आर्थिक तंगी का असर अब ऑटो सेक्टर पर भी पड़ता हुआ दिख रहा है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में ऑटो इंडस्ट्री की हालत काफी खराब हो चुकी है. 13 सालों में पहली बार स्कूटर की ब्रिकी रिकॉर्ड स्तर पर गिरी है. इसके अलावा पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में कार और एसयूवी की सेल भी पिछले पांच साल में काफी कम दर्ज की गई है.
देश में लगातार नौकरियों की कमी और छोटे शहरों-ग्रामीण इलाकों में बढ़ रही आर्थिक तंगी के चलते ऑटो सेक्टर में यह गिरावट दर्ज की गई है. पिछले कई सालों से तेजी से बढ़ रही स्कूटर इंडस्ट्री का यह फॉल डाउन इससे जुड़े लोगों के लिए एक खतरे की घंटी है
बिक्री में आई गिरावट
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2018-19 में कुल 67 लाख स्कूटर यूनिट की बिक्री हुई. वहीं इससे ठीक पिछले साल 67.2 लाख की बिक्री हुई थी. एक साल में कुल 0.27 प्रतिशत बिक्री में कमी आई है. इंडस्ट्री में पिछले कुछ सालों से लगातार उछाल देखा जा रहा था, लेकिन इससे पहले साल 2005-06 में भारी गिरावट भी देखी गई. उस वक्त स्कूटर्स की बिक्री में कुल 1.5 प्रतिशत की कमी देखी गई थी.
स्कूटर के अलावा मोटरसाइकिल सेगमेंट की बात करें तो इसमें कुछ ग्रोथ नजर आई. 2018-19 में मोटरसाइकिल की बिक्री में 8 प्रतिशत की ग्रोथ नजर आई. लेकिन इसमें भी परेशानी नजर आ रही है. पिछले कुछ समय से मोटरसाइकिल सेल्स में भी गिरावट देखी जा रही है. कई बड़ी मोटरसाइकिल कंपनियों ने अपने प्रोडक्शन में भी कटौती करना शुरू कर दिया है.
इस इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव, इंश्योरेंस और तेल की बढ़ती कीमतें भी ग्रोथ कम होने का एक कारण हैं. इनके अलावा आईटी कंपनियों में स्लो डाउन और इस तरह के कई सेक्टरों में चल रही जंग का असर भी ऑटो इंडस्ट्री पर पड़ा है.
क्या है इस वित्तीय वर्ष के लिए अनुमान
इंडस्ट्री बॉडी सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मेन्युफेक्चरर्स (Siam) एक कंजरवेटिव विचार के साथ सामने आई है. जिसमें बताया गया है कि पैसेंजर व्हीकल्स में साल 2018-19 के 2.7 प्रतिशत ग्रोथ के साथ आने वाले साल में ये 3 और 5 प्रतिशत रह सकती है. इसके अलावा टू व्हीलर्स के लिए भी 2019-20 में 5 से 7 प्रतिशत की ग्रोथ बताई गई है. ठीक इसी तरह से 2018-19 के लिए भी 5 प्रतिशत की ग्रोथ का अनुमान लगाया गया था.
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