेंट के रूप में 15,000 रुपए तक की छूट मिलती थी. ये दोनों सुविधाएं नौकरीपेशा लोगों को उनके एम्पलॉयर के जरिए मिलती थीं. अब स्टैंडर्ड डिडक्शन का क्लेम इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त किया जा सकता है.

इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में देरी पर जुर्माना

2018 से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के नियमों को थोड़ा और सख्त बना दिया गया. ये नियम लागू किया गया कि अगर घोषित अंतिम तारीख तक रिटर्न फाइल नहीं किया जाता है तो 1,000 रुपए से लेकर 10,000 रुपए तक की पेनल्टी देनी होगा. अंतिम तारीख बीतने के बाद 31 दिसंबर तक रिटर्न फाइल करने पर 5,000 रुपए की पेनल्टी, वहीं इसके बाद 10,000 रुपए की पेनल्टी का नियम है. 5 लाख रुपए तक की टैक्सेबल इनकम वाले टैक्स पेयर्स के लिए ये पेनल्टी 1,000 रुपए रखी गई.

इसके अलावा 1 अप्रैल 2018 से ये नियम भी लागू हुआ कि इनकम टैक्स रिटर्न में किसी तरह का भूल सुधार करने के लिए सिर्फ वित्त वर्ष के अंतिम दिन (31 मार्च) तक का समय ही दिया जाएगा.

पहले इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्सपेयर्स को अपना रिटर्न रिवाइज करने के लिए उस वित्त वर्षसे 2 साल तक का समय मिलता था, जिस वित्त वर्ष का आईटी रिटर्न फाइल किया जा रहा है

0

इम्पलॉइज प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) से पैसे निकालने के नियम आसान

दिसंबर के महीने में सरकार ने अधिसूचना जारी कर ईपीएफ के सदस्यों के लिए पैसे निकालने के नियम आसान कर दिए. अब अगर कोई ईपीएफ सदस्य कम से कम एक महीने तक बेरोजगार रहता है तो वो अपने क्रेडिट बैलेंस का 75 फीसदी तक निकाल सकता है. हालांकि पूरी रकम (100 फीसदी) निकालने के लिए नौकरी छोड़ने के बाद कम से कम दो महीने के इंतजार का नियम मौजूद है, बशर्ते सदस्य को नई नौकरी 2 महीने तक भी ना मिल सकी हो.

नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) में बढ़ा टैक्स छूट का दायरा

नेशनल पेंशन सिस्टम को और भी आकर्षक बनाते हुए सरकार ने 2018 में इससे निकाले जाने वाले पैसे पर टैक्स छूट का दायरा बढ़ा दिया. अब मैच्योरिटी पर एनपीएस के 60 फीसदी फंड पर टैक्स छूट मिलेगी, यानी निवेशकों को पैसे निकालने पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. हालांकि बचे 40 फीसदी फंड से एन्युटी प्लान खरीदना अभी भी अनिवार्य है, और इस एन्युटी प्लान पर मिलने वाला रिटर्न टैक्सेबल रहेगा. पहले ये नियम था कि एनपीएस से 60 फीसदी फंड निकाला जा सकता है, जिसमें 40 फीसदी हिस्से पर टैक्स छूट मिलेगी, बचे 20 फीसदी फंड पर टैक्स देना होगा.

ये भी पढ़ें - 2018 के टॉप म्युचुअल फंड जो 2019 में भी करा सकते हैं अच्छी कमाई

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×