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AGR फैसला:एयरटेल-वोडाफोन 10% तक बढ़ा सकती हैं कॉल-डेटा कीमतें

SC ने एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया को अपने बकाया AGR का 10 फीसदी 31 मार्च 2021 तक जमा करने को कहा है.

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एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां आने वाले वक्त में वॉयस और डेटा सर्विस की कीमत 10% तक बढ़ा सकती हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया समेत टेलिकॉम कंपनियों को अपने बकाया AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) का 10 फीसदी 31 मार्च 2021 तक जमा करने को कहा है. ऐसे में इंडस्ट्री के लोगों ने अनुमान लगाया है कि इस भुगतान के लिए कंपनियां टैरिफ कीमतें बढ़ा सकती हैं, जिसका असर कंज्यूमर की जेब पर पड़ेगा.

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सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर को आदेश में कहा कि टेलिकॉम कंपनियों को बकाया AGR का 10 फीसदी अगले 7 महीने में जमा करना होगा और बाकी का वो अगली 10 किस्तों में कर सकती हैं.

इकनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने अनुमान लगाया है कि एयरटेल को अगले सात महीनों में करीब 2600 करोड़ और वोडाफोन-आइडिया को 5000 करोड़ जमा करने हैं. इसके बदले एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) को 10% और 27% तक बढ़ाना होगा.

जेफरीज ने कहा कि आने वाले समय में कॉल और डेटा कीमतों में करीब 10% की वृद्धि हो सकती है. उन्होंने ये भी कहा कि वोडाफोन और आइडिया को सरकार की तरफ से अतिरिक्त मदद की जरूरत है.

उद्यमी और टीएमटी एडवाइजर संजय कपूर का कहना है कि टेलिकॉम कंपनियों का कीमतों को बढ़ाना AGR के फैसले से अलग है, लेकिन इसने आने वाले समय में ऐसा होने की गुंजाइश को बढ़ा दिया है. इकनॉमिक टाइम्स से संजय कपूर ने कहा कि अगले क्वॉर्टर में कीमतों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.

मोबाइल ऑपरेटरों ने चार सालों में पहली बार, दिसंबर 2019 में कीमतों को 40% तक बढ़ाया था, जिससे कंपनियों की कमाई में 20% तक का इजाफा हुआ था.

वोडा-एयरटेल पर कितना AGR बकाया?

वोडाफोन आइडिया पर अभी टेलीकॉम विभाग का 58,200 करोड़ रुपये का बकाया है. ये सभी टेलीकॉम कंपनियों में सबसे ज्यादा है. अभी तक वोडाफोन इसमें से सिर्फ 7900 करोड़ रुपये का ही भुगतान कर सकी है. सरकारी अनुमान के मुताबिक भारती एयरटेल को 43,780 करोड़ रुपये का AGR भुगतान करना है. इसमें से एयरटेल ने 43,480 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है.

क्या है AGR?

AGR यानी Adjusted Gross Revenue, दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस.

DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.

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