कोरोना लॉकडाउन के चलते अप्रैल में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां रिकॉर्ड निचले स्तर पर रहीं. 4 मई को जारी एक मासिक सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी देखी गई और नए ऑर्डर भी डूब गए.
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अप्रैल में गिरकर 27.4 अंक रह गया. यह मार्च में 51.8 अंक था.
कंपनियों के खरीद प्रबंधकों के बीच पिछले 15 साल से किए जा रहे इस सर्वे के इतिहास में यह कारोबारी गतिविधियों में सबसे तेज गिरावट को दर्शाता है, जबकि पिछले 32 महीनों से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में लगातार तेजी का रुख बरकरार बना हुआ था.
पीएमआई का 50 अंक से ऊपर रहना कारोबारी गतिविधियों में विस्तार जबकि उसके नीचे रहना गतिविधियों के कमजोर पड़ने को दर्शाता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, लॉकडाउन की वजह से बड़े पैमाने पर उद्योग बंद रहे. इसके चलते मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों पर अप्रैल में प्रतिकूल असर पड़ा. पिछले ढाई साल में नए ऑर्डरों में पहली बार गिरावट रही. यह पिछले 15 साल में आई सबसे तेज गिरावट है. आईएसएस मार्किट से जुड़े अर्थशास्त्री इलियट केर के मुताबिक, ‘‘मार्च में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियां अपेक्षाकृत निष्प्रभावी बनी रहीं, लेकिन अप्रैल में सेक्टर पर कोरोना वायरस संकट का असर साफ देखा गया.’’
हालांकि कोरोना वायरस संकट से उबरने के बाद में बाजार में मांग ठीक होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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