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कैश से छूट नहीं रहा लोगों का मोह, खतरे में पड़ा चेक का वजूद

आठ साल में चेक पेमेंट की हिस्सेदारी दस फीसदी से तीन फीसदी पर पहुंची

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डिजिटेल पेमेंट के बढ़ते ऑप्शन के बावजूद कैश पेमेंट पॉपुलर हैं लेकिन चेक के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है. चेक से पेमेंट लगातार घटता जा रहा है. 2010 में कुल बैंकिंग ट्रांजेक्शन में चेक पेमेंट की हिस्सेदारी दस फीसदी थी लेकिन अब घट कर तीन फीसदी रह गई है.

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ब्लूमबर्ग क्विंट ने भारतीय रिजर्व के बैंक के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया कि जून तिमाही ( 2018) में चेक पेमेंट घट कर तीन फीसदी रह गया था. हर गुजरते साल के साथ चेक पेमेंट की रफ्तार में गिरावट आ रही है.

2010 में चेक पेमेंट की हिस्सेदारी 14 फीसदी थी लेकिन अब घट कर तीन फीसदी रह गई है.
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सेफ और कारगर डिजिटल पेमेंट ने घटाया चेक का चलन

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ एपी होता का कहना है कि पूरी दुनिया में चेक पेमेंट का चलन घट रहा है और भारत इसका अपवाद नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स काफी कारगर और सेफ हैं. इससे चेक पेमेंट का चलन घट रहा है.

पिछले कुछ सालों के दौरान पेमेंट्स की पूरी दुनिया काफी बदल गई है. बिजनेस और रिटेल पेमेंट दोनों तेजी से ऑनलाइन की ओर शिफ्ट होते जा रहे हैं. बड़ी वैल्यू वाले पेमेंट RTGS से हो रहे हैं. अगस्त में RTGS पेमेंट पहली बार 100 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया. 
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ऑनलाइन ट्रांजेक्शन में बढ़ोतरी

बड़े ट्रांजेक्शन भी NEFT और IMPS के जरिये बढ़े हैं. वॉलेट और बैंक पेमेंट के भी विकल्प काफी बढ़ गए हैं. इसकी तुलना में चेक से ट्रांजेक्शन ज्यादा वक्त भी लेता है और इसमें लागत भी ज्यादा आती है. यही वजह है कि चेक पेमेंट कम होता जा रहा है.

सबसे ज्यादा लोन की किस्त चुकाने के लिए चेक का इस्तेमाल होता था लेकिन अब ECS (Electronic Clearance Service) और NACH (National Automated Clearing House) की वजह से यह घट रहा है.

हालांकि चेक पूरी तरह खत्म नहीं होने जा रहे हैं. 30 मई को अपनी एक स्पीच में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो ने कहा था कि भारत में अब भी हर महीने नौ करोड़ चेक की प्रोसिसिंग होती है.

इनपुट : ब्लूमबर्ग क्विंट

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