मोदी सरकार दावा करती रही है कि नोटबंदी के बाद टैक्स दायरा बढ़ा है. लेकिन आंकड़े इसकी तसदीक नहीं करते. देश में इनकम रिटर्न फाइल करने वालों की तादाद एक फीसदी कम हो गई है. इनकम टैक्स का दायरा बढ़ाने पर सरकार के फोकस के बावजूद रिटर्न फाइल करने वालों की तादाद में कमी इकनॉमी में गिरावट का संकेत है.
इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में एक फीसदी गिरावट
सरकार यह दावा करती रही है नोटबंदी की वजह से टैक्स दायरा बढ़ा है. लेकिन इस तरह के आंकड़ों से लग रहा है कि 2016 में लागू हुई नोटबंदी ने इकनॉमी पर नकारात्मक असर डाला है. ब्रोकरेज फर्म कोटक सिक्योरिटीज ने कहा है कि वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 6.68 रिटर्न दाखिल किए गए थे. यह 2017-18 में दाखिल किए 6.75 करोड़ रिटर्न से सीधे एक फीसदी कम है. साफ है कि सरकार के दावे के उलट इकनॉमी में फंडामेंटल मजबूती कम होती जा रही है.
कोटक सिक्योरिटीज के नोट में कहा गया है नोटबंदी से टैक्स दायरा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही थी. लेकिन रिटर्न फाइलिंग में गिरावट से सरकार की कमाई पर असर पड़ सकता है. ये गिरावट देश के मैक्रो इकनॉमिक हालात के लिए ठीक नहीं है. इसका मतलब ये है कि अर्थव्यवस्था के कई इंडिकेटर्स स्लोडाउन दिखा रहे हैं.
कम कमाई से सरकारी खजाने पर बढ़ेगा बोझ
कोटक सिक्योरिटीज के मुताबिक टैक्स दायरा घटने से पहले ही दबाव में चल रहे राजकोषीय संतुलन पर और दबाव बढ़ेगा. बजट के लिए अगर सरकार की कमाई से पैसा ट्रांसफर किया जाता है तो राजकोषीय घाटा और बढ़ सकता है.
सीबीडीटी ने 2018 में कहा था कि रिटर्न फाइल करने वालों की कुल संख्या और पहली बार रिटर्न फाइल करने वालों की संख्या में इजाफा इनकम टैक्स विभाग की ओर से लगातार उठाए गए कदमों से हुआ है. इनकम टैक्स विभाग ने ऐसे लोगों से ईमेल,एसएमएस और नोटिस भेज कर संपर्क किया जिनकी इनकम पर टैक्स बनता था. और जो इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं कर रहे थे. इसके अलावा केंद्र सरकार ने ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स नेट में लाने के लिए कानून में भी बदलाव किए.
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