योगगुरु रामदेव की कंपनी पतंजलि को 5 साल में पहली बार विलोमासन लग गया है. बिक्री 10 परसेंट गिरी है और मुनाफा आधा हो गया है. GST ने उन्हें जोर का झटका दिया है. कंपनी का संतुलन ही गड़बड़ा गया है. डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क टूट गया, नतीजतन दुकानों में सामान पहुंचा नहीं, इसलिए बिका नहीं.
मार्च 2018 में बिक्री थोड़ी नहीं, बल्कि 10 परसेंट गिरकर 8178 करोड़ रुपए रह गई है. मार्च 2013 के बाद ये पहला मौका है, जब लगातार ऊंचाई की तरफ जा रही रामदेव की कंपनी को नीचे आना पड़ा है. केयर रेटिंग्स के मुताबिक, बिक्री में गिरावट की वजह है कि कंपनी GST सिस्टम के लिए सही तैयारी नहीं कर पाई. इंफ्रास्ट्रक्चर दुरुस्त नहीं हुआऔर सप्लाई चेन टूट गई.
पतंजलि ने लापरवाही की?
तीन साल में कंपनी की बिक्री चार गुना बढ़ी थी, तो पतंजलि ने देश की नंबर वन कंज्यूमर कंपनी HUL को पीछे छोड़ने का लक्ष्य बना लिया था. पतंजलि अब आंवला जूस से लेकर नमक तक और आटे से लेकर कपड़े तक, सब कुछ बेच रही है.
GST के झटके से बाकी संभल गए, पर पतंजलि नहीं
सब ठीक चल रहा था, तभी 2017 में पतंजलि के ग्रोथ के हाइवे पर GST स्पीडब्रेकर की तरह आ गया. कितनी अजीब बात है कि बाबा रामदेव ने जिस मोदी सरकार को लाने के लिए 2013-14 में पूरी ताकत झोंक दी थी, उसी सरकार के GST के फैसले ने पतंजलि को झटका दे दिया.
जुलाई 2017 में GST आया और यहीं से पतंजलि का हिसाब गड़बड़ा गया. दूसरी कंज्यूमर कंपनियां तो इस झटके से संभल गईं, पर बाबा रामदेव की कंपनी अभी भी जूझ रही है.
कंपनी से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, पतंजलि की टेक्नोलॉजी GST के लिए तैयार नहीं थी. इन्वेंट्री और बिल बनाने का सिस्टम पटरी पर नहीं आ पाया.
हालांकि पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारावाला ने ब्लूमबर्ग क्विंट को फोन पर अपने सिस्टम में कमी की इन खबरों का खंडन किया. लेकिन उन्होंने माना कि ड्रिस्ट्रीब्यूटर्स ने GST को अपनाने में ढिलाई दिखाई. अब कंपनी नए सिस्टम के मुताबिक ढलने की कोशिश कर रही है. लेकिन दिक्कत अभी भी है.
दुकानों में प्रोडक्ट संतुलन गड़बड़ा गया
पतंजलि का सामान देशभर में 5 लाख फ्रैंचाइजी स्टोर और बिग बाजार, रिलायंस रिटेल जैसे सुपरमार्केट के जरिए बेचती है. वैसे तो सब जगह सप्लाई को लेकर दिक्कत है, पर सबसे ज्यादा परेशानी उन दुकानदारों को हो रही है, जो सिर्फ पतंजलि के प्रोडक्ट बेचते हैं. इनके पास कई सामान ज्यादा हो गए हैं और कई खत्म हो गए हैं.
2017 में बाबा रामदेव ने दावा किया था कि पतंजलि का टर्नओवर अगले तीन से पांच साल में 25,000 करोड़ रुपए पार कर जाएगा. लेकिन लगता है कि चुनौती उम्मीदों से ज्यादा बड़ी हो गई है. पतंजलि की कमाई 10 परसेंट घटकर FY18 में 8100 करोड़ रुपए ही रह गई है.
पतंजलि का मुनाफा हुआ आधा
कंपनी का मुनाफा लगातार तीन साल से 50 परसेंट से ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा था, लेकिन FY18 में ये आधा रह गया है.
पतंजलि के लिए अलर्ट
इंटरनेशनल रिसर्च ग्रुप क्रेडिट सुइस की कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट आई थी, जिसके मुताबिक पतंजलि के ज्यादातर प्रोडक्ट एचयूएल और डाबर के मुकाबले टिक नहीं पा रहे हैं.
आयुर्वेद फॉर्मूला दूसरों ने बेहतर अपनाया
अब तक आयुर्वेद और हर्बल प्रोडक्ट पतंजलि की खासयित थी, लेकिन अब HUL, कोलगेट जैसी कंपनियों ने भी हर्बल प्रोडक्ट उतार दिए हैं. इसके अलावा पतंजलि के लिए अचानक कई मोर्चों में दिक्कत खड़ी हो गई है. डिस्ट्रीब्यूशन, टेक्नोलॉजी, नए प्रोडक्ट के साथ क्वालिटी बेहतर करने के चैलेंज से एकसाथ निपटना पड़ेगा.
(इनपुट: ब्लूमबर्ग क्विंट)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)