भारतीय रिजर्व बैंक के रेपो दर में कटौती करने के एक दिन बाद सरकारी बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने शुक्रवार को एक साल की अवधि वाले कर्ज पर मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स (एमसीएलआर) को 0.10 प्रतिशत घटाकर 8.60 प्रतिशत कर दिया है.
बैंक ने कहा कि यह दरें सात जून से लागू होंगी. एक साल की अवधि वाले ऋण पर एमसीएलआर को व्हीकल, पर्सनल और होम जैसे कई तरह के लोन के लिए मानक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. अब सवाल ये है कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बाद क्या बाकी के बैंक भी ऐसा फैसला लेंगे?
इसके अलावा बैंक ने एक दिन और तीन माह की अवधि वाले ऋण पर एमसीएलआर 0.05 प्रतिशत घटाकर क्रमश: 8.15 प्रतिशत और 8.40 प्रतिशत कर दिया है. बता दें कि रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को अपनी दो महीने की मौद्रिक समीक्षा नीति में रेपो दर को 0.25 प्रतिशत घटाकर 5.75 प्रतिशत कर दिया था.
लेकिन आरबीआई के इस फैसले से बाजार खुश नजर नहीं आ रहा है. रेपो रेट में कटौती से शेयर बाजार में रफ्तार आने की उम्मीद थी लेकिन पॉलिसी रेट के ऐलान के दौरान जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाने से यह निराश हो गया. एक ही दिन में सेंसेक्स में 550 प्वाइंट की गिरावट आ गई. यह 2019 में एक दिन की अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी.
रेपो रेट कटौती के बावजूद बाजार निराश क्यों?
- ग्रोथ रेट में कटौती से बाजार हुआ निराश
- लिक्विडिटी के मोर्चे पर आरबीआई ने ज्यादा कुछ नहीं किया
- चौथाई फीसदी कटौती का पहले से अनुमान इसलिए ज्यादा जोश नहीं
- बाजार को बड़ी रेट कटौती की थी उम्मीद जो पूरी नहीं हुई
(इनपुट भाषा से)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)