इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी और कृषि उत्पादन अधिक रहने के बीच अब उम्मीद जताई जा रही है कि रिजर्व बैंक अगले मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में नीतिगत दर में बदलाव नहीं करेगा.
एक हालिया रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
बता दें कि आरबीआई की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग अगले महीने होने वाली है. डन एंड बैडस्ट्रीट इकनॉमी ने अपने अनुमान में कहा कि कृषि उत्पादन में मजबूती और सब्जी और फलों की कीमतों में नरमी से खाद्य मुद्रास्फीति (फूड इंफ्लेशन) को दायरे में रखने पर मदद मिलेगी.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की नई खरीद नीति से आने वाले वक्त में कृषि उपज की कीमतों को समर्थन मिलेगा. फर्म को इस साल नवंबर में कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स पर बेस्ड मुद्रास्फीति के 2.8 से 3 प्रतिशत और थोक प्राइज इंडेक्स पर बेस्ड मुद्रास्फीति के 4.8 से 5 प्रतिशत के दायर में रहने की उम्मीद है.
इकनॉमिक ग्रोथ में हुआ सुधार
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री अरुण सिंह ने कहा, ''कच्चे तेल की कीमतों से पैदा होने वाले जोखिम में काफी हद तक कमी आई है, क्योंकि आने वाले वक्त में कीमतों में कमी या सुस्त बने रहने की संभावना है. इसने आंशिक रूप से भारत के चालू खाते के घाटे, राजकोषीय फिसलन और मुद्रास्फीति जोखिम से जुड़ी चिंताओं को कम करने में मदद की है.''
अरुण सिंह ने कहा कि विदेशी निवेशकों की भारतीय बाजार में वापसी, रुपये की विनिमय दर (एक्सचेंज रेट) में स्थिरता, औद्योगिक उत्पादन में मजबूती और मुद्रास्फीति में नरमी से इकनॉमिक ग्रोथ में सुधार हुआ है.
हालांकि सिंह के मुताबिक, बैंकिंग प्रणाली के फंसे कर्ज में लगातार इजाफा हो रहा है और गैर-बैंकिंग क्षेत्र में नियमों को कड़ा करने की संभावना से वित्तीय प्रणाली में कुछ परेशानी पैदा हो सकती हैं.
उन्होंने कहा, ''हमारा अनुमान है कि भारतीय रिजर्व बैंक अगली मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंग में नीतिगत दर में बदलाव नहीं करेगा.''
फिलहाल रेपो दर 6.50 प्रतिशत पर है. पिछले महीने 5 अक्टूबर को हुई समीक्षा बैठक में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया.
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