ऑडिटिंग फर्म प्राइस वॉटर हाउस एंड कंपनी (PwC) ने मंगलवार को अनिल अंबानी की दो कंपनियों रिलायंस कैपिटल और रिलायंस होम फाइनेंस के स्टेट्यूटरी ऑडिटर पद से इस्तीफा दे दिया. ऑडिटर प्राइस वॉटरहाउस ने कंपनी के फाइनेंशियल दस्तावेजों पर कुछ आपत्तियां जताईं थीं और उनको उन आपत्तियों का माकूल जवाब नहीं मिला.
अब इसके बाद दोनों कंपनियों में घपले की आशंका जताई जा रही है.
जब ऑडिटर PwC ने फाइनेंशियल ईयर 2019 के लिए ऑडिट करना शुरू किया. तो उसमें कुछ वित्तीय गड़बड़ियों का शक हुआ. अपने इस्तीफे के कारणों में ऑडिटर PwC ने कहा है कि कंपनी ने ऑडिट कमेटी की बैठक तय समय के मुताबिक नहीं बुलाई थी.
PwC के मुताबिक कंपनी के कुछ फैसलों ने उसके बतौर ऑडिटर काम करने की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई और कंपनी के साथ स्वतंत्र रूप से काम करने में दिक्कत आई.
इसके बाद ऑडिटर ने कंपनी एक्ट 2013 के सेक्शन 143 (12) के तहत दोनों कंपनियों को अप्रैल और मई में इन बातों के लेकर मैनेजमेंट और ऑडिट कमेटी को लेटर लिखा था.
- कंपनी एक्ट के इन प्रावधानों के तहत अगर स्टेट्यूटरी ऑडिटर को किन्हीं कारणों के चलते लगता है कि कंपनी में वित्तीय गड़बड़ी है या फ्रॉड की संभावना है, तो ऑडिटर को कंपनी के बोर्ड को इसकी जानकारी देनी होगी. इसके बाद सरकार को भी इसके बारे में जानकारी देनी होगी.
- कंपनी एक्ट के ही सेक्शन 143 13 (2a) के मुताबिक ऑडिटर को कंपनी में फ्रॉड का शक होने की स्थिति में कंपनी को बोर्ड और सरकार को 2 दो दिन के अंदर सूचित करना होगा. फिर अगले 45 दिनों में ऑडिट कमेटी और मैनेजमेंट से प्रतिक्रिया लेकर इसे सरकार को सौंपनी होगी. अगर मैनेजमेंट और ऑडिट कमेटी से कोई प्रतिक्रिया नहीं भी मिलती है तो भी सरकार को सूचित करना होगा.
इसके बाद कंपनी ने तय 45 दिन के अंदर ऑडिट कमेटी की कोई भी मीटिंग नहीं बुलाई. साथ ही कंपनी ने कहा कि वो ऑडिटिंग फर्म के खिलाफ जरूरी कानूनी कार्रवाई कर सकती है.
इस मामले में रिलायंस कैपिटल और रिलायंस होम फाइनेंस कंपनियों का कहना है कि ‘कंपनी PwC के इस्तीफे के दिए गए कारणों से सहमत नहीं है. कंपनी ने ऑडिटिंग फर्म PwC के सभी सवालों और लेटर्स का जवाब दिया है और ऑडिट कमेटी की बैठक भी बुलाई है’
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