पिछले कुछ समय में भारत की विदेश व्यापार नीति में आए बदलाव का असर अब दिखने लगा है. लंबे समय से जो चीन (China) भारत (India) का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार हुआ करता था, उसे जब अमेरिका (America) ने पछाड़ दिया है.
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच व्यापार 119.42 बिलियन डॉलर का रहा, जबकि 2020-21 में ये 80.51 बिलियन डॉलर था.
चीन के साथ भी व्यापार बढ़ा, लेकिन घाटा ज्यादा बढ़ा
भारत के व्यापार में वृद्धि केवल अमेरिका के साथ ही नहीं हुई बल्कि चीन के साथ भी इसमें वृद्धि देखी गई है. चीन के साथ वित्त वर्ष 2020-21 में व्यापार 86.4 बिलियन डॉलर था जो 2021 में बढ़कर 115.42 बिलियन डॉलर पहुंच गया.
चीन को निर्यात में भी हल्की वृद्धि देखी गई है, हालांकि इसकी तुलना में आयात काफी बड़ा है, जो चिंता का कारण है. पिछले वित्त वर्ष में 21.18 बिलीयन डॉलर के निर्यात की तुलना में इस बार भारत ने 21.25 बिलियन डॉलर का निर्यात किया है.
आयात की बात करें तो भारत ने चीन से 2020-21 में मात्र 65.21 मिलियन डॉलर मूल्य का आयात किया था जो बढ़कर 94.16 बिलियन डॉलर पहुंच गया. चीन के साथ आयात और निर्यात की रकम में जो अंतर 44 बिलियन डॉलर का था वह बढ़कर 72.91 बिलियन डॉलर हो चुका है.
अमेरिका के साथ व्यापार और मजबूत होने की संभावना
एक्सपर्ट की मानें तो भारत और अमेरिका की व्यापारिक साझेदारी आने वाले समय में और गहरी हो सकती है दोनों ही देश अपने व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत करने में जुटे हैं. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा कि "भारत एक भरोसेमंद वैश्विक व्यापार पार्टनर के रूप में उभर रहा है और विदेशी कंपनियां चीन पर से अपनी निर्भरता कम करते हुए भारत जैसे देशों में मौका तलाश रही हैं."
भारत, अमेरिका के इंडो पेसिफिक इकोनॉमिक्स फ्रेमवर्क (IPEF) पहल के साथ जुड़ चुका है जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत होने की संभावना है.
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