कोरोना वायरस (COVID-19) को लेकर भ्रामक दावे करने और भुगतान वापस नहीं करने को लेकर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है. CCPA ने महामारी के दौरान भुगतान वापस करने में विफल होने और प्रोडक्ट्स पर 'मूल देश' नहीं दिखाने को लेकर 9 कंपनियों के खिलाफ 'क्लास एक्शन कार्यवाही' शुरू की है. वहीं, भ्रामक विज्ञापन को लेकर नोटिस जारी करने के बाद 6 कंपनियों ने अपना विज्ञापन भी हटाया है.
भुगतान वापस नहीं करने पर कार्रवाई
द टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में अधिकारियों के हवाले से बताया कि, उपभोक्ताओं से शिकायतें मिलने के बाद चार प्रतिष्ठित ट्रैवल और टिकट बुकिंग पोर्टल, तीन ट्रैवल एंड टूर फर्म, एक सोशल मीडिया वेबसाइट और एक ई-कॉमर्स कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है. CCPA आदेश का पालन करने के लिए कंपनियों को निर्देश जारी किया गया है. अगर कंपनियां इसका पालन नहीं करती हैं, तो CCPA के पास, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) में क्लास एक्शन सूट दाखिल करने का अधिकार है.
पब्लिकेशन ने CCPA से मिली डिटेल्स के आधार पर बताया कि प्राधिकरण ने अब तक भ्रामक विज्ञापनों और कंपनियों की गलत ट्रेड प्रैक्टिस के खिलाफ 52 नोटिस जारी किए हैं.
6 कंपनियों ने वापस लिया विज्ञापन
पेंट, वॉटर प्यूरीफायर, प्लाईवुड और कपड़ा समेत कुछ कंपनियों ने दावा किया था कि उनका प्रोडक्ट कोरोना वायरस के खिलाफ 99% की सुरक्षा देता है. नोटिस जारी करने के बाद 6 कंपनियों ने इन भ्रामक विज्ञापनों को हटा लिया और चार ने इसमें बदलाव किया.
क्या होता है क्लास एक्शन सूट?
क्लास एक्शन सूट, एक कानूनी कार्रवाई या दावा होता है, जो एक या कई याचिकाकर्ताओं को, समान हितों वाले लोगों के समूह के लिए केस फाइल करने और पेश करने की अनुमति देता है. ऐसा ग्रुप एक "क्लास" बनाता है.
उपभोक्ता के अधिकारों के लिए बनाया गया CCPA
पिछले साल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत, CCPA स्थापित किया गया था. इसके पास उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं और झूठे या भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में मामलों को रेगुलेट करने का अधिकार है. इसके अलावा, प्राधिकरण के पास उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन की जांच करने, शिकायत और मुकदमा चलाने और, असुरक्षित वस्तुओं और सेवाओं को वापस लेने का आदेश देने का अधिकार है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम में 2019 से पहले साल 1986 में संशोधन किए गए थे. इस बिल को साल 2011 और 2015 में स्थायी समिति को भेजा गया था. जिसके बाद आखिरकार ये 2019 में पास हुआ.
अधिकारी ने पब्लिकेशन को बताया कि वर्तमान में प्राधिकरण का नेतृत्व, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे कर रही हैं, और भारतीय मानक ब्यूरो सहित अन्य एजेंसियों के अधिकारी CCPA का हिस्सा हैं.
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