रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को कर्ज देने से कतराने के खतरों के बारे में आगाह किया. लेकिन इस पर अलग-अलग पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर बैंक के प्रमुखों ने गुरुवार को जवाब दिया कि ऐसा नहीं है कि बैंक कर्ज देने से कतरा रहे हैं. बैंकों का मानना है कि बाजार में कर्ज की डिमांड ही नहीं है इसलिए ऐसा हो रहा है और डिमांड की दिक्कत को सरकार ही हल कर सकती है.
क्रेडिट डिमांड लंबे वक्त से 6 परसेंट के नीचे है, वहीं पिछले कुछ साल पहले यही क्रेडिट डिमांड रेट 15% के पास रहा करती थी.
HDFC बैंक के MD और CEO आदित्य पुरी का कहना है कि 'हमारी जून तिमाही में हमारी कोस इंटरेस्ट इनकम करीब 20% बढ़ी है. ऐसा नहीं है कि हम जबरदस्त तरीके से कर्ज देने से कतरा रहे हैं. दरअसल हम प्रूडेंट बैंकिंग कर रहे हैं.
पंजाब नेशनल बैंक के MD और CEO एसएस मल्लिकार्जुन राव ने कहा कि 'मैं भरोसे के साथ ये कह सकता हूं कि ऐसा नहीं है कि हम लोन देने से कतरा रहे हैं. असल दिक्कत है कि बाजार में डिमांड ही नहीं है. राव का मानना है कि ग्रोथ तब से गिर रही है जब से RBI ने 2016 के बाद से सख्त NPA नॉर्म्स लगाए हैं.'
यूनियन बैंक के MD और CEO राजकिरण राय ने कहा कि- 'हम पर आरोप लग रहा है कि हम कर्ज देने में कतरा रहे हैं. लेकिन असल में हम अच्छे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगा रहे हैं. क्रेडिट डिमांड में कमी की वजह से आप हम पर उंगली नहीं उठा सकते हैं. ये डिमांड का हिस्सा है और डिमांड बढ़ाना सरकार की जिम्मेदारी है.'
SBI के चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा- 'गवर्नर के कहने का अर्थ ये है कि बैंकिंग सेक्टर उस तरह से कर्ज नहीं दे रहा जैसे पहले दिया करता था. लेकिन अभी जो परिस्थिति बनी है उसमें कर्ज की डिमांड ही नहीं है.'
IDBI बैंक के MD और CEO राकेश शर्मा ने कहा कि- 'हम मार्च में एक लिमिट तक कर्ज दे रहे थे. हमारे पास अच्छी डिमांड थी. लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है रिटेल मार्केट से कोई डिमांड देखने को नहीं मिल रही है. मैं यही कहूंगा कि हम अच्छे स्तर पर कर्ज दे रहे हैं और अपनी रिस्क को भी मैनेज कर रहे हैं.'
एक्सिस बैंक के MD और CEO अमिताभ चौधरी का कहना है कि 'हमने अच्छी तादाद में कर्ज दिया है और ये हमारे पहली तिमाही के नतीजों में साफ झलकता है. लोन बुक में 16% की ग्रोथ देखने को मिली है.'
बैंकों को लोन देने से नहीं कतराना चाहिए: दास
फाइनेंशियल अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड के वेबिनार में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बैंकों को लोन देने से बहुत ज्यादा कतराने से मना किया है. दास का कहना है कि इससे बैंकों का ही नुकसान है. साथ ही उन्होंने कहा कि फ्रॉड से बचने के लिए बिजनेस को समझना जरूरी है.
गवर्नर की ये बात ऐसे वक्त में आई हैं जब क्रेडिट ऑफटेक (कर्ज लेने की दर) कम होता जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि बैंक कोरोना वायरस संकट के बाद से एसेट क्वालिटी को लेकर चिंतित हैं. इस हफ्ते जारी हुई RBI की एनुअल रिपोर्ट के मुताबिक फाइनेंशियल ईयर 2020 में बैंकों से जुड़े घोटाले दोगुने होकर 1.85 लाख करोड़ रुपये के हो गए हैं.
गवर्नर दास का कहना है कि जरूरत से ज्यादा लोने देने से कतराने की वजह से बैंकों को खुद नुकसान होगा और वो अपनी कमाई नहीं कर पाएंगे और ये इकनॉमी के लिए भी सही नहीं है.
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