आज से विजया बैंक और देना बैंक दोनों ही बैंक ऑफ बड़ौदा का ही हिस्सा होंगे. ये भारतीय बैंकिंग सेक्टर में अपने तरह का पहला मर्जर है. देना और विजया बैंक के बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय की घोषणा पिछले साल सितंबर में हुई थी. ये मर्जर बैंक ऑफ बड़ौदा को देश का तीसरा बड़ा सरकारी बैंक बना देगा. इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने मर्जर के खिलाफ याचिका को ठुकरा दिया था.
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पढ़िए इस मर्जर से जुड़ी 10 बातें-
- सरकार ने इन दो बैंकों के बैंक ऑफ बड़ौदा में मर्जर का फैसला बढ़ते NPA के बोझ के चलते लिया था. मर्जर से बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ में बढ़ोतरी होगी.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कई मौकों पर बड़े और मजबूत बैंकों की वकालत की है. ये बैंकिंग सिस्टम की दक्षता को बढ़ाते हैं
- सरकार ने बैंकों के कंसॉलिडेशन के लिए कई सारे मॉडलों का अध्ययन किया. अगर बैंक ऑफ बड़ौदा का मर्जर सफल रहेगा तो सरकार और भी बड़ा कमद उठाएगी.
- बैंक ऑफ बड़ौदा के मर्जर पर बारीकी से नजर रखी जाएगी अगर ये प्रयोग सफल होता है तो भविष्य में और भी मर्जर देखने को मिल सकते हैं.
- सरकार 21 बैंकों में मेज्योरिटी हिस्सेदारी रखती है. और ये हमारी अर्थव्यवस्था का दो तिहाई है
- मर्जर की स्कीम के मुताबिक देना बैंक और विजया बैंक दोनों का कारोबार बैंक ऑफ बड़ौदा को ट्रांसफर कर दिया जाएगा. दोनों बैंकों के कर्मचारियों का भी बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय किया जाएगा.
- ये थ्री-वे मर्जर SBI और PNB के बाद देश का तीसरे नंबर का बड़ा बैंक होगा. जिसका कुल कारोबार 14 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का होगा.
- इसके पहले भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया में पांच एसोसिएट बैंकों और एक महिला बैंक का विलय किया गया था.
- दिसंबर में खत्म होने वाली तीसरी तिमाही में बैंक के मुनाफे में 4 गुना की वृद्धि देखी गई थी.
- बैंक ऑफ बड़ौदा का शेयर सितंबर में मर्जर की घोषणा के बाद से करीब 4.7% टूटा है.
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