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बजट 2018: सस्ते घरों पर जोर, मंत्रालय की बजट बढ़ाने की मांग

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से निकलेगा सस्ते घरों का रास्ता

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अगले पांच साल में ‘सबके लिये आवास' योजना के तहत, आवास और शहरी कार्य मंत्रालय की एक करोड़ से ज्यादा घरों के निर्माण की योजना है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बजट आवंटन में तीन गुना तक इजाफा करने की मांग वित्त मंत्रालय को भेजी गई है.   मंत्रालय की ओर से वित्त मंत्रालय को भेजे गये बजट मांग प्रस्ताव में 'सबके लिये आवास' योजना पर ही इस बार पूरा जोर दिया गया है.

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सस्ते घरों के लिए 20 हजार करोड़ की मांग

मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 'सबके लिये आवास' मिशन के लिये वित्त वर्ष 2018-19 में लगभग 20 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये जाने की प्रस्तावित मांग की गयी है. बता दें कि चालू वित्त वर्ष 2017-18 में वित्त मंत्रालय ने इस योजना के लिये 6200 करोड़ रुपये आवंटित किये थे. सूत्रों के मुताबिक बजटीय आवंटन पर विचार-विमर्श के शुरुआती दौर में वित्त मंत्रालय ने इस मद में 11 हजार करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव को दिया गया था लेकिन आवास और शहरी विकास मंत्रालय ने इस योजना के तहत साल 2022 तक 1.2 करोड़ सस्ते घरों का निर्माण करने के लक्ष्य का हवाला देते हुये इस योजना के लिये बजट आवंटन में कोई समझौता करने से इंकार कर दिया है.

अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता से निकलेगा सस्ते घरों का रास्ता

मंत्रालय की दलील है कि देश में सभी बेघर परिवारों को घर मुहैया कराने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्राथमिकता को देखते हुये वित्त मंत्रालय इस योजना के लिये बजट में कम से कम 17 हजार करोड़ रुपये की राशि आवंटित करे. इससे कम राशि के आवंटन पर आवास और शहरी विकास मंत्रालय को संतुष्टि नहीं होगी. मंत्रालय ने हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना को रफ्तार देने के लिये सस्ते, बेहतर और टिकाऊ घर बनाने के अभियान को पूरा करने के लिये अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित करने का फैसला किया है.

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि इस योजना को पूरा करने के मानकों पर खरी उतरने वाली भवन निर्माण क्षेत्र की दुनिया की बड़ी कंपनियों के चयन के लिये मार्च में ‘‘ग्लोबल हाउसिंग कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी चेलैंज'' का आयोजन होगा. प्रतियोगिता के आयोजन के लिये अंतरराष्ट्रीय एजेंसी, ब्लूमबर्ग को मंत्रालय ने ‘नॉलेज पार्टनर' बनाया है. एक महीने तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाली कंपनियों को कम से कम समय में सबसे बेहतर तकनीक वाले सस्ते और टिकाऊ घर के मॉडल बनाकर देने होंगे.

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने करीब 3 लाख घर

कामयाब कंपनियों को इस योजना के तहत तमाम इलाकों में सस्ते घर बनाने का काम दिया जायेगा. इससे पहले स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिये भी ब्लूमबर्ग ने बतौर नॉलेज पार्टनर ‘ग्लोबल चेलैंज' आयोजित किया था. 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तहत चार साल पहले शुरू किये गये ‘सबके लिये घर' अभियान में अब तक सिर्फ 2.91 लाख घर बन पाये हैं.

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2014-15 से लेकर 2017-18 तक इस योजना के तहत राज्यों को 11, 899 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं. हालांकि इस योजना में घरों के निर्माण की धीमी गति के बाद पिछले दो साल में घरों के निर्माण में इजाफा हुआ है. साल 2014-15 में देश भर में मात्र 2506 घर बन सके थे. इसके बाद 2015-16 में यह संख्या बढ़कर 18,706, साल 2016-17 में 66985 और साल 2017-18 में 203094 घरों तक पहुंच गयी.

(इनपुट- भाषा)

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