केंद्रीय एजेंसी ED जिसने कई विपक्षी नेताओं को डरा रखा है इस वक्त सुर्खियों में हैं, नेता ही नहीं ईडी के निशाने पर अब क्रिप्टो एक्सचेंज (Crypto Currency Exchange) भी हैं. क्रिप्टो एक्सचेंज मतलब जहां क्रिप्टो करेंसी खरीदी और बेची जाती है. भारत के 10 क्रिप्टो एक्सचेंज और सैकड़ों इंस्टेंट लोन एप्स भी ED के रडार पर हैं. इसकी वजह क्या है? क्या गलती हुई है? इन सारे सवालों का जवाब देंगे इस वीडियो में और सरकार से भी पूछेंगे कुछ सवाल.
नमस्कार मैं हूं प्रतीक वाघमारे..क्रिप्टो पर किचकिच से पहले आपकी जेब से जुड़ी हफ्ते की खबरों पर नजर डालते हैं-
RBI ने महंगाई को लेकर चिंता जताई है और कहा है कि इस वित्त वर्ष महंगाई को नियंत्रण में लाना मुश्किल है और इसे कम करना तो और भी मुश्किल. संकेत साफ है ब्याज दरों में फिर बढ़ोतरी हो सकती है.
RBI पेमेंट इकोसिस्टम में बदलाव करने की तैयारी में है, इसके तहत आप जो UPI ट्रांजेक्शन करते हैं उस पर चार्ज लग सकता है और NEFT, RTGS पर लगने वाले चार्ज में भी बदलाव आ सकता है.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में $2 बिलियन की कमी के साथ अब इसमें $570 बिलियन बचे हैं
पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा ने कहा कि कंपनी सितंबर 2023 तक मुनाफे में आ जाएगी. बता दें कि लंबे समय से कंपनी घाटे में चल रही है.
शुक्रवार को क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन तेजी से गिरा और 3 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया. यह 8% से ज्यादा फिसलकर $22,000 स्तर से भी नीचे आ गया है.
लग रहा है क्रिप्टो के दिन अच्छे नहीं चल रहे. हुआ ये है कि ED ने देश की 10 क्रिप्टो एक्सचेंज को जांच के दायरे में रखा है. और ये एक्सचेंज देश के नामी और बड़े एक्सचेंज हैं. इसमें वजीरएक्स, कॉइन डीसीएक्स, कॉइनस्विच कुबेर समेत कई बड़े नाम हैं. ED ने वजीरएक्स के 65 करोड़ रुपये सीज किए तो एक अन्य एक्सचेंज के 370 करोड़ रुपये सीज किए. आरोप है कि ये एक्सचेंज FEMA यानी फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट का उल्लंघन कर रहे थे और मनी लॉन्ड्रिंग में लिप्त रहे. आपने फटाफट लोन देने वाले एप्स और उनके फर्जीवाड़े की खबरें तो सुनी है, अब ऐसी 300 एप्स ED की रडार पर है जो 10 क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए कथित तौर पर 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मनी लॉन्ड्रिंग कर रहे थे. ED की जांच में पाया गया कि इन लोन एप्स को चलाने वाली कंपनियों ने क्रिप्टो एक्सचेंज से 100 करोड़ रुपये से अधिक की एसेट्स खरीदने के लिए संपर्क किया, इसे विदेशी वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया. इन एक्सचेंज के अलावा ये कई अन्य नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट का भी सहारा ले रहे थे. इन एप्स को चाइना की कंपनियों की बैकिंग है, इनके पास फंड भी काफी है. इन इंस्टेंट लोन एप ने अपने प्रॉफिट को अवैध रूप से बाहर भेजने के लिए ये तिगड़म अपनाया.
इन क्रिप्टो एक्सचेंज ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है और कहा है कि ये देश के सभी नियम कानूनों का पालन कर रहे हैं. लेकिन ED ने अपनी जांच में बताया कि केवाईसी यानी ‘नो यॉर कस्टमर’ के नियम को भी ठीक से लागू नहीं किया गया है. केवाईसी में ऐसे लोगों का डेटा मिला है जिनका क्रिप्टो से कोई लेना देना नहीं है. ED ने बताया कि ऐसा होने पर एक्सचेंज को संदिग्ध ट्रांजेक्शन रिपोर्ट फाइल करनी थी वो नहीं की गई है.
सोचिए क्रिप्टो में कितना पैसा लगा हुआ है, मार्केट एंड मार्केट्स समेत कई रिपोर्ट्स बताती हैं कि क्रिप्टो का मार्केट साइज 2021 में 1.6 बिलियन डॉलर था जो 2026 तक बढ़कर 2.2 बिलियन डॉलर का हो सकता है. यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में देश की 7 फीसदी आबादी से भी ज्यादा लोगों के पास क्रिप्टो है.
इसलिए बात चिंता की है और सवाल सरकार से है जिसकी आंखों के सामने लंबे समय से ये सब चल रहा है-
2017-18 में जब से क्रिप्टो का बूम शुरू हुआ तो दुनिया की बड़ी एजेंसी IMF और FATF ने चेताया था कि क्रिप्टो में मनी लॉन्ड्रिंग का गहरा रिस्क है.
इसके अलावा पिछले दो साल से लगातार RBI भी कह रहा है कि क्रिप्टो में पार्दर्शिता नहीं है.
क्रिप्टो को लेकर भारत में कोई रेग्युलेटर नहीं है. कोई नियम कायदा नहीं है. ये एक्सचेंज ठीक से केवाईसी जैसी बेसिक सी व्यवस्था लागू नहीं कर पाए
फिर क्रिप्टो में होने वाले ट्रांजेक्शन को ट्रेस करना मुश्किल है.
यहां तक की सरकार खुद भी क्रिप्टो के फेवर में कभी दिखाई नहीं दी.
इन सबके बावजूद सरकार ने क्रिप्टो को देश में फलने फुलने दिया, दो बार इसे लेकर बिल पेश किया और तो और क्रिप्टो में प्रॉफिट पर 30% का टैक्स लगाकर उससे कमाई भी कर रही है. क्या सरकार को क्रिप्टो एक्सचेंज के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग होने के रिस्क के बारे में नहीं मालूम था..?
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