केंद्र सरकार ने बुधवार 1 फरवरी को केंद्रीय बजट (Union Budget) पेश किया. इस बजट को विपक्षी दलों ने चुनावी बजट करार दिया. कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने बजट को लेकर सवाल भी उठाए. तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि मध्यम वर्ग को मदद दी गई है, सबको कुछ न कुछ दिया गया है.
3 फरवरी को द क्विंट के 'डिकोडिंग बजट विद राघव बहल' के सेशन में द क्विंट के एडिटर इन चीफ राघव बहल ने इस बजट के राजनीतिक पहलू को भी समझाया.
क्या इस बार का बजट 'चुनावी बजट' है?
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का यह आखिरी पूर्ण बजट था. विपक्ष ने इस बजट को लोकलुभावन और चुनावी करार दिया है. इस सवाल का विस्तार से जवाब देते हुए द क्विंट के एडिटर इन चीफ राघव बहल ने कहा कि,
"बजट की आलोचना करने के लिए विपक्ष का एक मानक खाका है. अगर आप बजट दस्तावेज को गंभीरता से देखेंगे, मैं इस बजट दस्तावेज को अलग तरीके से नहीं देख रहा हूं. मुझे लगता है कि पिछले दो या तीन बजट से सरकार ने कंसिस्टेंट बजट बनाने का प्रमाण दिया है. और ये ऐसे ही होना भी चाहिए."राघव बहल, एडिटर इन चीफ, द क्विंट
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "हम अब एक छोटी अर्थव्यवस्था नहीं हैं. अब हम तीन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हैं, एक बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. और इसलिए जैसे-जैसे हमारी अर्थव्यवस्था परिपक्व हो रही है, जैसे-जैसे इसे बेहतर बनाया जा रहा है, जैसे-जैसे यह दुनिया के साथ अधिक जुड़ता जा रहा है, जैसे-जैसे यह एक बाजार अर्थव्यवस्था का रूप धारण करता जा रहा है, इसमें सरकार के लिए करने को ज्यादा कुछ नहीं है.
सरकार ने सुसंगत नीतियों को चलने दिया- राघव बहल
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, "जब तक सरकार इसमें कोई ठोक-पीट, मैक्रो मैनेजमेंट या फिर सिस्टम को झटका नहीं देती है, और टैक्स, खर्च, सब्सिडी, पूंजीगत व्यय, प्रत्यक्ष कर और अप्रत्यक्ष कर पर कंसिस्टेंट पॉलिसी बनाए रखती है तो स्पष्ट रूप से उसे बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं है."
"व्यक्तिगत रूप से इस बार का बजट मुझे पसंद आया है. सरकार ने ज्यादा कुछ नहीं करते हुए सुसंगत नीतियों को चलने दिया है. इसलिए यह एक चुनावी बजट नहीं है. मुझे लगता है कि यह एक कंसिस्टेंट बजट है."राघव बहल, एडिटर इन चीफ, द क्विंट
बता दें कि बजट पर समाजवादी पार्टी, बीएसपी सहित अन्य पार्टियों ने सवाल उठाए थे. JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बजट में कहा था कि "आम बजट सपनों का सौदागर है." तो वहीं AAP सांसद संजय सिंह ने कहा था कि "ये बजट न किसान, न जवान और न ही नौजवान... इस बजट में नहीं है किसी के लिए कोई प्रावधान, अमृत काल में अमृत के लिए तरस रहा है आम इंसान और पूंजीपतियों की लूट हुई है आसान."
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