ब्रिटिश ऑयल कंपनी केयन एनर्जी के साथ चल रहे विवाद के बीच, खबर आई थी कि भारत सरकार ने फॉरेन करंसी अकाउंट्स के जब्त होने के खतरे को देखते हुए फंड निकालने के लिए कहा है. अब भारत सरकार ने 23 मई को बयान जारी कर इन खबरों की निंदा की है. सरकार ने कहा कि ये सभी खबरें झूठी हैं और फैक्ट्स पर आधारित नहीं हैं. भारत सरकार ने अपने बयान में कहा कि कुछ पक्ष भ्रामक रिपोर्टिंग कर रहे हैं और मामले की एकतरफा तस्वीर पेश कर रहे हैं.
कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि सरकार ने भारतीय स्टेट-रन बैंकों को विदेशों के अपने फॉरेन करेंसी अकाउंट से फंड निकालने को कहा था. इसके पीछे केयर्न एनर्जी के द्वारा उन अकाउंटों पर कानूनी कार्रवाई के जरिए उन्हें जब्त करने का खतरा बताया जा रहा है.
“अपना मजबूती से बचाव कर रही सरकार”
भारत सरकार ने 23 मई को बयान जारी कर कहा कि इस मामले में वो अपना मजबूकी से पक्ष रख रही है. सरकार ने कहा कि वो दुनिया भर में अपना बचाव करने के लिए सभी कानूनी रास्ते अपनाने के लिए प्रतिबद्ध है.
सरकार ने कहा कि द हेग कोर्ट ऑफ अपील में 'दिसंबर 2020 इंटरनेशनल आर्बिट्रल अवॉर्ड' के खिलाफ उसने 22 मार्च 2021 को याचिका भी दाखिल की है.
“केयर्न के CEO ने सरकार से संपर्क किया”
सरकार ने अपने बयान में कहा कि केयर्न के सीईओ और प्रतिनिधियों ने मामले को सुलझाने के लिए भारत सरकार से संपर्क किया है. मामले पर कंस्ट्रक्टिन चर्चा हुई है और सरकार देश के कानूनी ढांचे के अंदर विवाद के समाधान के लिए तैयार है.
क्या है केयर्न एनर्जी vs भारत सरकार विवाद?
केयर्न एनर्जी ने 2007 में अपनी भारतीय इकाई केयर्न इंडिया को सूचीबद्ध कराया था. 2011 में उसने कंपनी की 10% हिस्सेदारी अपने पास रख कर बाकी 90% हिस्सेदारी वेदांता लिमिटेड को बेच दी थी.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2012 में नियमों में बदलाव कर बैक डेट से टैक्स लगाते हुए मार्च 2015 में कंपनी से 10,247 करोड़ का पूंजीगत लाभ कर मांगा. सरकार ने इसकी वसूली के लिए वेदांता में केयर्न कि 5 फीसदी हिस्सेदारी बेच दी और 1,140 करोड़ का लाभांश और 1,590 करोड़ का टैक्स रिफंड भी जब्त कर लिया. इसके बाद कंपनी ने 2015 में भारत सरकार के खिलाफ परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन (PCA) में अपील कर दी.
नीदरलैंड के हेग स्थित PCA की तीन जजों वाली बेंच ने दिसंबर 2020 में अपना निर्णय दिया. गौर करने की बात है कि इनमें से एक जज को भारत से हैं. अदालत ने 582 पेज के फैसले में माना कि केयर्न एनर्जी की भारतीय इकाई केयर्न्स इंडिया पर बैक डेट से लगा टैक्स ठीक नहीं है. इसके साथ ही ये भारत-ब्रिटेन द्विपक्षीय संधि के विपरीत भी था. निर्णय कंपनी के पक्ष में सुनाते हुए ट्रिब्यून ने भारत सरकार को 1.2 बिलियन डॉलर देने को कहा.
हालांकि, सरकार ने इस निर्णय को चुनौती देते हुए वहीं के एक लोअर कोर्ट में अपील दायर कर दी.
टैक्स विवाद में भारतीय सरकार के खिलाफ 1.2 बिलीयन डॉलर का केस जीतने के बाद केयर्न एनर्जी विदेश में एयर इंडिया की संपत्तियों पर दावा ठोक रही है. केयर्न एनर्जी ने हाल ही में न्यूयॉर्क के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वहां एयर इंडिया की संपत्ति जब्त करने को लेकर मुकदमा किया है.
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