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चंदा कोचर-दीपक कोचर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दी जमानत, कहा-गिरफ्तारी सही नहीं

कोचर दंपति ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जिसके बाद इस मामले में फैसला सुनाया गया.

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बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay Highcourt) ने सोमवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रमुख चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को अंतरिम जमानत दे दी. दोनों को वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गिरफ्तार किया था. वे पिछले 15 दिनों से हिरासत में थे.

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जस्टिस रेवती मोहिते-डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज के चव्हाण की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि कोचर दंपति की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक नहीं है. उनकी गिरफ्तारी सीआरपीसी की धारा 41ए का उल्लंघन करती है.

कोर्ट ने कोचर दंपति को 1,00,000 रुपये की नकद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने गिरफ्तारी के बाद कोचर को सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था और बाद में 29 दिसंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. मुंबई की विशेष सीबीआई अदालत ने गिरफ्तारी के बाद कोचर को सीबीआई की हिरासत में भेज दिया था और बाद में 29 दिसंबर को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया था.

इसके तुरंत बाद, कोचर ने बॉम्बे हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, जिसके बाद सोमवार को इस मामले में फैसला सुनाया गया.

क्यों हुई गिरफ्तारी?

चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को CBI ने वीडियोकॉन ग्रुप को दिए गए 3,250 करोड़ रुपये के लोन में कथित अनियमितताओं से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया था. यह लोन उस समय दिया गया था, जब कोचर इस बैंक का नेतृत्व कर रही थीं. यह लोन ICICI बैंक के लिए एक गैर-निष्पादित संपत्ति/NPA बन गया. CBI ने कोचर पर आपराधिक साजिश और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.

आरोपों के मुताबिक वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक से लोन मिलने के कुछ ही महीने में वीडियोकॉन समूह के पूर्व अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत ने कथित तौर पर कोचर द्वारा स्थापित एक कंपनी न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स में करोड़ों रुपये का निवेश किया था.

CBI का आरोप है कि इस लोन को एक समिति द्वारा मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी शामिल थीं. एजेंसी का कहना है कि उन्होंने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया.

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