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AGR बकाए पर सरकार का रिलीफ पैकेज- टेलीकॉम कंपनियों के लिए राहत या मोहलत?

"इस मोराटोरियम को और ज्यादा लंबे समय के लिए खीचा जा सकता था"

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टेलीकॉम सेक्टर को राहत देने के लिए केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कल इस सेक्टर के लिए बड़ा राहत पैकेज जारी किया गया. दरअसल भारत का टेलीकॉम सेक्टर वित्तीय संकटों से जूझ रहा है. इस बीच केंद्रीय कैबिनेट का एग्रीगेटेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) की बकाया राशि चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 4 साल का मोरेटोरियम देने का ऐलान राहत की बात है. यानी अब अगले 4 साल तक टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर के बकाया को लेकर मोहलत दी गई है.

भारत में इस समय टेलीकॉम सेक्टर में तीन बड़ी प्राइवेट कंपनी है- भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो. जिसमें जियो पर बहुत ही कम बकाया है.

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सरकार ने टेलीकॉम से जुड़े क्या फैसले लिए हैं?

केंद्र सरकार ने एजीआर के बकाए पर मोहलत देने के अलावा नॉन टेलीकॉम कारोबार को एजीआर के दायरे से बाहर कर दिया है. यानी अब अगर टेलीकॉम कंपनी अपनी मूल सर्विसेस पर मिलने वाले पैसों के अलावा किसी और युक्ति से पैसा कमाती है तो उस पर कंपनी को टैक्स नहीं देना होगा. साथ ही ब्याज दरों में राहत दी गई है, जबकि पेनाल्टी को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है.

स्पेक्ट्रम शुल्क का भुगतान भी 30 साल में किया जा सकेगा. अगर किसी टेलीकॉम कंपनी के बिजनेस मॉडल में बदलाव होता है तो वह स्पेक्ट्रम शेयर या सरेंडर कर सकती है.

टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि स्पेक्ट्रम का आवंटन वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में किया जाएगा जिससे कंपनियों को इसके लिए तैयारी करने का पर्याप्त मौका मिल मिलेगा.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

अगले चार साल तक के लिए टेलीकॉम कंपनियों को मोहलत दिए जाने पर बिजनेस स्ट्रेटेजिस्ट और टाटा टेलीसर्विस, मोटोरोला के पूर्व टेलीकॉम एक्जिक्यूटिव, लॉएड मथायस कहते हैं कि,

"एजीआर बकाए पर चार साल की रोक, टेलीकॉम कंपनी की संघर्ष कर रही बैलेंस शीट को राहत जरूर पहुंचाएगी. हालांकि, फिलहाल के लिए एजीआर बकाया पर रोक लगाई है ये टेंपररी है, छूट नहीं है और अंततः बकाए का भुगतान करना ही होगा".

वहीं मार्केट वेटरन अंबरीश बलिगा बताते हैं कि "इस मोराटोरियम को और ज्यादा लंबे समय के लिए खींचा जा सकता था, क्योंकि 4 साल की मोहलत केवल वोडाफोन आइडिया के कैश फ्लो मिस-मैच में मददगार साबित हो सकती है. इसीलिए मुझे अब भी लगता है कि सरकार ने जो पेशकश की है वह केवल यह सुनिश्चित करने के लिए है कि वोडाफोन आइडिया फिलहाल के लिए सर्वाइव कर लें - लेकिन लॉन्गटर्म में इसका विकास अभी भी अनिश्चित है".

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क्या है एजीआर बकाए का पूरा मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2019 में एक आदेश में कहा था कि टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर के बकाये के रूप में 1,19,200 करोड़ रुपये टेलीकॉम विभाग को देने होंगे. इसमें से सबसे ज्यादा 58,254 करोड़ रुपये वोडाफोन आइडिया को देने हैं. भारती एयरटेल पर करीब 43,980 करोड़ रुपये का बकाया बताया गया था.

दरअसल टेलीकॉम कंपनी और टेलीकॉम विभाग के बीच विवाद ये है कि टेलीकॉम विभाग दो तरह का पैसा इन कंपनियों से एजीआर के रूप में लेता है एक तो स्पेट्रम यूसेज चार्ज जो 3 से 5 फीसदी है और दूसरा लाइसेंसिंग फीस जो 8 फीसदी है कुल कमाई की.

कंपनी की कुल कमाई दो जगहों से है एक तो टेलीकॉम कारोबार जो कॉल, डेटा या मैसज की सर्विस के रूप में कंपनी चार्ज कर कमाती है. दूसरा है नॉन टेलीकॉम कारोबार जो अन्य चीजों से कंपनी के पास पैसा आता है. अब टेलीकॉम कंपनी का कहना है कि वह स्पेट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस का पैसा जो टैक्स के रूप में देता है वो केवल टेलीकॉम कारोबार की कमाई पर देगा ना की कंपनी की कुल कमाई पर.

अब सरकार ने नॉन टेलीकॉम कारोबार से आने वाले पैसे को एजीआर के दायरे से बाहर कर दिया जो कंपनी के लिए राहत की खबर है.

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