एग्जिट पोल के नतीजों के बाद शेयर बाजार में नई उछाल दिख रही है. सोमवार को सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई. सोमवार को सेंसेक्स में दस साल में एक दिन की सबसे बड़ी उछाल दर्ज की गई. हालांकि मंगलवार को बाजार में करेक्शन देखने को मिला लेकिन कहा जा रहा है अगर एनडीए सरकार बनाता है तो बाजार में फिर तेजी का दौर देखने को मिल सकता है. आइए देखते हैं कौन से ऐसे पांच सेक्टर हो सकते हैं, जिन्हें नई सरकार में बूस्ट मिल सकता है.
इन पांच सेक्टरों में दिख सकती है तेजी
नई सरकार में इन्फ्रास्ट्रक्चर, कैपिटल गुड्स, इन्फ्रास्ट्रक्चर, कंस्ट्रक्शन, पावर और एनबीएफसी सेक्टर को बूस्ट मिल सकता है. जाहिर है निवेशकों के लिए इन सेक्टरों की कंपनियों में निवेश बढ़िया रिटर्न दिलाने वाला साबित हो सकता है.
एग्जिट पोल के नतीजे आने के एक दिन बाद ही कैपिटल गुड्स, फाइनेंस, रियल्टी, पावर सेक्टर का इंडेक्स पांच फीसदी बढ़ गया था. जबकि बैंक और यूटिलिटिज और एनर्जी सेक्टर का इंडेक्स में पांच और चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.
- इन्फ्रास्ट्रक्चर : एनडीए सरकार का इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खासा जोर रहा है. दोबारा सत्ता में आने पर देश में पिछली इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने और नई परियोजनाएं शुरू करने पर जोर होगा.
- नॉन बैंकिंग फाइनेंस और बैंकिंग : एनबीएफसी सेक्टर समेत बैंकिंग सेक्टर को नई सरकार में बूस्ट मिल सकता है. सोमवार को एग्जिट पोल के नतीजे के एक दिन बाद एसबीआई, यस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक समेत कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के शेयर भी चढ़े. साफ है कि यह सेक्टर एनडीए सरकार की दोबारा वापसी में मजबूत होगा.
- कंस्ट्रक्शन - इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जोर देने पर कंस्ट्रक्शन सेक्टर भी चमकेगा. देश में नई सड़कें, पुल और दूसरे कंस्ट्रक्शन में सरकारी और निजी निवेश बढ़ना तय है. इससे सीमेंट कंपनियों के शेयर में उछाल दिख सकता है.
- कैपिटल गुड्स - देश में पिछले कुछ वक्त से कैपिटल गुड्स सेक्टर की हालत अच्छी नहीं है. कारोबारी गतिविधियों के धीमे पड़ने की वजह से इस सेक्टर की रफ्तार घटी है. लिहाजा एनडीए सरकार मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर जोर देगी. इस वजह से इस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में उछाल दिख सकता है.
- पावर - नई सरकार निश्चित तौर पर पावर सेक्टर के सुधारों पर काफी जोर देगी. अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने इस सेक्टर में सुधार पर काफी जोर दिया था. लेकिन यह ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया. इस कार्यकाल में पावर सेक्टर और इससे जुड़े बुनियादी उद्योगों में निवेश निश्चित तौर पर बढ़ेगा और इस सेक्टर की कंपनियों को इसका फायदा मिल सकता है.
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