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AXIS BANK की CEO शिखा शर्मा के उत्तराधिकारी की तलाश शुरू 

शिखा  शर्मा ने इसी महीने बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से पद भार मुक्त करने की गुजारिश की थी.

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प्राइवेट सेक्टर के बैंक एक्सिस बैंक ने शिखा शर्मा के स्थान पर अपने नए एमडी और सीईओ की तलाश शुरू कर दी है. शर्मा दिसंबर में पद छोड़ रही हैं. इससे पहले इसी महीने शर्मा ने बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से पदभार मुक्त की करने की गुजारिश की थी. उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले बैंक छोड़ने का इरादा जताया था. इससे पहले बैंक ने शर्मा का कार्यकाल एक जून से तीन साल के लिए बढ़ा दिया था.

एक्सिस बैंक ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा है कि बैंक के निदेशक मंडल ने शिखा शर्मा के स्थान पर बैंक के नए प्रबंध निदेशक और सीईओ की तलाश की प्रक्रिया शुरू कर दी है. बोर्ड ने इस काम के लिए ग्लोबल लीडरशिप सलाहकार कंपनी इगॉन जेहन्डर नियुक्ति की है. यह शर्मा की उत्तराधिकारी की तलाश की प्रक्रिया शुरू करेगी और इस पद के लिए उम्मीदवारों का आकलन करेगी.

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पिछले साल ही छोड़ने का मन बनाया था

इस मामले के जानकार एक दूसरे शख्स ने बताया कि शिखा शर्मा ने पिछले साल ही यह कर बैंक छोड़ने का इरादा जताया था कि उन्हें एक्सिस से बाहर ज्यादा वेतन पर नई भूमिका मिल रही है. लेकिन बैंक ने उन्हें एक्सिस में बने रहने लिए मना लिया. हालांकि आरबीआई की ओर से उनकी दोबारा नियुक्ति को मंजूरी में देरी की वजह से शिखा दोबारा बोर्ड में इस आवेदन के साथ आईं कि उनकी छुट्टी मंजूर की जाए. आखिरकार बोर्ड ने इसे मंजूरी दे दी और उन्हें नए सीईओ की नियुक्ति तक पद पर बने रहने को कहा.

पिछले साल एक्सिस बैंक ने इगॉन जेहन्डर को कंस्लटेंट के तौर पर नियुक्त किया था. उन्हें नए सीईओ की पहचान करनी थी. शुरुआती खोजबीन के बाद आखिरकर शिखा शर्मा को ही दोबारा नियुक्त करने का फैसला किया गया. शिखा की दोबारा नियुक्ति से पहले कहा जा रहा था कि जून 2018 में उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और वह इस पद पर आगे नहीं रहेंगी. लेकिन उन्हें दोबारा बहाल कर बोर्ड ने यह अनिश्चितता खत्म कर दी थी. हालांकि अब शिखा शर्मा ने खुद ही बैंक से अलग होने का फैसला किया है.

एंट्री और एग्जिट दोनों तूफानी

एक्सिस बैंक में शिखा शर्मा की भूमिका का विश्लेषण करते हुए ब्लूमबर्ग क्विंट की बैंकिंग, फाइनेंस और इकोनॉमी एडिटर ईरा दुग्गल लिखती हैं- एक्सिस बैंक में शिखा शर्मा की एंट्री तूफानी थी. साल 2000 से ही यूटीआई बैंक के चेयरमैन रहे पीजे नायक किसी बाहरी शख्स को एक्सिस बैंक का सीईओ बनाने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन बोर्ड शिखा शर्मा के पक्ष में था. काफी हंगामा हुआ और आखिर बोर्ड की जीत हुईं तो शिखा सीईओ बन गईं. 2009 में उन्होंने सीईओ के तौर पर एक्सिस बैंक की सीईओ की कमान संभाली. लेकिन 2018 में उनकी होने वाली विदाई भी इसी तरह हंगामाखेज साबित हुई है. रिजर्व बैंक ने चौथी बार उन्हें सीईओ बनाए जाने पर एतराज जताया.

इसके बाद से ही उनके बाहर जाने की खबरें उड़ने लगी थीं. बहरहाल, अपने 9 साल के कार्यकाल में शिखा ने एक्सिस बैंक की ग्रोथ में खासी अहम भूमिका निभाई. लेकिन यह ग्रोथ बैंक की एसेट क्वालिटी में गिरावट की कीमत पर आई. 2011 में बैंक ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़े पैमाने पर लोन देना शुरू किया लेकिन 2015 तक ये फंस गए. 2016 में बैंक का एनपीए बढ़ गया और ऑडिट रिपोर्ट से पता चला कि एसेट क्वालिफिकेशन में भी डायवर्जन हुआ. एक्सिस बैंक की छवि को नोटबंदी के दौरान काफी धक्का लगा. बैंक के कई अधिकारी नोट बदलने के आरोप में पकड़े गए. इसके अलावा कोटक-एक्सिस बैंक मर्जर की अफवाहों ने भी शिखा शर्मा को आलोचनाओं के घेरे में ला दिया.

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