(Union Budget 2023 से जुड़े सवाल? 3 फरवरी को राघव बहल के साथ हमारी विशेष चर्चा में मिलेंगे सवालों के जवाब. शामिल होने के लिए द क्विंट मेंबर बनें)
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2023-24 (Budget 2023) की घोषणा करने जा रही हैं. अन्य उद्योगों की तरह ही कृषि क्षेत्र को भी इस साल के बजट से बड़ी उम्मीदें (Budget Expectation for agriculture sector) हैं. याद रहे कि 2016 में पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वादा किया था. यह वादा कितना पूरा हुआ इसपर तो साफ-साफ जवाब सरकार भी नहीं दे रही है लेकिन बजट 2023-24 में उसके पास इस दिशा में एक और कोशिश करने का मौका जरूर होगा.
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में और सुधार
उद्योग बॉडी पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने इस महीने की शुरुआत में जारी अपने बजट पूर्व ज्ञापन में कहा था, 'अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन को बढ़ाने के लिए हम कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में और सुधारों का सुझाव देते हैं. कृषि अवसंरचना में सार्वजनिक निवेश, ग्रामीण अवसंरचना रसद और कोल्ड चेन में सुधार की आवश्यकता है क्योंकि यह खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और ग्रामीण उद्यमिता के स्तर को बढ़ाने में मदद करेगा."
इसने आगे कहा कि इससे वैश्विक कृषि और खाद्य निर्यात में भागीदारी बढ़ेगी. कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों का निर्यात 2021-22 में लगभग 50 बिलियन डॉलर के वर्तमान स्तर से अगले तीन वर्षों में 100 बिलियन डॉलर के स्तर तक बढ़ाया जाना चाहिए.
एग्रीटेक स्टार्टअप
कृषि क्षेत्र को हमेशा एक ऐसे क्षेत्र के रूप में देखा गया है, जिसमें बहुत अधिक राजस्व पैदा करने की क्षमता है. डेलॉइट इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार यह देश के लिए 800 बिलियन डॉलर से अधिक का राजस्व उत्पन्न कर सकता है और 2031 तक 270 बिलियन डॉलर से अधिक का निवेश.
रिपोर्ट ने सुझाव दिया कि सरकार को कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने का समर्थन करने को नीतियां पेश करनी चाहिए और कृषि-प्रौद्योगिकी स्टार्टअप (एग्रीटेक स्टार्टअप) को प्रोत्साहन देना चाहिए.
पशुपालन और मत्स्यपालन पर भी हो नजर
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में पूर्व केंद्रीय कृषि सचिव सिराज हुसैन लिखते हैं कि 2022-23 में जलवायु परिस्थितियों के कारण चावल और गेहूं की फसलों को नुकसान हुआ. नतीजतन, फसलों का ग्राॅस वैल्यू ऐडेड/GVA इससे कम होगा. {अर्थशास्त्र में सकल मूल्य वर्धित या ग्राॅस वैल्यू ऐडेड किसी भी क्षेत्र, उद्योग, अर्थव्यवस्था या व्यावसायिक क्षेत्र में उत्पादित माल व सेवाओं के मूल्य की माप है.}
सिराज हुसैन के अनुसार 2020-21 में कृषि के GVA में फसल क्षेत्र की हिस्सेदारी 55.3 प्रतिशत थी जबकि गैर-फसल क्षेत्र का योगदान 44.7 प्रतिशत था. बजट में इसे ध्यान में रखने और बागवानी, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन, पशुपालन और मांस उप-क्षेत्रों को उच्च आवंटन देने की आवश्यकता है.
इसकी अहमियत की पुष्टि ग्रामीण भारत के कृषि परिवारों, भूमि और पशुधन जोत के स्थिति आकलन सर्वे, 2019 में भी हुई. इसमें पाया गया कि औसतन, एक किसान परिवार प्रति माह 10,218 रुपये कमाता है, जिसमें से 3,798 रुपये फसल उत्पादन से और पशुपालन से 1,582 रुपये आते हैं.
मत्स्य पालन, मांस और पोल्ट्री के लिए अधिकांश मंडियों में जहां उनका व्यापार होता है, बुनियादी सुविधाएं बहुत खराब हैं. मत्स्य विभाग प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) नाम की एक योजना चला रहा है, जिसके तहत सरकार निवेश करती है. 2020-21 से 2024-25 तक 5 साल की अवधि में 20,050 करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी. इसका उद्देश्य 2018-19 में मछली उत्पादन को 13.75 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़ाकर 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन करना था. इसी तरह, जलीय कृषि की उत्पादकता को 3 टन प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर करने का लक्ष्य रखा गया था. इन कदमों से प्रति व्यक्ति मछली की खपत 5 किलो से 12 किलो तक बढ़ने की उम्मीद थी.
सिराज हुसैन लिखते हैं कि PMMSY की प्रगति का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है क्योंकि गेहूं, धान और गन्ना के विपरीत, मत्स्य क्षेत्र को खबरों और अकादमिक क्षेत्र के विमर्शों उतनी जगह नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए. भले ही भारत में मत्स्यपालन 2.8 करोड़ लोगों को आजीविका प्रदान करता है और इनमें से ज्यादातर कमजोर समुदायों से हैं.
पीएम किसान योजना में सम्मान निधि बढ़े
अभी हाल ही में पीजेंट वेलफेयर एसोशिएसन के चेयरमैन अशोक बालियान ने केंद्रीय पशुपालन राज्यमंत्री डॉ. संजीव बालियान से उनके निवास पर मुलाकात की थी. अशोक बालियान ने कहा कि एक फरवरी को आम बजट पेश होगा, किसान चाहते है कि पीएम किसान योजना में सम्मान निधि की मिलने वाली 6 हजार रुपए की राशि को बढ़ाया जाना चाहिए.
नवंबर महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट 2023 के लिए किसानों के साथ बैठक बुलाई थी. इसमें किसान संगठनों ने सरकार से यह अपील की, पाम तेल का उत्पादन बढ़ाने के बजाए केंद्र सरकार को सोयाबीन, सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी जैसे तिलहनी फसलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने पर फोकस करना चाहिए.
इस बैठक में कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन अध्यक्ष रधुनाथ दादा पाटिल ने गेहूं और टूटे चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का भी प्रस्ताव रखा था. पाटिल ने कहा था कि इन प्रतिबंधों से किसानों की आमदनी पर बुरा असर पड़ रहा है. कृषि उत्पादों के निर्यात से देश को विदेशी मुद्रा हासिल करने में भी मदद मिलेगी.
बैठक में किसान संगठनों ने सुझाव दिया कि ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल करने वाले किसानों को प्रोत्साहन के तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड में फायदा मिलना चाहिए. किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड को FSSAI लाइसेंस के तौर पर इस्तेमाल करने पर अनुमति देने का भी सुझाव दिया.
कृषि आपूर्ति श्रृंखला के प्लेयर चाह रहें टैक्स में छूट
कृषि क्षेत्र में कृषि मूल्य श्रृंखला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है- यानी उस श्रृंखला में आने वाले ऐसे प्लेयर जो हर स्तर पर इसकी वैल्यू को बढ़ाते हैं. लेकिन अक्सर इसे अनदेखा कर दिया जाता है. बेशक इसका एक पक्ष वस्तु एवं सेवा कर (GST) सिस्टम के मोर्चे पर सुधार है. फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार सोहन लाल कमोडिटी मैनेजमेंट ग्रुप कृषि आपूर्ति श्रृंखला में वैल्यू जोड़ने वाले बिजनेस के लिए टैक्स में कुछ छूट की तलाश कर रहा है. इसके CEO संदीप सभरवाल ने कहा कि उनकी एक इच्छा वस्तु एवं सेवा कर (GST) को तर्कसंगत करना है.
सैमको सिक्योरिटीज में रिसर्च एनालिस्ट उर्वी शाह कहती हैं कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच वैश्विक स्तर पर खाद्यान्न संकट ने भारतीय कृषि अर्थव्यवस्था के महत्व को उजागर किया है. उन्होंने जी बिजनेस को बताया कि "इस बजट में सिंचाई, बीज की गुणवत्ता और उपलब्धता, और एग्रीटेक के लिए आवंटन के साथ इस क्षेत्र के वित्त मंत्री की उच्च प्राथमिकता सूची में होने की उम्मीद है".
लोकसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर,किसानों के साथ संबंधों को सुधारने को इच्छुक होगी सरकार
इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ साल भर आंदोलन करने वाले किसान समुदाय को संतुष्ट करने की जरूरत है, सरकार 2023-24 के केंद्रीय बजट में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है.
केंद्र सरकार भी किसानों के साथ अपने संबंधों को सुधारने को इच्छुक है, खासकर तब जब लोकसभा चुनाव सिर्फ एक साल दूर हैं और नौ राज्यों में इसी साल चुनाव होने हैं. जुलाई 2022 में सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक पैनल का गठन किया था, जिसके अध्यक्ष सेवानिवृत्त कृषि सचिव संजय अग्रवाल हैं.
समिति का गठन सरकार द्वारा नवंबर 2021 में तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के बाद किया गया था. केंद्र ने तीनों कानूनों को निरस्त करते समय आंदोलनकारी किसानों से वादा किया था कि वह एमएसपी पर कानूनी गारंटी सुनिश्चित करने के मामले को देखेगा.
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसानों का एक प्रमुख वोट बैंक होने के कारण सरकार आगामी बजट में कृषक समुदाय के लिए रियायतें लेकर आ सकती है.
(इनपुट- IANS)
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