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ऑनलाइन ग्रॉसरी मार्केट में दिग्गज कंपनियों के बीच ये घमासान क्यों?

ऑनलाइन किराना बाजार में काफी दम है लेकिन इसमें पैठ बनाना आसान नहीं है

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सात-आठ साल पहले जब मेरे पास ऑनलाइन ग्रॉसरी बेचने वाली कंपनियों पर स्टोरी करने के ऑफर आते थे तो मैं उनको सीरियसली नहीं लेता था. तब ऑफलाइन रिटेल का जमाना था और ‘बिग बाजार’ जैसे बड़ी प्लेयर राज कर रही थी. मुझे लगता था कि ऑनलाइन ग्रॉसरी बिजनेस में उतरने वाली कंपनियां अपना पैसा डुबो देंगी.

लेकिन पिछले दिनों चीन की दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ने लगभग 1500 करोड़ रुपये झोंक कर यह दिखा दिया कि भारतीय ऑनलाइन किराना बाजार में कितना दम है. इसी साल मार्च में सॉफ्टबैंक ने देश की ओर और बड़ी ऑनलाइन ग्रॉसरी कंपनी ग्रोफर्स में लगभग 400 करोड़ की फंडिंग की. और अब वॉलमार्ट की ओर से 16 अरब डॉलर में खरीद लिए जाने के बाद देश की सबसे बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनी फ्लिपकार्ट जिस धमाकेदार अंदाज में ऑनलाइन ग्रॉसरी बाजार में विस्तार का इरादा जता रही है उससे पूरे बाजार में खलबली मच गई है.

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फ्लिपकार्ट और अमेजन के बीच जंग का नया मैदान

ऑनलाइन किराना मार्केट में ‘बिग बास्केट’ और ‘ग्रोफर्स’ दो बड़ी खिलाड़ी हैं. बिग बास्केट 25 शहरों में हर दिन लगभग 7000 ऑर्डर बुक करती है और अब खबर है कि अमेजन अपनी आक्रामक रणनीति की वजह से हर दिन 4000-5000 ऑर्डर तक पहुंचने के नजदीक है. अमेजन के ग्रॉसरी विंग अमेजन नाउ अब प्राइम नाउ के तौर पर 10 हजार प्रोडक्ट्स की दो घंटे में डिलीवरी की नई स्ट्रेटजी को और धार देने जा रही है. अमेजन ने प्राइम नाउ की सर्विस को बेहतर करने के लिए 15 नए वेयरहाउस खोले हैं.

अमेजन की इस अटैकिंग स्ट्रेटजी को फ्लिपकार्ट से कड़ी टक्कर मिलेगी. दुनिया की जिस दिग्गज रिटेलर वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीदा है उसे ग्रॉसरी और एफएमसीजी कारोबार में महारथ हासिल है इसका फायदा फ्लिपकार्ट को जरूर मिलेगा. फ्लिपकार्ट ने हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, दिल्ली-एनसीआर और पुणे में ऑनलाइन किराना सर्विस खोल कर बाजार की इस जंग को नई ऊंचाई पर ले जाने के इरादे जता दिए हैं.

आसान नहीं है ऑनलाइन किराना बाजार में पैठ बनाना

ऑनलाइन किराना बाजार में काफी दम है लेकिन इसमें पैठ बनाना आसान नहीं है. यही वजह है कि कंपनियां ग्राहकों को साफ-सुथरे और क्वालिटी प्रोडक्ट और भारी छूट से आकर्षित कर रही हैं. कस्टमर को ऑनलाइन किराना खरीदारी का बेहतर अनुभव देने की हर कोशिश जा रही है. कई प्रोडक्ट सीधे 25 से 50 फीसदी छूट के साथ बेचे जा रहे हैं. यह काम अमेजन और बिग बास्केट करती रही हैं और अब फ्लिपकार्ट भी यही रणनीति अपनाएगी.

रिटेल कंस्लटिंग फर्म रेडबैक एडवाइजरी सर्विसेज के मैनेजिंग पार्टनर अनूप जैन ने हाल में इकनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा

किराना बाजार 95 फीसदी असंगठित रिटेल मार्केट के कब्जे में है और अब तक कोई भी ऑनलाइन किराना कंपनी इस बाजार में इतनी घुसपैठ नहीं कर सकी है कि इसका कोई बहुत ज्यादा नोटिस लिया जा सके. ऑनलाइन किराना सेगमेंट का सबसे बड़ा चैलेंज ये है कि जो लोग इंटरनेट के जरिये किराना नहीं खरीदते उन्हें यह आदत डलवाना और फिर इसे बरकरार रखवाना. इस सेगमेंट में अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी नई खिलाड़ियों के लिए दूसरी बड़ी जंग होगी यहां जमी बिग बास्केट और ग्रॉफर्स जैसी कंपनियों से टक्कर लेना. साथ ही अपना नया कंज्यूमर बेस बनाना.
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चुनौतियों के साथ मौकों की भरमार

भारत के पूरे खुदरा बाजार में किराने के खुदरा बाजार की हिस्सेदारी 60 फीसदी है. विश्लेषकों के मुताबिक यह बाजार इस समय 400 से 600 अरब डॉलर का है और 2022 तक यह बढ़ कर 700 अरब डॉलर का हो जाएगा. ऑनलाइन किराने की हिस्सेदारी इसमें काफी छोटी है लेकिन विश्लेषकों का मानना है इस सेक्टर में चुनौतियां हैं तो संभावाएं भी बेशुमार हैं. इस वक्त यह 50 करोड़ डॉलर से लेकर एक 1 अरब डॉलर का बाजार है और अगले तीन चार साल में बढ़ कर यह 3 से 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है.

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माकूल माहौल को भुनाने की होड़

आखिर ऑनलाइन ग्रॉसरी बाजार पर बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनियों की नजर क्यों हैं. दरअसल किराना (जिसमें फल और सब्जी भी शामिल है) हर घर की जरूरत है. किसी भी घर में किराने का सामान काफी जल्दी-जल्दी खरीदा जाता है. रिपीट रेट काफी है. यानी कस्टमर बिना ज्यादा सोचे-समझे एक ही चीज बार-बार खरीदता है. इस बाजार पर जिसकी ज्यादा हिस्सेदारी होगी कस्टमर के दिमाग में भी उसी का नाम सबसे ऊपर होगा. किराने के सामान के साथ ही कस्टमर किचन और साफ-सफाई के दूसरे सामान खरीदता है और कंपनी के एक नया सेगमेंट मिल जाता है.

भारतीय शहरों में जाम, खराब सड़कों और खराब ट्रांसपोर्ट की वजह से बाजार जाने में दिक्कतें. काम के लंबे घंटे, इंटरनेट और स्मार्टफोन का बढ़ता इस्तेमाल ऑनलाइन ग्रॉसरी बेचने वाली कंपनियों के लिए बड़ा मौका लेकर आया है. ऑनलाइन पेमेंट में आसानी की वजह से इंटरनेट पर ग्रॉसरी का कारोबार और आसान हो गया है. बड़ी ऑनलाइन रिटेल कंपनियां इसी इको सिस्टम का फायदा उठा रही हैं और तेजी स उभरते ऑनलाइन किराना बाजार पर कब्जे के लिए भारी फंड झोंक रही हैं. फ्लिपकार्ट और अमेजन के साथ पेटीएम, बिग बास्केट और ग्रोफर्स भी इस नई जंग में उतरने के तमाम साजो-सामान से लैस हो चुकी हैं.

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