एप्पल दुनिया की पहली सार्वजनिक रूप से लिस्टेड कंपनी बन गई है जिसने 2 लाख करोड़ डॉलर के मार्केट कैपिटलाइजेशन को पार किया है. कोरोना संकट के बीच भी एप्पल के शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिली जिसने कंपनी को इस ऐतिहासिक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है.
एप्पल के मार्केट कैप का सफर भी काफी गजब का रहा है. 1980 में 100 करोड़ डॉलर का मार्केट कैपिटलाइजेशन रखने वाली कंपनी आज 2 लाख करोड़ डॉलर की हो गई है.
तिमाही नतीजों के बाद कंपनी में दिखी तेजी
जुलाई में तिमाही नतीजों के आने के बाद कंपनी के शेयरों में खासी तेजी देखने को मिल रही है. एप्पल ने दुनिया की सबसे ज्यादा वैल्यू वाली कंपनी सऊदी अरामको को पछाड़ दिया और सिर्फ 2020 साल में 57% का इजाफा किया है. इससे निवेशकों में जोश आया है. एप्पल ने आईफोन की सेल्स की बजाय अब दूसरे गैजेट्स और सर्विसेज पर भी फोकस करना शुरू किया है.
भारतीय कॉरपोरेट से तुलना करें तो एप्पल सिर्फ अकेले ही सारी भारतीय कंपनियों के बराबर का वैल्यूएशन रखती है. भारतीय कंपनियों का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर है और सिर्फ एप्पल का ही मार्केट कैप अब 2 लाख करोड़ डॉलर हो गया है.
कोरोना संकट में भी एप्पल ने किया अच्छा प्रदर्शन
अब अमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल की मालिक अल्फाबेट ये सभी 1 लाख करोड़ डॉलर या फिर उससे ऊपर के मार्केटकैप जोने में आ गईं हैं. अमेरिका की बड़ी टेक कंपनियां मिलाकर 6 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का मार्केटकैप रखती हैं.
खास बात ये है कि इस कोरोना वायरस संकट के काल में भी एप्पल की बिक्री लगातार होती रही. शॉप, स्टोर्स वगैरह बंद होने के बाद भी लोगों ने ऑनलाइन खरीदारी की. हर कैटेगरी और क्षेत्र में एप्पल की आय में इजाफा हुआ. भले ही अमेरिका की इकनॉमी बड़ी मंदी से गुजर रही हो लेकिन एप्पल अपना अच्छा प्रदर्शन करती रही.
एप्पल कंपनी की शुरुआत स्टीव जॉब्स ने 1976 में की थी और अब कंपनी की आय पुर्तगाल, पेरू जैसे देशों के इनकनॉमिक आउटपुट से भी ज्यादा है.
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